देशी राखी बाध बहनें लेंगी सीमा सुरक्षा का वायदा
- रक्षाबंधन पर सिलीगुड़ी से चीन को लगेगा 100 करोड़ की चपत - स्वदेशी को लेकर विहिप ओर संघ
- रक्षाबंधन पर सिलीगुड़ी से चीन को लगेगा 100 करोड़ की चपत
- स्वदेशी को लेकर विहिप ओर संघ ने चलाया अभियान
- जन भावना को देख दुकानदार भी हुए सहयोगी अशोक झा, सिलीगुड़ी:
कोरोना काल में चीन के साथ भारत की तनातनी के बीच बहने अपने भाई की कलाई पर चीनी नहीं बल्कि देशी रक्षा सूत्र बाध देश की सरहदों की सुरक्षा का वचन लेंगी। भाई बहन का पवित्र त्योहार तीन अगस्त को है। इतना ही नहीं चीन के खिलाफ आíथक मोर्चाबंदी पर लगा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद की मुहिम भी रंग ला रही है। पहली बार होगा जब पूर्वोत्तर के इस प्रवेश द्वार सिलीगुड़ी में करीब 100 करोड़ की चीनी राखिया इस वर्ष नही मंगाई गयी है। थोक हो या खुदरा बाजार यहा देशी राखिया सजी हुई है।
ऐसे सिलीगुड़ी का नाम सामने आते ही कई चायना बाजार ओर वहा सजे सामान आखों के सामने आ जाते हैं। गलवान घाटी की घटना से भारतीयों में चीन विरोधी रोष देखा जा रहा है। सिलीगुड़ी से 200 से ज्यादा इंपोर्टर चीनी से करीब 1000 करोड़ का कारोबार करते थे। कारोबारियों का कहना है कि दुकानदार हो या ग्राहक सबसे पहले स्वदेशी राखी ही मागते हैं। उनका कहना है दाम की चिंता नहीं। हमें अपने देश की सुरक्षा के लिए भाई की कलाई पर राखी बाधनी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल की अपील और सीमा पर तनाव के बाद पूरे देश में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के बीच भारतीय मानक ब्यूरो स्वदेशी मानक का माहौल बन गया है। कारोबारी संजय मित्रुका, दिवाकर दास,महेश पाल, पवन अग्रवाल, शकर साहा आदि का का कहना है कि भारत से पंगा लेकर चीन पर आफत आ गयी है। अब हिंदुस्तान में नहीं आएगा चीनी समान। भारत में चीनी वस्तुओं के विरूद्ध प्रदर्शन होने के साथ ही केन्द्र सरकार भी आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने और चीनी प्रोडक्ट के इम्पोर्ट पर रोक लगाने के लिए कई रणनीति तैयार कर रही है। केन्द्र सरकार ने चीनी निवेश और चीनी सामान के आयात पर धीरे-धीरे शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इसके अंतर्गत अब सरकार चीन से आयात किए जाने वाले कई रोज इस्तेमाल होने वाली चीजों पर भारी भरकम टैक्स लगाएगी। जो अगले पाच साल के लिए लागू रहेंगे। इसके साथ सरकार ने चीन से आयात होने वाले प्रोडक्ट पर पूरी तरह पाबंदी लगाने के लिए इन्हें दो कैटेगरी में बाटा है, जिस पर तेजी से कार्य किया जा रहा है।
चलाई जा रही है मुहिम
फोसिन के महासचिव विश्वजीत दास और उत्तर बंगाल खुदरा दुकानदार यूनियन के अध्यक्ष परिमल मित्रा ने कहा कि व्यापारियों के शीर्ष संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स इन त्योहारों को खास बनाने जा रहा है। 10 जून 2020 को शुरू हुए चीनी उत्पादों के बहिष्कार के राष्ट्रीय अभियान को जोरदार समर्थन मिल रहा है। बाज़ारों में इस बार भारतीय सामान से बनी राखियों की माग बढ़ गई है। खरीदार चीनी राखियों की बजाय भारतीय सामान से बनी राखियों के लिए अधिक कीमत भी देने को तैयार हैं। व्यापारी और उपभोक्ता चीन को सबक सिखाने के लिए रक्षाबंधन और दीपावली पर चीनी सामान बहिष्कार करेंगे।
तैयार हो रही है पारंपरिक राखी
शायद यह पहली बार है कि महिलाओं ने नए-नए प्रयोग करते हुए कई अन्य प्रकार की राखिया भी विकसित की हैं। जिनमें विशेष रूप से तैयार मोदी राखी, दीदी राखी, राम राखी, बीज राखी भी शामिल है। जिसके बीज राखी के बाद पौधे लगाने के काम में आ सकते हैं। इसे पसंद किया जा रहा है। लघु उद्योग एवं स्टार्टअप पर जोर
अर्थव्यवस्था को संवारने के भी प्रयास आरंभ हैं। इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संगठनों ने लघु उद्योग एवं भारतीय स्टार्टअप पर जोर दिया है। संघ परिवार की चाहत है कि उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए स्वदेशी पर जोर दिया जाए। स्वदेशी के प्रसार के लिए डिजिटल जनजागृति एवं आत्मनिर्भरता मुहिम आरंभ की गई है। संघ लघु उद्योग एवं भारतीय स्टार्टअप पर जोर दे रहा है।
त्योहारों में स्वदेशी पर हो फोकस
देश में त्योहारों का मौसम है। इस दौरान विदेशी खासतौर पर चीनी वस्तुएं बाजार में दिखती हैं। इसे देखते हुए संघ परिवार इस दौरान विदेशी उत्पाद नहीं खरीदने की जनजागृति मुहिम चलायी है। इस मुहिम में स्वदेशी जागरण मंच सहित संघ परिवार के विभिन्न संगठन शामिल हैं। इस बात की जानकारी भी दी जाएगी कि विदेशी उत्पादनों के बदले कौन से भारतीय उत्पादन बाजार में उपलब्ध हैं। इसके लिए ऑनलाइन प्लेटफार्म का उपयोग किया जा रहा है। स्वदेशी जागरण मंच के विचार विभाग प्रमुख अजय कुमार का कहा कि इसके तहत नागरिकों से स्वदेशी का उपयोग करने की अपील की जाएगी। समाज के विशिष्ट नागरिकों को इस मुहिम से जोड़ा जा रहा है।