प्रतिभा को प्रश्रय: सबसे पहले प्रतिभाओं के पलायन को रोकने की हर संभव कोशिश की जाए
ममता ने सोमवार को माध्यमिक व उच्च माध्यमिक में टॉप करने वाले 248 छात्र-छात्राओं को 10 हजार रुपये, लैपटॉप, किताबें व कलम दिए।
कोलकाता, जेएनएनममता सरकार द्वारा गरीबी को शिक्षा में बाधा नहीं बनने देने का आश्वासन उन जरूरतमंदों छात्रों के लिए मायने रखता है, जो अपने बलबूते पढ़ाई करने की स्थिति में नहीं हैं। कड़ी मेहनत से माध्यमिक व उच्च माध्यमिक परीक्षाओं में उत्तीर्ण हुए छात्रों को सम्मानित करने के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद यह भरोसा दिया है, जिसपर छात्र विश्वास कर आगे की पढ़ाई जारी रख सकते हैं और अपने राज्य और देश का नाम रोशन कर सकते हैं।
ममता ने सोमवार को माध्यमिक व उच्च माध्यमिक में टॉप करने वाले 248 छात्र-छात्राओं को 10 हजार रुपये, लैपटॉप, किताबें व कलम दिए। सत्ता में आने के बाद से ही ममता परीक्षाओं में टॉप करने वाले छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें सम्मानित करती हैं।
आर्थिक संकट के बावजूद इस तरह की पहल प्रशंसनीय है। व्यवस्था की यह पहली प्राथमिकता होनी चाहिए कि छात्रों के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए कारगर कदम उठाए जाएं। निश्चित रूप से इस बात को ममता समझ रही हैं और शिक्षा व्यवस्था को उन्नत करने पर जोर दे रही हैं, लेकिन एक बड़ी समस्या है शिक्षण संस्थानों में राजनीतिक दखलंदाजी।
आए दिन कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में ऐसी स्थिति बन रही है कि बच्चों से लेकर उनके अभिभावक तक चिंतित रहते हैं। जैसा कि सत्ता में आने के बाद ममता ने कहा था कि शिक्षा को राजनीति से मुक्त करेंगी लेकिन आज तक क्या यह संभव हो सका है? ऐसे में मेधावी छात्र-छात्राएं अन्य राज्यों और विदेश जाने को बाध्य हो जाते हैं, इसीलिए आवश्यक है कि शिक्षण संस्थानों को राजनीति से मुक्त किया जाए।
कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में ऐसा वातावरण तैयार किया जाए कि बच्चे बिना किसी परेशानी व चिंता के अपनी पढ़ाई जारी रख सके। ऐसा नहीं होने पर लंबे समय तक हौसले बुलंद नहीं रखे जा सकते हैं। सरकार को यह बात अच्छी तरह से पता है। इन सबके लिए जरूरी है कि शिक्षा परिसर में किसी प्रकार का दलतंत्र कायम नहीं होने दिया जाए और जो ऐसा करे, उसपर कार्रवाई की जाए।
वामो शासन के दौरान विपक्षी पार्टियां इस तरह के आरोप लगाती रहती थीं कि शिक्षा में वामपंथी लॉबी सक्रिय है, जिससे प्रतिभाशाली छात्रों को परेशानी होती है। ऐसे छात्र उब कर अन्य राज्यों में बेहतर पढ़ाई के लिए जाने को बाध्य हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में यह चिंता स्वाभाविक है कि सबसे पहले प्रतिभाओं के पलायन को रोकने की हर संभव कोशिश की जाए ताकि यहां के छात्र अन्य राज्यों का रूख न करें।