पितृ पक्ष आज से,17 को समापन
जागरण संवाददाता सिलीगुड़ी हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद श्राद्ध करना बेहद जरूरी माना जाता है। मान्य
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी :
हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद श्राद्ध करना बेहद जरूरी माना जाता है। मान्यतानुसार अगर किसी मनुष्य का विधिपूर्वक श्राद्ध और तर्पण ना किया जाए तो उसे इस लोक से मुक्ति नहीं मिलती और वह भूत के रूप में इस संसार में ही रह जाता है।
इस संबंध में आचार्य पंडित यशोधर झा का कहना है की ब्रह्म पुराण के अनुसार जो भी वस्तु उचित काल या स्थान पर पितरों के नाम उचित विधि द्वारा ब्राह्मणों को श्रद्धापूर्वक दिया जाए, वह श्राद्ध कहलाता है। श्राद्ध के माध्यम से पितरों को तृप्ति के लिए भोजन पहुंचाया जाता है। पिंड रूप में पितरों को दिया गया भोजन श्राद्ध का अहम हिस्सा होता ह पितरों की शाति के लिए हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल पूíणमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक के काल को पितृ पक्ष श्राद्ध होते हैं। अगस्त तर्पण के साथ ही इस बार पितरों का तर्पण पहले दिन से ही शुरू हो जायेगा। एक पखवाड़े तक चलने वाले पितृपक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जायेगा। पितृपक्ष का समापन आश्विन मास की अमावस्या यानी 17 सितंबर को होगा। इस पखवारे के दौरान श्रद्धालु गंगा सहित पवित्र अन्य नदियों के किनारे और घरों में श्रद्धालु अपने अपने पितरों को याद करके पिंडदान श्राद्ध व तर्पण करेंगे। हालाकि सनातन धर्म को माननेवाले जो तर्पण के अधिकारी हैं, को तो सालों भर नित्य देवता, ऋषि एवं पितर का तर्पण करना चाहिए।ऐसा नहीं कर सकें तो कम-से-कम पितृपक्ष में तो अवश्य तर्पण, अन्नदान, तथा संभव हो तो पार्वण श्राद्ध करना चाहिए। मान्यता है कि तर्पण करने से देव ऋषि तथा पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है तथा जन्म कुंडली का पितृ दोष का निवारण होता है