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मकर संक्रांति : पश्चिम बंगाल में खुशियों का मीठा व प्यारा इजहार है पीठा

यूं तो बंगाल में पीठा साल भर बनाया खाया जाता है लेकिन सर्दी वाला पूस व माघ महीना पारंपरिक रूप में इसके लिए खास है। इन महीनों में घर-घर में पीठा छा जाता है। खासकर मकर पर तो और...

By Rajesh PatelEdited By: Published: Mon, 14 Jan 2019 11:45 AM (IST)Updated: Mon, 14 Jan 2019 11:45 AM (IST)
मकर संक्रांति : पश्चिम बंगाल में खुशियों का मीठा व प्यारा इजहार है पीठा
मकर संक्रांति : पश्चिम बंगाल में खुशियों का मीठा व प्यारा इजहार है पीठा
सिलीगुड़ी [इरफ़ान-ए-आज़म]। मकर संक्रांति हो और पश्चिम बंगाल में पीठा की मिठास न हो, ऐसा हो नहीं सकता। अपनी धनी सांस्कृतिक विरासत के लिए विश्व विख्यात पश्चिम बंगाल स्वाद के मामले में भी किसी से कम नहीं है। सर्दी के मौसम में तो खास कर यहां स्वाद की गर्मी छा जाती है। घर-घर में पीठा ही पीठा, पीठा ही पीठा। एक से बढ़ कर एक तरह-तरह का पीठा। सचमुच, ये पीठे इतने सुंदर व स्वादिष्ट होते हैं कि देखते ही आंखों में चमक और मुंह में पानी आ जाए। ये पीठे इतने स्वादिष्ट होते हैं, इतने स्वादिष्ट होते हैं कि इसका स्वाद पाने को शुगर का मरीज भी अपना मर्ज़ भूल जाता है।

यूं तो बंगाल में पीठा साल भर बनाया खाया जाता है लेकिन सर्दी वाला पूस व माघ महीना पारंपरिक रूप में इसके लिए खास है। इन महीनों में घर-घर में पीठा छा जाता है। चावल के आटे की लोई में भरे मीठे नारियल के बारीक बुरादों वाले व तरह-तरह के पीठे शुद्ध देसी खजूर के गुड़ की मीठी-मीठी खुशबूदार पतली चाशनी में डूबे सबको स्वाद के लालच में डूबो देते हैं।

पश्चिम बंगाल (बांग्लादेश में भी) व त्रिपुरा, असम, मेघालय व उड़ीसा में पीठा की परंपरा कोई नई-नई नहीं है। यह सदियों पुरानी है। बंगाल में इसकी बात ही निराली है। मानसून के मौसम में बोए जाने वाले धान की फसल जब पक कर तैयार हो जाती है और सर्दी के मौसम में कट कर घर-घर में आ जाती है तब यह पर्व-त्योहारों की रौनक़ भी बढ़ा देती है। यह नया चावल, नया अन्न, बांग्ला में कहें तो 'नबो-अन्नो' बंगाल में घर-घर में 'नबान्नो' 'पौष पार्बोन' (पौष पर्व) या मकर-संक्रांति पर्व की शान बन जाता है।

यह नया चावल पहले आटा बना दिया जाता है और फिर उससे बनते हैं तरह-तरह के लज़ीज़ पीठे। तेलेर पीठा (तेल में फ्राई कर बनाया गया), भापा पीठा (गर्म भाप से उबाल कर बनाया गया), पाकान पीठा, पूली पीठा, बेनी पीठा, दूधेर पीठा, भिजा पीठा, चंद्रो पूली, मूगेर पूली, दूध पूली, नकशी पीठा, पाटी-शपटा, ताल पीठा (ताड़ फल से बना), मूग पाकोन, गोकुल, चुई पीठा या चुटकी पीठा ये सब बंगाल के पारंपरिक पीठे हैं। जितने तरह के नाम, उतने तरह के स्वाद।
ये पीठे चावल के आटे, खजूर के गुड़, चीनी, ताड़ फल के रस, नारियल के बुरादे, काजू, पिस्ता, मीठे फल, मीठी सब्जी आदि से तरह-तरह की प्रक्रिया द्वारा बनाए जाते हैं। ऊपर से इलायची, गुलाब फूल, गुलाब जल, मोगरा आदि की मदद से इसमें खुशबू का फ्लेवर दिया जाता है। तेल या घी में तल कर, आग में भून कर या भाप में उबाल कर कई तरीकों से पीठा बनाया जाता है। यह खास कर सुबह नाश्ते में व शाम में हल्के नाश्ते के रूप में खाया जाता है। इसकी गर्म तासीर सर्दी के मौसम में लोगों को गर्मी बख्शती है। इसमें उपयोग किए जाने वाले खजूर के गुड़, ताड़ फल व सूखे मेवे इन पीठों को स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायक बना देते हैं। बंगाल में पीठा लोग खूब खाते-खिलाते हैं। केवल स्वाद का बांटना ही नहीं है बल्कि खरीफ की नई फसल विशेष कर धान की फसल की खुशियों का इज़हार है पीठा। रिश्तों में गर्मी, मिठास व प्यार है पीठा। 

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