जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच को हरी झंडी नहीं मिलने के विरोध में धरना-प्रदर्शन
कलकत्ता हाईकोर्ट की जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच के उद्घाटन को लेकर तृणमूल कांग्रेस से जुड़े अधिवक्ताओं ने धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है। कह रहे हैं कि केंद्र सरकार इसमें रोड़ा है।
By Rajesh PatelEdited By: Published: Sat, 08 Dec 2018 09:53 AM (IST)Updated: Sat, 08 Dec 2018 09:53 AM (IST)
सिलीगुड़ी [जागरण संवाददाता]। सिलीगुड़ी बार एसोसिएशन के टीएमसी लॉ सेल के अध्यक्ष अरिंदम मैत्री ने कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट की जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच के प्रारंभ होने में केंद्र सरकार रोड़ा बनी हुई है। केंद्र सरकार अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल कर उत्तर बंगाल की जनता के साथ अन्याय कर रही है।
वे सिलीगुड़ी कोर्ट परिसर में जलपाईगुड़ी सर्किट हाउस को अविलंब अनुमति दिए जाने के समर्थन में आयोजित धरना-प्रदर्शन को संबोधित कर रहे थे। अधिवक्ता अरुण सरकार ने कहा कि वाममोर्चा के शासनकाल में भी सर्किट बेंच वहां नहीं बने, इसका प्रयास किया गया। कई मामले दर्ज हुए थे। ममता बनर्जी ने सत्ता में आने के बाद से ही सर्किट बेंच के निर्माण में जो भी बाधाएं थीं, उन्हें दूर करते हुए उसके प्रारंभ करने की तिथि के लिए राष्ट्रपति से अनुमोदन मांगा है। अनुमति 17 सितंबर को ही देनी थी। चार माह हो गए, इस पर हस्ताक्षर कर जानकारी नहीं दी जा रही है। आखिर क्यों इस न्याय व्यवस्था को लेकर राजनीति हो रही है।
अधिवक्ता पीयूष क्रांति घोष, अधिवक्ता धिमाल बोस आदि ने कहा कि केंद्र सरकार इस बात को गंभीरता से नहीं लेती है तो आने वाले दिनों में इसको लेकर पूरे राज्य में वकील आंदोलन करेंगे। मुख्यमंत्री का ही निर्देश है कि आंदोलन के दौरान कामकाज प्रभावित नहीं होने चाहिए, इसलिए वकील मंच के माध्यम से अपनी बातें रख रहे हैं। जब तक अनुमति नहीं मिल जाती है, तब तक रोज धरना-प्रदर्शन एक घंटे तक किया जाएगा।
वे सिलीगुड़ी कोर्ट परिसर में जलपाईगुड़ी सर्किट हाउस को अविलंब अनुमति दिए जाने के समर्थन में आयोजित धरना-प्रदर्शन को संबोधित कर रहे थे। अधिवक्ता अरुण सरकार ने कहा कि वाममोर्चा के शासनकाल में भी सर्किट बेंच वहां नहीं बने, इसका प्रयास किया गया। कई मामले दर्ज हुए थे। ममता बनर्जी ने सत्ता में आने के बाद से ही सर्किट बेंच के निर्माण में जो भी बाधाएं थीं, उन्हें दूर करते हुए उसके प्रारंभ करने की तिथि के लिए राष्ट्रपति से अनुमोदन मांगा है। अनुमति 17 सितंबर को ही देनी थी। चार माह हो गए, इस पर हस्ताक्षर कर जानकारी नहीं दी जा रही है। आखिर क्यों इस न्याय व्यवस्था को लेकर राजनीति हो रही है।
अधिवक्ता पीयूष क्रांति घोष, अधिवक्ता धिमाल बोस आदि ने कहा कि केंद्र सरकार इस बात को गंभीरता से नहीं लेती है तो आने वाले दिनों में इसको लेकर पूरे राज्य में वकील आंदोलन करेंगे। मुख्यमंत्री का ही निर्देश है कि आंदोलन के दौरान कामकाज प्रभावित नहीं होने चाहिए, इसलिए वकील मंच के माध्यम से अपनी बातें रख रहे हैं। जब तक अनुमति नहीं मिल जाती है, तब तक रोज धरना-प्रदर्शन एक घंटे तक किया जाएगा।
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