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पोलियोमुक्त देश बनाना चाहते हैं पोलियोग्रस्त बुजुर्ग देवाशीष

-भाई के साथ निकले साइकिल यात्रा पर -विदेश से मंगाई विशेष प्रकार की साइकिल -चाय बागानों

By JagranEdited By: Published: Fri, 11 Oct 2019 07:11 PM (IST)Updated: Fri, 11 Oct 2019 07:11 PM (IST)
पोलियोमुक्त देश बनाना चाहते हैं पोलियोग्रस्त बुजुर्ग देवाशीष
पोलियोमुक्त देश बनाना चाहते हैं पोलियोग्रस्त बुजुर्ग देवाशीष

-भाई के साथ निकले साइकिल यात्रा पर

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-विदेश से मंगाई विशेष प्रकार की साइकिल

-चाय बागानों में श्रमिकों को करेंगे जागरूक जागरण संवाददाता,बागडोगरा:कोलकाता के साल्टलेक के रहने वाले 62 साल के देवाशीष साह पूरे देश से पोलियो दूर भगाना चाहते हैं। वह नहीं चाहते की जिस कष्ट को वह जिंदगी भर भोगते रहे हैं वह कोई दूसरा भोगे। यही कारण है कि वह पोलियो से बचने के लिए पिछले कई वषरें से लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं। देवाशीष साह अपने भाई जयदेव साह के साथ साइकिल यात्रा पर निकले हैं। पूरे देश में घूम-घूम कर लोगों को पोलियो से बचने के लिए जागरूक कर रहे हैं। शुक्रवार को वह अपने भाई के साथ बागडोगरा पहुंचे। वह सोमवार को कोलकाता से साइकिल लेकर यात्रा पर निकले थे। करीब 500 किलोमीटर सड़क पार कर वह बागडोगरा पहुंचे। रास्ते में कई स्थानों पर रुके एवं आम लोगों को पोलियो के प्रति जागरूक किया। देवाशीष स्वयं भी पोलियोग्रस्त हैं। उनके दाहिने पैर में पोलियो है। उन्होंने बताया कि जब वह डेढ़ वर्ष के थ,े तभी उन्हें पोलियो की बीमारी हो गई थी। जैसे-जैसे वह बड़े होते गए उन्हें पता चल गया कि आखिर यह बीमारी कितनी खतरनाक होती है। उनका जीवन दूभर हो गया था। फिर भी परिवार के सहयोग से वह लगातार पोलियो से संघर्ष करते रहे। जब बड़े हो गए तभी उन्होंने ठान लिया था कि वह आमलोगों को पोलियो बीमारी के प्रति सचेत करेंगे। पिछले कई सालों से वह साइकिल यात्रा पर निकले हैं । पहले वह हर दिन करीब करीब 10 किलोमीटर साइकिल ही चला पाते थे और पोलियो के प्रति आम लोगों को जागरूक करते थे। इस काम में अब उनके छोटे भाई जयदेव साह भी सहयोग दे रहे हैं। पहले उनके पास एक साधारण सी साइकिल थी। जिसकी वजह से ज्यादा दूर जा पाना संभव नहीं होता था। उन्होंने एक विशेष प्रकार की साइकिल विदेश से मंगाई है। उसका कुछ मॉडिफिकेशन भी किया गया है। दोनों भाई एक साथ साइकिल चलाते हैं। साइकिल में दो पैडल के साथ गियर भी लगे हुए हैं। जिससे पहाड़ पर भी साइकिल चलाने में आसानी होती है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2000 से ही वह लगातार पोलियो के प्रति अभियान चला रहे हैं। उनकी योजना दार्जिलिंग जाने की है। वह एक रात सिलीगुड़ी में रुकने के बाद दूसरे दिन दार्जिलिंग रवाना जाएंगे। उन्होंने बताया है कि तराई तथा दार्जिलिंग के चाय बागान में पोलियो की समस्या देखी गई है। इसी कारण से वह चाय बागानों में जागरूकता पर जोर दे रहे हैं। अपनी यात्रा के दौरान वह सिलीगुड़ी तथा दार्जिलिंग के कई चाय बागानों में जाएंगे और चाय श्रमिकों को जागरूक करेंगे। सोमवार को वह कोलकाता वापस लौट जाएंगे।


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