हम नहीं सुधरेंगे की राह पर सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट के व्यवसायी
-बाजार में लगातार बढ़ रही है भीड़ -सिर्फ मास्क लगाने पर है जोर -शारीरिक दूरी का पालन नह
-बाजार में लगातार बढ़ रही है भीड़
-सिर्फ मास्क लगाने पर है जोर
-शारीरिक दूरी का पालन नहीं
-मछली मंडी का तो बहुत बुरा हाल चिंता की बात
-रेगुलेटेड मार्केट में हर दिन सैकड़ों गाड़ियों की आवाजाही
-वार्ड नंबर 46 कोरोना के मामले में पहले ही हॉट स्पॉट जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी तथा आसपास के इलाके में कोरोना का कहर जारी है। इसकी रफ्तार में एक दिन कमी आती है तो दूसरे दिन मामला बढ़ जाता है। सिलीगुड़ी नगर निगम का कोई भी वार्ड कोरोना के कहर से अछूता नहीं है। जबकि वार्ड नंबर 46 तो हॉट स्पॉट है। कोरोना के सबसे अधिक मामले इसी वार्ड में आए हैं। इसी वार्ड इलाके में सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट भी है। इस वार्ड में कोरोना का कोहराम सबसे अधिक होने के बावजूद सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट का हाल बेहाल है। यहां के कारोबारियों ने लगता है हम नहीं सुधरेंगे की राह पकड़ ली है। कोरोना से बचने के मानकों को नजर अंदाज कर व्यापार जारी है। जबकि रेगुलेटेड मार्केट में भी कोरोना ने मौत का कहर बरपाया है।
कोरोना की रफ्तार को रोकने के लिए कुछ दिनो पहले ही दो सप्ताह का लॉकडाउन समाप्त हुआ है। जबकि बीच-बीच में राज्य सरकार द्वारा जारी लॉकडाउन चल रहा है। जिला प्रशासन की ओर से लॉकडाउन के प्रभाव की समीक्षा की जा रही है।
यहां बता दें कि पूर्वोत्तर भारत में कच्चे माल फल, सब्जी,मछली आदि की आपूíत करने वाला सिलीगुड़ी रेगुलेटेड सबसे बड़ी मंडी है। पूर्वोत्तर भारत के साथ पड़ोसी देश नेपाल और भूटान भी फल और मछ्ली के लिए सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट पर ही निर्भर है। बीते 14 दिनों के लॉक डाउन में बंद रहने के बाद रेगुलेटेड मार्केट का सभी कॉम्प्लेक्स खुला हुआ है। लेकिन कोरोना से बचने के मानकों का पालन राम भरोसे ही है। सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट मे रोजाना देश के विभिन्न हिस्सो के साथ नेपाल और भूटान की गाड़ियों के साथ हजारो की संख्या मे लोगों का आवागमन होता है। मछली मंडी मे लोगों की भीड़ सबसे अधिक होती है। मंडी में आने वाले अधिकाश लोगों के मुह पर मास्क तो देखा जा सकता है, लेकिन शारीरिक दूरी ताख पर है। वैसे यहां के व्यापारियों का कहना है कि बिना मास्क के आने वाले ग्राहको को प्रवेश नहीं दिया जाता है। बल्कि सैनिटाइजर और शारीरिक दूरी का भी पालन करने कि पूरी कोशिश रहती है।
मछली मंडी में जगह काफी कम
जबकि मछली मंडी के व्यापारियों का कहना है कि यहां शारीरिक दूरी का पालन कराना काफी मुश्किल है। व्यापारी तो पालन करते हैं लेकिन ग्राहको के बीच शारीरिक दूरी का पालन मुश्किल है। मछली मंडी में 4 घटो का व्यापार होता है। शारीरिक दूरी के अनुसार मंडी मे जगह काफी कम है। इस लिए इन चार घटों मे ग्राहकों की जुटी भीड़ में शारीरिक दूरी का पालन काफी मुश्किल है। यहां के कर्ताधर्ताओं का यह कहना है कि हर रविवार बाजार में सैनिटाइजिंग कराई जा रही है। थोक मंडी से खुदरा बाजार में कीमत तीन गुना,लोगों की कट रही है जेब
-दाम सुनकर प्रशासन के खड़े हुए कान
-नियंत्रण के लिए विशेष टीम का होगा गठन
-विभिन्न बाजारों में की जाएगी छापेमारी
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80
रुपये से कम किसी भी सब्जी की कीमत नहीं
120
रुपये किलो से अधिक आम का दाम खुदरा बाजार में
30
रूपये किलो से ज्यादा नहीं है रेगुलेटेड मार्केट में आम की कीमत
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जागरण एक्सक्लुसिव
जागरण संवाददाता,सिलीगुड़ी: कोरोना कि मार से लोग त्रस्त हैं। कोरोना के भय से काफी कुछ बदला है। लेकिन खुदरा व्यापारियों नेइस महामारी को भी तिगुना मुनाफा उगाही का अवसर बना लिया है। थोक मंडी से खुदरा बाजार में कच्चे माल की कीमत मे तीन गुना का अंतर साफ है। इस बात की जानकारी प्रशासन को भी मिली है। उसके बाद ही प्रशासन के कान खड़े हो गए हैं। सब्जी की कीमत पर नियंत्रण रखने की तैयारी प्रशासन ने कर ली है। सिलीगुड़ी महकमा प्रशासन ने कीमत पर निगरानी रखने के लिए विशेष टीम बनाने का फैसला किया है। अगले दो से तीन दिनों में इस टीम का गठन कर दिया जाएगा। मिली जानकारी के अनुसार यह टीम विभिन्न बाजरों में औचक निरीक्षण करेगी। शिकायत मिलने पर छापामारी भी की जाएगी। इसको लेकर सब्जी विक्रेता व्यवसाईयों के संगठनों से भी बात की जा रही है।
यहां बता दें कि कोरोना के इस काल मे जहा-तहा सब्जी की दुकानें सज गई है। फास्ट-फूड, रिक्शा-वैन और बस्ती के किराना दुकान वाले भी सब्जी बेचने लगे हैं। इससे लोगों को सहूलियत तो मिली है लेकिन उसके एवज मे तीन गुना कीमत चुकानी पड़ रही है। रिक्शा-वैन पर लेकर आने वाले और घर के आस-पास अस्थाई सब्जी दुकानों में साठ रुपये प्रति किलो से कम मे कुछ नहीं मिलता है। बल्कि क्वास और बंधा गोभी भी 50 रुपये किलो के पार है। भिंडी, परवल, झींगा और करेला तो सौ रुपये के पार है। हरी मिर्च भी 60 से 80 रुपये प्रति किलो से कम नहीं मिलती है। जबकि थोक बाजार मे इन सब्जी की कीमत प्रति किलो कीमत 20 से 30 रुपये के बीच ही है। इसके अतिरिक्त फिलहाल फलों का राजा आम का भी सीजन चल रहा है। हांलाकि धीरे-धीरे आवक में कमी आ रही है। फिलहाल उत्तर प्रदेश का लंगड़ा आम बाजार में है। किसी भी खुदरा बाजार में इस लंगड़ा आम की कीमत सौ रुपये प्रति किलो से कम नहीं है। जबकि सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट मे यह लंगड़ा आम 28 से 30 रुपये प्रति किलो के दर से बिक रहा है। --------------- अब अधिकांश बाजार खुल गए हैं। इसलिए सब्जी या फल की कीमत नही बढ़नी चाहिए। रेगुलेटेड मार्केट के कारोबारियों को मांग के अनुसार आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। कीमत पर निगरानी के लिए दो से तीन दिनों में विशेष टीम का गठन किया जाएगा।
-सुमंत सहाय,एसडीओ,सिलीगुड़ी