स्कूलों के खुलते ही अभिभावकों पर आई मुसीबत
-बकाया शुल्क तुरंत अदा करने का बढ़ा दबाव वरना गंभीर परिणाम की चेतावनी -अभिभावकों ने म
-बकाया शुल्क तुरंत अदा करने का बढ़ा दबाव, वरना, गंभीर परिणाम की चेतावनी
-अभिभावकों ने मांगी मोहलत, स्कूलों ने भी रोया अपना दुखड़ा
-गार्जियन फोरम ऑफ नॉर्थ बंगाल ने आंदोलन की चेतावनी दी जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : कोरोना महामारी के चलते मार्च 2020 से ही लगातार बंद रहे स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय व अन्य शिक्षण संस्थान मंगलवार 16 नवंबर 2021 से पुन: खुल गए हैं। इसे लेकर विद्यार्थियों में बड़ी खुशी का माहौल है। मगर, अभिभावकों की खुशी काफूर हो गई है। उन पर एक मुसीबत आन पड़ी है। वह यह कि, सरकार की ओर से स्कूलों के खुलने की घोषणा के बाद से ही स्कूलों की ओर से उन पर जो बकाया शुल्क अदायगी का दबाव था व अब बढ़ गया है। स्कूलों के खुले अभी दो दिन ही गुजरे हैं और अभिभावकों पर स्कूलों का तकाजा बढ़ गया है।
एक अभिाभवक ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि स्कूल की ओर से उनसे कहा गया है कि वह जल्द से जल्द स्कूल के सभी बकाया शुल्क अदा करें अन्यथा उनके बच्चे को स्कूल में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा। इतना ही नहीं, उन्हें परीक्षा के फॉर्म बढ़ने या परीक्षा में सम्मिलित होने से वंचित कर दिया जाएगा। ऐसा एक नहीं कई अभिभावकों के साथ मामला पेश आया है। एक और अभिभावक ने कहा कि जब तक कक्षाएं ऑनलाईन चल रही थीं तब तक स्कूल वाले किसी तरह मान जा रहे थे। अभिभावकों को शुल्क अदायगी में थोड़ी राहत थी। मगर, इधर, जब से सरकार ने स्कूलों के पुन: खुलने की घोषणा शुरू की तब से ही अभिभावकों पर स्कूलों का बकाया अदायगी का तकाजा शुरू हो गया। अब जब स्कूल खुल चुके हैं तो वह तकाजा और बढ़ गया है। इतना ही नहीं अभिभावकों को तरह-तरह की धमकी भी दी जा रही है। यहां तक कि बच्चों के भविष्य के प्रभावित हो जाने की भी चेतावनी दी जा रही है।
कई अभिभावकों ने यह भी कहा कि कोरोना महामारी व लॉकडाउन संकट और इधर बेलगाम महंगाई के चलते उन लोगों की हालत काफी पतली हो चुकी है। स्कूलों के प्रबंधन को यह समझना चाहिए। जब हमारे बच्चे स्कूल में हैं, पढ़ रहे हैं तो हम शुल्क तो अदा करेंगे ही करेंगे। उसे हजम तो नहीं ही कर सकते और न ही करेंगे। वर्तमान आर्थिक संकट भरे माहौल में स्कूलों को यह समझना चाहिए व अभिभावकों को थोड़ी राहत देनी चाहिए।
इस बारे में कुछ स्कूल वालों से भी बातचीत करने की कोशिश की गई। मगर, उन्होंने कुछ ज्यादा कहने से इंकार कर दिया। कुछ स्कूल वालों ने कहा कि स्कूल संचालन के भी बहुत खर्चे हैं। शिक्षक, कर्मचारी व और भी बहुत से खर्च हैं। अभिभावकों को स्कूलों की समस्या भी समझनी चाहिए। वे समय पर शुल्क अदायगी नहीं करेंगे तो स्कूल कैसे चल पाएंगे। स्कूल वालों ने अपना नाम न छापने की शर्त पर कहा कि बीते 20 महीनों के दौरान ऑनलाईन कक्षाओं का संचालन और अभिभावकों की ओर से लेटलतीफ शुल्क अदायगी के बावजूद कैसे स्कूलों को संभाला है, चलाया है, वे ही जानते हैं। सो, स्कूलों की समस्या को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
इधर, इस पूरे मामले पर गार्जियन फोरम ऑफ नॉर्थ बंगाल के अध्यक्ष संदीपन भट्टाचार्य का कहना है कि, कोरोना महामारी व लॉकडाउन और वर्तमान बेलगाम महंगाई ने हर किसी को आर्थिक समस्याओं के सम्मुखीन ला खड़ा किया है। इस विकट परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए स्कूलों को मानवीय व्यवहार बरतना चाहिए। अभिभावकों पर अतिरिक्त दबाव नहीं बनाया जाना चाहिए। वहीं अभिभावक भी समय पर स्कूलों का समस्त शुल्क अदा करने का प्रयास करें। पर, इस परिस्थिति में स्कूलों को ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे कि किसी एक भी बच्चे का भविष्य प्रभावित हो। अन्यथा, हम लोग गार्जियन फोरम ऑफ नॉर्थ बंगाल की ओर से जोरदार आंदोलन करने को बाध्य होंगे।