शिक्षा की उजली दुनिया से प्यारी लगने लगी है हवस की अंधेरी दुनिया
-बच्चों के बहकते कदम से उड़ी सबकी नींद -अंधेरा होने से पहले जागें मा-बाप व शिक्षक -सीबीएसई स्
-बच्चों के बहकते कदम से उड़ी सबकी नींद
-अंधेरा होने से पहले जागें मा-बाप व शिक्षक
-सीबीएसई स्कूलों के संयुक्त मंच की शीघ्र होगी बैठक तेरा मुंडा बिगड़ा जाए-3
-कंप्यूटर, लैपटॉप, टैब व स्मार्ट फोन के जरिये ओवर-स्मार्ट हो रहे बच्चे
-वक्त रहते नहीं उठाए गए कदम तो भयावह हो सकते हैं परिणाम
-ऑनलाइन एजुकेशन में किताब व शबाब के बीच हिसाब जरूरी जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : एक न दिख सकने वाले कोरोना वायरस ने दुनिया को बहुत कुछ दिखा दिया है। अब चीजें नॉर्मल नहीं रह गई हैं। न्यू नॉर्मल हो गई हैं। इससे शिक्षा जगत भी अछूता नहीं है। कल तक चहारदीवारी से घिरे स्कूल के कमरों में निगरानी भरी कैद कक्षाएं अब बेपरवाह व आजाद हो कर मुट्ठी-चुटकी में आ गईं हैं। अब घर के किसी एकात कोने में बैठ कर या फिर कहीं से भी विद्यार्थी ऑनलाईन लिख-पढ़ रहे हैं। आस-पास कोई देखने वाला नहीं है कि वह हकीकत में पढ़ ही रहे हैं या कुछ और ही गुल खिला रहे हैं। इस अजीब-व-गरीब आजादी का कुछ बच्चे कुछ <स्हृद्द-क्तञ्जस्>और ही फायदा<स्हृद्द-क्तञ्जस्> उठाने में लगे हैं। वह <स्हृद्द-क्तञ्जस्>और ही फायदा<स्हृद्द-क्तञ्जस्> है किताब की गोद से उठ कर शबाब की आगोश में जा बैठना। जी हा, यह कान खड़े कर देने वाली हकीकत कोई बड़ी-बड़ी महानगरी नहीं बल्कि छोटी ़सी नगरी सिलीगुड़ी की भी है। यहा गत दो महीने में चार ऐसे नए मामले सामने आए हैं कि जिसे जान कर लोग दातों तले अंगुली दबाने को मजबूर हो जाएं।
सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट के साइबर सेल की नजरों में सिलीगुड़ी के विभिन्न स्कूलों के विद्याíथयों के द्वारा सोशल मीडिया पर बनाए गए चार सेक्स ग्रुप के मामले आए हैं। ये सेक्स ग्रुप बनाने वाले सिलीगुड़ी के दो अंग्रेजी माध्यम प्राइवेट स्कूल और दो बाग्ला माध्यम सरकारी स्कूलों के आठवीं से 12वीं कक्षाओं के विद्यार्थी हैं। फेसबुक के चैटिंग ऐप मैसेंजर में पाए गए ये सेक्स ग्रुप क्लोज ग्रुप हैं। इनमें कोई बाहरी अनजान व्यक्ति शामिल नहीं हो सकता। केवल जान-पहचान वाले ही इसमें सदस्य हो सकते हैं। इन ग्रुपों में पोर्न वीडियो और लड़कियों की अश्लील व नग्न तस्वीरें और वीडियो पाए गए हैं। पुलिस के अनुसार ग्रुप के सदस्य विभिन्न पोर्न साइट्स से सेक्स वीडियो और लड़कियों की अश्लील व नग्न तस्वीरों और वीडियो डाउनलोड कर शेयरिंग करते-कराते हैं। यहा तक कि प्रेमी व प्रेमिकाओं के भी आपसी विशेष मुहूर्त या फिर एकात की यौन क्रीड़ाओं की तस्वीरें और वीडियो भी लीक कर वायरल कर दिए जा रहे हैं। इतना ही नहीं उससे संबंधित विद्याíथयों विशेष कर छात्राओं को ब्लैकमेल भी किया जा रहा है। सामाजिक लाज-शर्म के डर से उस ब्लैक मेलिंग के चलते छात्राओं को बार-बार यौन शोषण व यौन उत्पीड़न का शिकार होना पड़ रहा है। यहा तक कि कच्ची उम्र के किशोर भी यौन शोषण व उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं। इस बारे में प्रबुद्ध जनों का कहना है कि यदि वक्त रहते आवश्यक व सही कदम नहीं उठाए गए तो यह अंधेरी दुनिया बच्चों को और भी अंधेरे गर्त में ले जाएगी। उसका परिणाम कल्पनाओं से भी ज्यादा भयावह हो सकता है।
सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस के डीसीपी (हेडक्वार्टर) जय टुडू ने भी पुष्टि की है कि इस प्रकार के कुछ मामले दर्ज हुए हैं। इस बाबत शिक्षकों और अभिभावकों, विशेषकर छात्राओं को बहुत ही बहुत सतर्क रहने की जरूरत है। सिलीगुड़ी साइबर क्राइम थाना के अतिरिक्त प्रभारी शुभाशीष चाकी भी कहते हैं कि ऑनलाईन एजुकेशन समाज के लिए एकदम नया-नया है। ऐसे में विद्याíथयों विशेष कर छात्राओं को जहा बहुत ही सचेत रहने की जरूरत है वहीं शिक्षकों और अभिभावकों को भी इसकी विशेष निगरानी करते रहने की भी आवश्यकता है। इस दिशा में बड़े स्तर पर सामाजिक जागरूकता भी आवश्यक है।
कई स्कूलों के बच्चे कर रहे हैं ऐसा खेल
1.शिक्षा जगत से जुड़े एक शिक्षक ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ऐसे कोई एक दो नहीं बल्कि अनेक मामले हैं। कई स्कूलों के विद्याíथयों द्वारा इस तरह के कार्यो को अंजाम देने की शिकायतें हुई हैं। मगर, सारी की सारी शिकायतें स्कूल स्तर पर ही दबा दी गई हैं। कानों-कान किसी को भनक तक नहीं लगने दी गई है।
2.कई मामलों में तो विद्याíथयों के आगे अभिभावक भी बेबस नजर आए हैं। वह यह भी कहते हैं कि, चूंकि, स्कूल की कक्षाएं ऑनलाईन स्थानातरित हो गई हैं, इसलिए माता-पिता अब बच्चों को कंप्यूटर, लैपटॉप, टैब व स्मार्ट फोन से दूर रहने के लिए भी मजबूर नहीं कर सकते हैं।
3.इसके साथ ही दफ्तर और व्यवसाय व घर के कामकाज में ही माता-पिता इतनी सारी समस्याओं और व्यस्तताओं का सामना कर रहे होते हैं कि वे यह निगरानी कर ही नहीं पाते कि उनका बच्चा ऑनलाईन क्या कर रहा है? इसका फायदा उठा कर बच्चे नादानी में ओवर स्मार्ट होते जा रहे हैं।
4.बच्चे पोर्न वेबसाइट सìफग, न्यूड व एडल्ट फोटो और वीडियो शेयरिंग, सेक्स चैट, फोन-ओ-सेक्स, वेब सेक्स और न जाने क्या-क्या गुल खिलाने लग जा रहे हैं।
5.इन बहकते कदमों को समय रहते नहीं रोका गया तो इसकी परिणति स्वरूप बहुत भयावह अपराध भी सामने आ सकते हैं जो संबंधित बच्चों और उनके परिवार, यहा तक कि समाज को भी गहरे प्रभावित कर सकते हैं।
6.ऐसे मामलों में जहा विद्याíथयों की काउंसलिंग बेहद जरूरी है वहीं यह भी जरूरी है कि सामाजिक लाज व शर्म के चलते छात्राएं लगातार यौन शोषण का शिकार न होती रहें। वे अपनी चुप्पी तोड़ कर सामने आएं और पुलिस-प्रशासन की मदद लेकर दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाएं। क्या कहते हैं नॉर्थ बंगाल सहोदय स्कूल कंपलेक्स के अध्यक्ष
इस बारे में सिलीगुड़ी समेत पूरे उत्तर बंगाल के सीबीएसई स्कूलों के संयुक्त मंच नॉर्थ बंगाल सहोदय स्कूल कंपलेक्स के अध्यक्ष डॉ. एस.एस. अग्रवाल कहते हैं कि अभी तक हमारे किसी भी सदस्य स्कूल में या उनकी ओर से आधिकारिक रूप में ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है। मगर, फिर भी कहीं इस तरह की कोई घटना है तो यह अत्यंत निंदनीय व चिंतनीय है। इस बाबत शिक्षकों और अभिभावकों को पूर्ण चिंतन-मनन कर आवश्यक समाधान निकालने की आवश्यकता है। एक और अहम पहलू यह भी कि इसके लिए ऑनलाईन एजुकेशन को दोष नहीं दिया जाना चाहिए। वर्तमान कोरोना महामारी के भीषण संकट काल में ऑनलाईन एजुकेशन समय की जरूरत है। वैसे, हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। अच्छे भी और बुरे भी। यह उपयोगकर्ता के विवेक पर निर्भर है कि वह उसका सदुपयोग करता है या दुरुपयोग करता है। इस दिशा में विद्याíथयों की निजी सजगता, शिक्षकों और अभिभावकों की नियमित निगरानी और आम सामाजिक जागरूकता बहुत ही आवश्यक है। वैसे, इस दिशा में हमारे नार्थ बंगाल सहोदय स्कूल कंपलेक्स के सदस्य स्कूलों की बैठक कर भी हम लोग एक आम सहमति के अनुरूप आवश्यक दिशा-निर्देश तैयार करेंगे जिसका अनुपालन सुनिश्चित कर इस तरह के अपराध को समय रहते नियंत्रित किया जा सके।