पिंटेल विलेज में हुई बिमल और अनीत की गुप्त बैठक
एक्सक्लूसिव -पीके की टीम ने दोनों गुटों को समझौते के लिए किया तैयार -दार्जिलिंग पहाड़ क
एक्सक्लूसिव
-पीके की टीम ने दोनों गुटों को समझौते के लिए किया तैयार
-दार्जिलिंग पहाड़ की राजनीति में एक बार फिर से मची खलबली -------------
-दोनों गुटों में समझौते की खबर से भाजपा की उड़ी नींद
-बिमल और उनके सहयोगियों की शुरू हुई निगरानी
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विधानसभा सीट है दार्जिलिंग पहाड़ पर
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सीट कर्सियांग पर बिनय गुट को होगा उम्मीदवार
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सीट दार्जिलिंग और कालिंपोंग बिमल के हवाले जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : दार्जिलिंग हिल्स ही नहीं पूरे जिले में एक भी विधानसभा सीटों पर कब्जा नहीं कर पाने वाली सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस 2021 में यहां गोरखा जनमुक्ति मोर्चा गोजमुमो के दोनों गुटों के बीच सुलह कराकर यहां जीत का स्वाद चखना चाह रही है। यही कारण है कि 294 विधानसभा सीटों में तृणमूल कांग्रेस ने 291 सीटों पर ही अपने उम्मीदवार उतारे है। दार्जिलिंग पहाड़ की तीन सीटों को गोजमुमो के लिए छोड़ दिया है। गोजमुमो की सहायता से तृणमूल अपरोक्ष रूप से अपनी सीटें ही बढ़ाना चाहती है। इसके लिए लोक लुभावन योजनाओं के साथ ठोस रणनीति भी बनाई जा रही है। पहाड़ को लेकर तृणमूल कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर यानि पीके पार्टी के राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष अभिषेक बनर्जी के साथ खास रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसके तहत बिमल गुरुंग और बिनय तमांग में सुलह कराने की कोशिश की जा रही है। अब यह कोशिश कामयाब होती दिख रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बिनय तमांग के सिपहसलार अनीत थापा के साथ बिमल गुरुंग की गुप्त बैठक सिलीगुड़ी के पिंटेल विलेज में हुई है। हालांकि तृणमूल कांग्रेस के निम्न से लेकर शीर्ष नेताओं ने इसपर कुछ भी बोलना से इंकार कर दिया है। मिली जानकारी के अनुसार पीके की टीम ने दोनों गुटों को विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ने के लिए तैयार कर लिया है। इस नए राजनीतिक समीकरण से पहाड़ की राजनीति में एक बार फिर से खलबली मच गई है। ऐसे चर्चा यह भी है कि बिमल गुरुंग के कहने पर ही तृणमूल कांग्रेस ने माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी विधानसभा सीट से अपने उम्मीदवार को बदल दिया है। मुख्यमंत्री के उत्तर बंगाल दौरे पर बिमल भी साथ होंगे और दोनों मिलकर पहाड़ की तीनों सीटों पर सहमति होने की बात को सार्वजनिक करेंगे।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कर्सियांग विधानसभा सीट बिनय गुट और दार्जिलिंग और कालिम्पोंग सीट बिमल गुरुंग के खाते में देने का फार्मूला बन रहा है। वर्तमान में दोनों ही गुटो में अपने अपने उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है। जिसका लाभ भाजपा को मिलना तय माना जा रहा है।
दूसरी ओर गोजमुमो के दोनों गुटों के बीच समझौते की खबर से भाजपा खेमें में खलबली मच गई है। भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव में हर कीमत पर जीत हासिल करना चाहती है। लोकसभा चुनाव में भाजपा को यहां से बड़ी जीत मिली थी। इसी कारण भाजपा यहां की सभी सीटों पर जीत के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। ऐसे में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा सुप्रीमो बिमल गुरुंग ने जिस दिन से एनडीए छोड़ ममता बनर्जी से हाथ मिलाया है,उसी दिन से उनकी प्रत्येक गतिविधि पर भाजपा की नजर है। बिमल गुरुंग के दुर्ग के खास नेताओं ने भाजपा का झंडा भी थामा है,उनको उम्मीदवारी भी दी गई है। उसके बाद भी लगातार दोनों गुट के नेताओं और उम्मीदवारों पर भाजपा की नजर है।
वाममोर्चा ने पहले ही लगाया सवालिया निशान
वाममोर्चा गठबंधन के नेता अशोक नारायण भट्टाचार्य ने बिमल गुरुंग के साथ ममता के गठबंधन पर पहले ही सवाल उठाए हैं। उनकी मांग थी कि बिमल गुरुंग के साथ ममता के समझौते को तृणमूल कांग्रेस को स्पष्ट करना चाहिए। वह इसलिए क्योंकि बिमल गुरुंग पर हत्या और राष्ट्रद्रोह समेत सौ से अधिक मामले दर्ज है। अगर यह सभी गलत हैं तो क्या सत्ता सुख के लिए ममता बनर्जी पुलिस का गलत इस्तेमाल करती हैं। अगर नहीं तो सभी मामले सही हैं। फिर किस आधार पर उनकी गिरफ्तारी नहीं की गई। उल्टे तृणमूल कांग्रेस ने बिमल से हाथ मिलाया।
पिछले विधानसभा चुनाव का हाल
तृणमूल काग्रेस के खिलाफ सबसे मजबूती से चुनाव लड़ रही भारतीय जनता पार्टी को पिछले विधानसभा उपचुनाव में पहाड़ की एक सीट पर जीत मिली थी। नीरज तमाग जिंबा ने दार्जिलिंग विधानसभा क्षेत्र से कमल का फूल खिलाया था। काग्रेस को जिले की 2 विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी, जबकि माकपा को एक और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के एक उम्मीदवार को जीत मिली थी। जीजेएम की सरिता राई ने कलिम्पोंग विधानसभा सीट पर जीत हासिल की थी। जबकि सिलीगुड़ी में माकपा के अशोक भट्टाचार्य जीते थे। अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित एक-एक सीट पर माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी (एससी) सीट पर शकर मालाकार ने काग्रेस का हाथ मजबूत किया था तो फासीदेवा (एसटी) सीट पर सुनील चंद्र तिर्की ने जीत दर्ज की। पहाड़ को इस बार के चुनाव में ममता बनर्जी काफी महत्व दे रही हैं। इस बार सभी पार्टियों के लिए एक-एक सीट काफी महत्वपूर्ण है।