खींचे गए मेरे बाल,आंखों के सामने हुई पापा की पिटाई
-बहादुर बेटी ने बताई पब कांड की खौफनाक दास्तां -महिलाओं का ऐसा अपमान कभी भी बर्दाश्त न
-बहादुर बेटी ने बताई पब कांड की खौफनाक दास्तां
-महिलाओं का ऐसा अपमान कभी भी बर्दाश्त नहीं
-जारी रहेगी इंसाफ की जंग,मानसिकता में बदलाव जरूरी
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दिसंबर को ही हो गई थी विवाद की शुरूआत
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दिसंबर को विवाद ने और पकड़ा जोर
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दिसंबर को बुरी तरह से बिगड़ गई बात ---------------------
जागरण संवाददता,सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी के सेवक रोड स्थित प्लेनेट मॉल के पब वर्थ द हाइप में लगे आपत्तिजनक पोस्टर का विरोध करने वाले बहादुर बेटी ने संकल्प लिया है कि इंसाफ की जंग जारी रहेगी। महिलाओं को अपमानित करने और इस प्रकार की ओछी मानसिकता रखने वालों के खिलाफ कार्रवाई जरूर होनी चाहिए। इसके लिए पुलिस प्रशासन से लेकर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ही क्यों ना गुहार लगानी पड़े। उस बहादुर बेटी का कहना है कि पब चले ना चले इसको लेकर कोई परेशानी नहीं है। दरअसल वह तो पब चलाने वालों की मानसिकता बदलना चाहती है। नो शर्ट नो सíवस फॉर गाइज,नो शर्ट फ्री ड्रिंक्स फॉर गर्ल्स जैसे आपत्तिजनक पोस्टर लगाने वालों की मानसिकता बदलना जरूरी है। इससे महिलाओं के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचता है। उसकी लड़ाई किसी व्यक्ति विशेष से नहीं इस प्रकार की ओछी मानसिकता से है। बहादुर बेटी मूल रूप से सिलीगुड़ी की रहने वाली है। अपनी प्रारंभिक शिक्षा डीपीएस स्कूल में पूरी करने के बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली चली गई। वह दिल्ली यूनिवíसटी के दयाल सिंह कॉलेज में बीए थर्ड ईयर की छात्रा है। जबकि छोटी बहन पुणे में पढ़ती है। होली के समय दिल्ली से घर आई थी। उसी दौरान कोरोना के कारण लॉकडाउन लग गया और वह दिल्ली वापस नहीं गई है। अभी कॉलेज भी बंद है। कॉलेज खुलते ही दिल्ली जाएगी। यहा प्रस्तुत है उसी बातचीत के मुख्य अंश। यहां बता दें कि इस मामले में शहर के प्रमुख समाजसेवी गौरी शंकर गोयल और उनके पुत्र के खिलाफ कथित रूप से मारपीट के आरोप में थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है। आरोपियों की ओर से भी लड़की के पिता के खिलाफ एफआईआर कराई गई है। उसकी पढ़ाई-लिखाई,परिवार तथा पब काड के सभी पहलुओं पर दैनिक जागरण ने बातचीत की।
प्रश्न:अच्छा यह बताइए कि आखिर उस दिन हुआ क्या था।
उत्तर: घटना की शुरुआत 20 दिसंबर को हुई थी। मैं अपने दोस्तों और रिश्ते में दीदी के साथ प्लेनेट मॉल गई थी। वहां घूमने के बाद कुछ खाने-पीने का मन हुआ। तब करीब शाम के 6:00 बजे होंगे। अंदर गई और ऑर्डर देकर खाने का इंतजार करने लगी। इसी दौरान मेरी नजर पोस्टर पर पड़ी। जिसमें नो शर्ट नो सíवस फॉर गाइज, नो शर्ट फ्री सíवस फॉर गर्ल्स लिखा हुआ था। यह काफी आपत्तिजनक लगा। लेकिन तब मैने पब प्रबंधन से इस बारे में कोई बातचीत नहीं की।
प्रश्न: उसके बाद क्या हुआ, विवाद कैसे इतना बढ़ गया।
उत्तर:मैं पब से अपने दोस्तों के साथ नाश्ता कर वापस घर लौट आई। हांलाकि मैं पोस्टर की तस्वीर ले चुकी थी। मैंने और दीदी ने उस पोस्टर की तस्वीर को अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर डाल दिया। दूसरे दिन इंस्टाग्राम पर ही पब प्रबंधन से मैसेज आया कि हमने उस पोस्टर को बनाया नहीं है बल्कि कहीं से खरीदा है। उसे हटा दिया गया है। तब बात आई गई और हो गई।
प्रश्न: फिर तो कोई विवाद होना ही नहीं चाहिए था। फिर बात कैसे बढ़ गई। नौबत मारपीट और थाने तक आ गई।
उत्तर: मैंने फिर से उस पब में जाकर यह पता करने की कोशिश की कि आपत्तिजनक पोस्टर को हटाया गया है या नहीं। 24 तारीख के दिन उसी पब में एक टेबल बुक करा दी। मैं चार दोस्तों के साथ पब गई। लेकिन अंदर जाने से रोक दिया गया। गेट पर ही शायद पब के लोगों ने मुझे पहचान लिया था। सभी से बारी-बारी से नाम पूछने लगे। जैसे ही मैंने अपना नाम बताया,उन लोगों ने कहा कि पब में कोई टेबल खाली नहीं है। बहुत कहने के बाद भी साफ तौर से अंदर जाने से मना कर दिया गया। मैं अपने घर वापस लौट आई। घर में पापा तथा अन्य लोगों को इस बारे में बताया।
प्रश्न: फिर मारपीट की घटना कब हुई। उस दिन पब क्यों गई थी।
उत्तर: क्रिसमस पर 25 तारीख को मेरे पापा अपने कुछ दोस्तों के साथ प्लेनेट मॉल गए थे। वही एक रेस्टोरेंट में खाने का प्लान बना था। पापा को जब फोन किया तो उन्होंने कहा कि तुम लोग भी आ जाओ। मैं भी अपने दोस्तों के साथ प्लेनेट मॉल चली गई। जब रेस्टोरेंट से खाना खाकर वापस लौट रही थी तो पापा ने कहा कि चलो उस पब वाले से बात करते हैं कि आखिर उस दिन उन लोगों ने टेबल बुक करने के बाद भी अंदर क्यों नहीं आने दिया। यह बात भी जानने की इच्छा थी कि आपत्तिजनक पोस्टर को सही में हटाया गया है या वही लगा हुआ है। उस समय गेट पर कोई नहीं था और हम लोग पापा के साथ अंदर चले गए । हांलाकि अंदर रोकने की कोशिश की गई। वहा आपत्तिजनक पोस्टर पहले की तरह ही लगा हुआ था। जब हम लोगों ने पोस्टर हटाने की बात कही तो वह लोग भड़क गए। इस बीच पापा की कहासुनी इस मुद्दे पर पब प्रबंधन के साथ हो गई। उन लोगों ने मारपीट शुरू कर दी। पब की महिला मैनेजर तथा बाउंसरों ने मेरे बाल खींचे। मेरे सामने ही पापा की जमकर पिटाई की गई। उन्हें काफी चोटें भी आई है।
प्रश्न: ऐसा नहीं लगता कि पब में नहीं जाना चाहिए। पब जाकर गलती कर दी।
उत्तर:मैं पब कल्चर का विरोधी नहीं हूं। मैं पब चलाने के लिए इस प्रकार की ओछी मानसिकता की विरोधी हूं। महिलाओं के आत्मसम्मान की रक्षा होनी चाहिए। लोग पब खाने-पीने और मनोरंजन के लिए जाते हैं। यह क्या मतलब हुआ कि महिलाएं और लड़किया शर्ट खोल कर आए तो उनको मुफ्त में शराब दिया जाएगा। वास्तविकता यह है कि इस तरह के पोस्टर से महिलाओं के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाया जा रहा है। यही बात मुझे काफी बुरी लगी। इसी का मैंने विरोध किया। मैं अपने परिवार वालों के साथ कई पबों में जा चुकी है। कहीं इस प्रकार से अश्लील पोस्टर मैंने नहीं देखी।
प्रश्न: आखिर पोस्टर को देखकर तब तुम्हारे मन में क्या चल रहा था। तुमने ही क्यों सोचा कि इसका विरोध होना चाहिए।
उत्तर: मुझे यह पोस्टर जरा भी अच्छा नहीं लगा। ऐसे पोस्टर जहा महिलाओं के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाते हैं, वहीं महिलाओं के खिलाफ अपराध को भी बढ़ावा दिया जाता है। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा देते हैं। ऐसी मानसिकता से हम कैसे इस नारे का साकार कर सकते हैं। मैं तो कहूंगी कि अब बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के साथ बेटियों का आत्मसम्मान बचाओ भी जोड़ना होगा।
प्रश्न: इसी सोच के साथ शायद तुमने पब वालों को पोस्टर हटाने के लिए कहा होगा।
उत्तर: सभ्य समाज में अगर इस तरह की हरकतें हो तो किसी न किसी को तो विरोध करना होगा। इस बार मैं ही सही। जिस तरह से लोग मेरा समर्थन कर रहे हैं,उससे लग रहा है कि लोग मेरे साथ हैं। समाज के लोगों को जागरूक होना पड़ेगा। महिलाओं के खिलाफ अपराध एवं आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने वाले किसी भी कार्रवाई का खुलकर विरोध करना होगा। मुझे उम्मीद है महिलाओं को न्याय जरूर मिलेगा।
प्रश्न:आखिर एफआईआर कराने की क्या आवश्यकता पड़ गई। अब आगे क्या करना है।
उत्तर: मेरा मकसद उस अपमानजनक पोस्टर को हटवाना था, जहा तक मुझे जानकारी है उस पोस्टर को हटा दिया गया है। मैं इस मामले मैं पुलिस में शिकायत भी दर्ज नहीं कराती। दरअसल मेरे साथ मारपीट की गई। मेरे आखों के सामने मेरे पापा को पीटा गया। इसलिए थाने में शिकायत करने के अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं था। मुझे पुलिस और न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है। मुझे न्याय की उम्मीद है। पुलिस दोषियों के खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई करेगी।
प्रश्न: तुमने तो इस मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तक को चिट्ठी लिखी है।
उत्तर: जी हा मैंने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी है। इंसाफ की जंग में मुख्यमंत्री का साथ भी जरूरी है। वह महिला हैं। महिलाओं का इस प्रकार से अपमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी स्वयं भी बर्दाश्त नहीं करेंगी।