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सभी डीजल लोकोमोटिव्स में अब एपीयू

जागरण संवाददातासिलीगुड़ी भारतीय रेलवे डीजल के रूप में जीवाश्म ईंधन का सबसे बड़े उपयोगकर्ताओं म

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 09:14 PM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2020 09:14 PM (IST)
सभी डीजल लोकोमोटिव्स में अब एपीयू
सभी डीजल लोकोमोटिव्स में अब एपीयू

जागरण संवाददाता,सिलीगुड़ी: भारतीय रेलवे डीजल के रूप में जीवाश्म ईंधन का सबसे बड़े उपयोगकर्ताओं में से एक है। हजारों डीजल लोकोमोटिव्स जो परिचालन में हैं और एलएचबी मॉडल ट्रेनों में डीजल परिचालित जेनेरेटर काफी ज्यादा डीजल तेल उपयोग करते है। लेकिन, हाल ही में पू.सी. रेलवे द्वारा पर्यावरण अनुकूल नीतियों के तहत जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करने के लिए विभिन्न पहल शुरू की गयी है। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से वायु प्रदूषण कम होने के अलावा न केवल ट्रेन परिचालन की कीमत कम होगी, बल्कि बहुमूल्य विदेशी मुद्रा बचेगा क्योंकि, जीवाश्म ईंधन के निर्यात के लिए विदेशी मुद्रा की आवश्यक होती है। यह जानकारी सीपीआरओ शुभानन चंदा ने दी। उन्होंने बताया कि सहायक विद्युत इकाई (एपीयू) इंजन की निष्क्रियता की स्थिति में डीजल इंजन की खपत की बचत के लिए पू.सी. रेलवे के 399 डीजल लोकोमोटिव्स में से 94 में ही फिट की जा चुकी है। सामान्यतौर पर एक डीजल इंजन निष्क्रियता की स्थिति में प्रतिघटा करीब 25 लीटर डीजल खपत करता है, लेकिन एपीयू के उपयोग से इसकी खपत प्रतिघटा 1/10 से करीब 2.5 लीटर तक कम हो जाती है। इससे काफी मात्रा में डीजल तेल की बचत होती है।

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एपीयू मुख्य रिजार्वयर प्रेसर, बैट्री चाìजग, ड्राईविंग केबिन में आपरेटर एचबीएसी प्रणाली और जरूरत के अनुसार स्मॉल लोड्स के रखरखाव के लिए निम्न क्षमता के कॉम्प्रेशर और अल्टरनेटर से जुड़े अपना खुद के छोटे डीजल ईंजन के साथ एक स्वत: पूर्ण प्रणाली है। मुख्य इंजन तभी स्टार्ट होता है जब इन्हें वास्तव में मूवमेंट की जरूरत होती है।

लोकोमोटिव के सेंट्रल कंट्रोल सिस्टम लगातार बैट्री स्टेट्स, इंजन टेमप्रेचर, निष्क्रियता की स्थिति इत्यादि की निगरानी करता है। यदि इंजन की निष्क्रियता का समय 10 मिनट से अधिक है तो सिस्टम स्वत? मुख्य इंजन को बंद कर देता है और एपीयू इंजन चालु हो जाता है।

एपीयू में छोटा कंप्रेशर होता है जो कंप्रेस्ड एयर पैदा करता है और लोकोमोटिव के मुख्य रिजार्वयर को फिड करता है ताकि फार्मेशन लीकेज की कमी की पूर्त्ति हो सके। जब एपीयू इंजन परिचालन में होता है तब सिस्टम लगातार जोखिमवाले पैरामीटरों की निगरानी करता है और सुनिश्चित करता है वे सीमा के भीतर है। यदि कोई भी निगरानीवाले पैरामीटर सीमा से बाहर जा रहा है मुख्य इंजन एपीयू इंजन को बंद कर अपने आप स्टार्ट हो जाता है।


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