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महिला मुख्यमंत्री के राज्य में नहीं मिला प्रियंका को न्याय, वापस लौट गई यूपी

महिला मुख्यमंत्री के राज्य में एक महिला को न्याय नहीं मिला। अब वह हारकर अपने घर यूपी के मेरठ चली गई। उसे भरोसा है कि योगी सरकार जरूर न्याय दिलाएगी। पढ़िए पूरा मामला क्या है।

By Rajesh PatelEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 01:16 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 01:16 PM (IST)
महिला मुख्यमंत्री के राज्य में नहीं मिला प्रियंका को न्याय, वापस लौट गई यूपी
महिला मुख्यमंत्री के राज्य में नहीं मिला प्रियंका को न्याय, वापस लौट गई यूपी
सिलीगुड़ी [जागरण संवाददाता]। पत्नी का खोया दर्जा हासिल करने के लिए करीब 23 दिन से सिलीगुड़ी के सेवक रोड स्थित इंडियन डिफेंस इस्टेट ऑफिस परिसर में पति के सरकारी आवास के सामने माता-पिता के साथ धरने पर बैठी प्रियंका तंत्र से हार गई। उसे महिला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के राज्य की पुलिस से कोई सहयोग नहीं मिला। हारकर वह शनिवार को यूपी के मेरठ स्थित अपने घर लौट गई। कहा कि यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार की पुलिस पर भरोसा है। 
प्रियंका ने बताया कि उनके पिता जयप्रकाश सिंह इंडियन डिफेंस इस्टेस सर्विस से रिटायर्ड हैं। मां बीना देवी भी बीएसएनएल से रिटायर्ड हैं। हम लोग मेरठ के रहने वाले हैं। 28 दिसंबर 2015 को हापुड़ निवासी दीपक मोहन के साथ शादी हुई। वे इंडियन डिफेंस इस्टेट सर्विसेज में क्लास वन के ऑफिसर हैं। इस समय वे सिलीगुड़ी में पोस्टेड हैं।
पति का आरोप है कि मैं पत्नी का धर्म नहीं निभाती हूं। घर में बिना वजह कलह पैदा करती हूं। कुछ कहने पर दहेज के झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी देती हूं। सरकारी नौकरी छोड़कर मेरठ में बिजनेस करने को कहती हूं। इसी को आधार बनाकर उन्होंने कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दे दी है। जबकि ऐसा कुछ नहीं है।
प्रियंका के अनुसार दीपक मुझे पिछले वर्ष अक्टूबर में दिल्ली लेकर गए। वहां विभाग के गेस्ट हाउस में हम रुके। अगले दिन यह कहकर मेरठ भेज दिया कि आप जाओ, मैं काम निपटाकर आऊंगा तो फिर वहीं से दोनों सिलीगुड़ी चलेंगे। मैं घर चली गई। फिर फोन किया कि 12 अक्टूबर को दिल्ली गेस्ट हाउस में आओ, अब यहीं से सिलीगुड़ी चलेंगे। मैं 12 अक्टूबर को गेस्ट हाउस पहुंची तो वहां से पता चला कि एक दिन पहले 11 को ही चेकआउट कर चुके हैं। वहां से उनके घर हापुड़ गई तो वहां ताला बंद मिला। फोन किया तो ब्लॉक कर दिया था। सिलीगुड़ी आई तो यहां भी नहीं मिले।
ऑफिस के कर्मचारियों से पता चला कि उन्होंने मेरे खिलाफ तलाक का केस अदालत में कर दिया है। इनके सारे आरोप झूठे हैं। मैं इनके साथ रहना चाहती हूं, लेकिन वे घर में घुसने ही नहीं दे रहे हैं। हारकर मां और पिता को भी ले आई। अब हम तीनों करीब 23 दिन धरने पर बैठे रहे। पुलिस से भी न्याय के लिए गुहार लगाई, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। अब पिताजी की तबियत खराब हो चुकी है। लिहाजा हम सभी अपने घर मेरठ जा रहे हैं। वहां पिताजी का इलाज कराने के बाद न्याय के लिए फिर से संघर्ष किया जाएगा। प. बंगाल की पुलिस से तो निराशा ही हाथ लगी. यूपी में योगी सरकार पर भरोसा है। 

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