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उठ रहे हैं सवाल-पार्क को क्यों नहीं बनाया नो होर्डिग जोन

-काली कमाई के लिए कुछ लोगों ने चली नायाब चाल -सौंदर्यीकरण के नाम पर आमलोगों तथा सरक

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 07:42 PM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 07:42 PM (IST)
उठ रहे हैं सवाल-पार्क को क्यों नहीं बनाया नो होर्डिग जोन
उठ रहे हैं सवाल-पार्क को क्यों नहीं बनाया नो होर्डिग जोन

-काली कमाई के लिए कुछ लोगों ने चली नायाब चाल

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-सौंदर्यीकरण के नाम पर आमलोगों तथा सरकार को दिया झांसा

-बड़े-बड़े विज्ञापन लगाकर हर साल डकार रहे हैं लाखों रुपये -महानंदा ब्रिज के दोनों ओर बने पार्क में कोई विज्ञापन नहीं

-भक्ति नगर थाना के सामने पार्क में कौन लगवा रहा है विज्ञापन

-मुंशी प्रेमचंद्र की प्रतिमा स्थापित करने की उठने लगी मांग

सौंदर्यीकरण के नाम पर धोखा-3

फोटो- जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी को पर्यटन का मुख्य केंद्र बनाने के लिए राज्य पर्यटन विभाग पूरा जोर लगा रहा है। शहर में जहां-तहां लाइटिंग की जा रही है। पर्यटन विभाग द्वारा 'बंगाल एक्सपेरिएंस' के बोर्ड भी सिलीगुड़ी में लगाए गए हैं। पार्को को सजाया संवारा जा रहा है। सड़क किनारे के पार्क तथा शहर के इर्द-गिर्द कई पार्को को नो-होर्डिग जोन घोषित किया गया है। उन पार्को में व्यवसायिक विज्ञापन या होर्डिग लगाने की मनाही है। लेकिन आश्चर्यजनक बात यह है कि भक्ति नगर थाने के सामने जो पार्क है उसको 'नो होर्डिग जोन' नहीं बनाया गया है। लोगों के मन में यह सवाल उठना जायज है कि कुछ लोग विज्ञापन होर्डिग लगाकर मोटी रकम कमाने के लिए ही तो इस पार्क को नो होर्डिग जोन घोषित होने में बाधा दे रहे हैं या ऐसा होने नहीं दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि उस पार्क का उपयोग कामर्शियल होर्डिग में हो रहा है और मोटी रकम कमाई जा रही है। जबकि बहुत कम टैक्स नगर निगम को मिल रहा है। बाकी के पैसे किसकी जेब में जा रहे हैं,इसकी जानकारी किसी को नहीं है। लोगों का यह भी कहना है कि जब सरकारी राजस्व नहीं मिले तो फिर इस पार्क को भी नो होर्डिग जोन बनाकर सिर्फ पार्क ही क्यों नहीं रहने दिया जाता। यह जगह सिलीगुड़ी के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसके चारो तरफ सड़क निकले हुए हैं। पहले भी इसका उल्लेख किया जा चुका है कि पार्क के एक तरफ इस्टर्न बाइपास का रोड निकला है, तो एक तरफ सेवक होते हुए सिक्किम तथा जलपाईगुड़ी के तरफ जाने वाली सड़क निकली है। जबकि दूसरी तरफ दार्जिलिंग मोड़ की ओर सड़क गुजरी है, पार्क के दूसरे साइड से सिलीगुड़ी शहर के तरफ निकली है। भक्ति नगर थाने के सामने इस आइलैंड से लगभग दो किलोमीटर दूरी पर ही बंगाल सफारी पार्क है। लगभग 15 किलोमीटर दूर गाजोलडोबा में राज्य सरकार महत्वाकांक्षी पर्यटन स्थल 'भोरेर आलो' बना रही है। इस पार्क या कहें आइलैंड के चारो तरफ से सड़कें गुजरी है। इसे भी नो होर्डिग जोन' घोषित कर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उपयोग करना चाहिए। पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि जिस तरह से सिलीगुड़ी शहर में घुसने से पहले एयरभ्यू के निकट महानंदा ब्रिज के दोनों ओर स्थापित पार्क को 'नो होर्डिग जोन' घोषित करते हुए उसका पूरी तरह से सौंदर्यीकरण कर दिया गया है,इसी तरह से भक्ति नगर थाना के सामने वाले पार्क का सौंदर्यीकरण करते हुए 'नो होर्डिग जोन' घोषित किया जाना चाहिए। इन लोगों का यह भी कहना है कि सिलीगुड़ी शहर में महानंदा ब्रिज के से जितनी गाड़ियों की आवाजाही होती है,उससे अधिक गाड़ियां भक्ति नगर थाना के सामने स्थित पार्क के निकट से गुजरती है। सिलीगुड़ी शहर के अलावा सिक्किम, दार्जिलिंग, बिहार, कोलकाता समेत अन्य जगहों के लोग आते-जाते हैं। अगर पर्यटन विभाग व उत्तर बंगाल विकास विभाग इस जगह पर ध्यान दे तो इस जगह को लोगों के लिए एक यादगार स्थान के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।

कुछ सामाजिक संगठनों का कहना है कि सिलीगुड़ी नगर निगम क्षेत्र में ज्यादातर छोटे-बड़े पार्को में किसी न किसी महापुरुष, खिलाड़ी, पर्वतारोही व साहित्यकार की प्रतिमा लगाई गई है। जबकि सिलीगुड़ी में कहीं भी उपन्यास सम्राट के नाम से मशहूर मुंशी प्रेमचंद की प्रतिमा नहीं है। शहर में विज्ञापन होर्डिग लगाने के लिए बहुत जगह है, लेकिन किसी प्रसिद्ध व्यक्तित्व का प्रतिमा लगाने के लिए उपयुक्त जगह कहीं नही मिलती है। ऐसी स्थिति में इस पार्क में मुंशी प्रेमचंद की प्रतिमा स्थापित की जानी चाहिए।


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