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West Bengal Coronavirus Lockdown effect:बच्चों को दे भावात्मक समर्थन, मोबाइल से रखे दूर: प्रिंस पारख

कोरोना के बढ़ते खतरे ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। सबसे ज्यादा चिंतित वे लोग हैं जिनके घर में बच्चे हैं हालांकि बच्चों में कोरोना वायरस के संक्रमण का केस बहुत कम ही देखने को मिला

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 01 Apr 2020 01:38 PM (IST)Updated: Wed, 01 Apr 2020 01:38 PM (IST)
West Bengal Coronavirus Lockdown effect:बच्चों को दे भावात्मक समर्थन, मोबाइल से रखे दूर: प्रिंस पारख

सिलीगुड़ी, अशोक झा। कोरोना के बढ़ते खतरे ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। सबसे ज्यादा चिंतित वे लोग हैं जिनके घर में बच्चे हैं, हालांकि बच्चों में कोरोना वायरस के संक्रमण का केस बहुत कम ही देखने को मिला है। फिर भी विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ ने संक्रमण से बचाने के लिए बच्चों का खासतौर पर ख्याल रखने की सलाह दी है। लॉकटाउन के बीच बच्चों को घर में कैद रखना मुश्किल हो रहा है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए शहर के चाइल्ड स्पेशलिस्ट प्रिंस पारख से दैनिक जागरण ने बच्चोंको इस जानलेवा खतरे से कैसे बचाएं? समेत अन्य मामलों पर बातचीत की जो कुछ इस प्रकार है।

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बच्चे और उसके कमरे को रखें साफ -सुथड़ा

डॉ पारख का कहना है अपने घर को स्वच्छ रखें।  अगर समय हो तो सुबह-शाम पूरे परिसर को कीटाणुनाशक से सफाई करते रहें। उनके खिलौन भी कीटाणुनाशक से साफ करें। नाखूनों को भी साफ रखें क्योंकि उसमें छिपे वायरस बच्चे को नुकसान पहुंचा सकते हैं। बच्चों को साबुन-पानी से लगातार हाथ धोना सिखाएं। आज इस चुनौतीपूर्ण समय के दौरान बच्चे को भावनात्मक समर्थन देना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सीधे उसके मानसिक स्थिति पर प्रभाव डालता है और बच्चों में एंजायटी एवं डिप्रेशन जैसी समस्या पैदा कर सकता है।

गलत जानकारी से दूरी बनाने जरूरी

डॉ पारख ने कहा कि  बच्चों में कोरोना वायरस संबंधित जानकारी जरूरी है लेकिन बहुत अधिक जानकारी का उल्टा प्रभाव हो सकता है। बच्चों में यह विश्वास पैदा करें कि वे सुरक्षित हैं देशभर के डॉक्टर, वैज्ञानिक इस पर काम कर रहे हैं और हमारी रक्षा करने और सुरक्षित रहने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।बच्चों के उसकी उम्र के ही अनुसार सही और सटीक तथ्य के बारे में बात करें।

डर लगने वाले प्रोग्राम से रखें दूर

डॉक्टर पारख ने  केे कहांं की जिन चीजों से बच्चे डर सकते हैं से उससे दूर रखें । जैसे  टेलीविजन या सोशल मीडिया पर देखी है ऐसे भयावह प्रोग्राम से बच्चों में ओवरस्ट्रेस होता है ।अतः ऐसे टीवी चैनलों एवं सोशल मीडिया को सीमित करें।  इस दौरान बच्चों में स्वस्थ आदतों को प्रोत्साहित करें जैसे हाथों को साफ रखना, भरपूर नींद लेना, उचित भोजन खाना।

बच्चे को मोबाइल ना दें

डॉक्टर का कहना है कि अपने बच्चे को समझाएं कि इंटरनेट पर कोविड-19 के बारे में कई जानकारियां अफवाहें हो सकती है।बड़े बच्चे विशेष रूप से ऑनलाइन और मित्रों से बहुत अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। जिसमें गलतियां हो सकती हैं, इसलिए अपने बच्चे से इस बीमारी के बारे में बात करें और सही जानकारी हीं दें। इन सबसे ऊपर इस घड़ी में अपने बच्चों के साथ अच्छी गतिविधियों में समय बताएं जैसेकि एक साथ किताबें पढ़ना, पहेलियां करना, पेंटिंग करना इत्यादि ।

आदत में बदलाव लाना जरूरी

डॉ पारख  का  कहना है कि अपने बच्चों को किसी भी संक्रमित व्यक्ति के आस पास न जाने दें। खांसी जुकाम और बुखार से पीड़ित लोगों से उन्हें दूर रखें। बच्चों को पानी खूब पिलाएं। उन्हें अच्छे से खाना खिलाते रहें ताकि उसकी इम्युनिटटी बनी रहे। ऐसी कोई भी चीज न दें जिससे इनका गला खराब हो।

बच्चे कोडराएं नहीं : तमाम तरह की खबरें सुनकर बच्चों के मन में वैसे ही कई सवाल होंगे, इसलिए जरूरी है कि आप उन्हें डराएं नहीं बल्कि सही जानकारी दें। आपको अपने बच्चे की चिंता दूर करनी होगी। उसे बताना होगा कि कोरोना वायरस  ही वैसा ही वायरस हैै, जैसा आपको खांसी -जुकाम होने या डायरिया और उल्टी होने पर हमला करता है।

चिड़चिड़ा होने से बचाएं

डॉ पारख क्या कहना है छुट्टियां बच्चों के लिए मस्ती लेकर आती हैं। कोरोना की वजह से स्कूल बंद हैं और सारे बच्चे घर पर हैं। वह अक्सर बाहर खेलने जाने की जिद करते हैं, आप मना करेंगे तो वह चिड़चिड़े हो जाएंगे। ऐसे में उनका साथ देना होगा। उन्हें इंडोर गेम्स, नृत्य-गायन जैसी चीजों में व्यस्त रखें।

बच्चे के  गुस्से पर  कैसे पाएं काबू  

डॉ पारख का कहना है की बच्चा है तो नखरा करेगा ही। उसके नखरों पर अपने बाल नोचने से बेहतर है कि नखरों से डील करने का तरीका विकसित किया जाए । कहीं आपका छोटा बच्चा भी बात-बात पर नाराज होकर, गुस्से में मुंह लाल कर,जोर-जोर से चीखना-चिल्लाना या फर्श पर लेटना तो शुरू नहीं कर देता? यह बच्चों के वो नखरे हैं जो विशेषकर 1 से 3 साल तक के बच्चे जरूर करते हैं। इस तरह के नखरे उनकी आदत में शुमार होते हैं। 

परिवार समझें बच्चे की जरूरत

डॉक्टर पारख आपके लिए सबसे पहले बच्चे के गुस्से के पीछे की प्रमुख वजह को जानना और समझना जरूरी है। आपको समझना होगा कि किस कारण आपका बच्चा इतनी जिद कर रहा है? कहीं वह भूखा तो नहीं? या उसे नींद तो नहीं आ रही या किसी और वजह से वह परेशान तो नहीं हो रहा है? आपका मुख्य मकसद उसकी परेशानी का हल तलाशना होना चाहिए। अगर ऐसी कोई संभावना नजर नहीं आए, तो हो सकता है वह सिर्फ आपका समय चाहता हो। बच्चे के गुस्से को अनदेखा कर कुछ वक्त सिर्फ उसके साथ बिताएं। थोड़ी देर बाद वह खुद ही सामान्य हो जाएगा।

बच्चे का ध्यान भटकाएं

डॉ पारख ने कहा कि आसान शब्दों में कहा जाए, तो बच्चे की जिद को खत्म करने के लिए उसको किसी दूसरे काम में व्यस्त कर दें। उदाहरण के लिए जैसे ही मेरी भांजी चॉकलेट खाने की जिद करती है और जिद ना पूरी होने पर, वह जब जोर-जोर से चिल्लाने लगती है तो चॉकलेट से उसका ध्यान हटाने के लिए मैं टीवी पर कोई अच्छा-सा कार्टून चला देती हूं। इससे बच्चे का ध्यान भटक जाता है और चॉकलेट को लेकर पिछले एक घंटे से चल रही उसकी जिद भी बंद हो जाती है। अपने बच्चे के नखरों पर काबू पाने के लिए आप भी ऐसी ही कोई तरकीब आजमा सकती हैं।

प्यार से लगाएं गले, बच्चे को डांटने से बचे

पारख का कहना है कि जब आपका बच्चा बहुत ज्यादा गुस्से में हो, तब उसे डांटने या झिड़कने से अच्छा है कि उसकी डिमांड को समझने की कोशिश करें। उसके गुस्से को अनदेखा करने से अच्छा है कि उसे प्यार से गले लगाएं । प्यार से समझाने की आपकी कोशिशों पर बच्चा हमेशा सकारात्मक प्रतिक्रिया दे, यह जरूरी नहीं है। पर, आपके ऐसा करने से उसे सुरक्षा जरूर महसूस होगी और वह जल्द ही अपना गुस्सा भूल जाएगा। ऐसा तो नहीं कि आप हर बात पर बच्चे को ना ही कहती हों? हर बात पर ‘ना’ कहने का आपका तरीका ठीक नहीं। बच्चे के साथ आपको थोड़ी ज्यादा समझदारी बरतने की जरूरत है।


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