दुर्गा प्रतिमा विसर्जन पर एनजीटी ने राज्य सरकार से मांगा जवाब
नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) ने दुर्गा पूजा के बाद मूर्तियों के विसर्जन से होने वाले जल प्रदूषण को लेकर राज्य सरकार को नोटिस कर जवाब मांगा है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) ने दुर्गा पूजा के बाद मूर्तियों के विसर्जन से होने वाले जल प्रदूषण को लेकर राज्य सरकार को नोटिस कर जवाब मांगा है। इस बारे में राज्य सरकार को 24 सितंबर से पहले हलफनामा दायर कर यह बताने के लिए कहा गया है कि मूर्तियों के साथ मौजूद रसायनिक रंगों, कपड़ों एवं अन्य वज्र्य पदार्थो को विसर्जन के दौरान गंगा व अन्य नदियों में नहीं जाने देने के लिए क्या कदम उठाया गया है।
दरअसल, कोलकाता सहित पूरे राज्यभर में बड़े पैमाने पर दुर्गा पूजा का आयोजन होता है और मूर्तियों को गंगा या आसपास की नदियों में विसर्जित किए जाने से जल प्रदूषण का खतरा रहता है। पिछले साल छह अक्टूबर को अंबरनाथ सेनगुप्ता नामक व्यक्ति ने एनजीटी ने एक याचिका दायर कर नदियों में विसर्जन पर रोक लगाने की मांग की थी। इसी मामले में सुनवाई करते हुए एनजीटी ने प्रदूषण की रोकथाम के लिए जवाब मांगा है।
जानकारी के मुताबिक, सुनवाई के दौरान एनजीटी की पीठ ने स्पष्ट कहा कि नदियों में रहने वाले जीवों की सुरक्षा एवं नदियों को साफ- सुथरा रखने के मद्देनजर राज्य सरकार को यह बताना होगा कि प्रतिमा विसर्जन में जल प्रदूषण रोकथाम के लिए राज्य सरकार क्या कदम उठा रही है।
इसके साथ ही यह भी बताने को कहा गया है कि नगर निगमों, पालिकाओं और अन्य संबंधित विभागों ने विसर्जन के बाद साफ- सफाई आदि के लिए क्या व्यवस्थाएं की है।
गौरतलब है कि इससे पहले साल 2010 में एनजीटी ने प्रदूषण की रोकथाम के लिए यह स्पष्ट निर्देश दिया था कि किसी भी प्रतिमा की ऊंचाई 20 फीट और प्रतिमा से जुड़ी रचनाओं की ऊंचाई 40 फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए। लेकिन, एनजीटी की सख्ती के बावजूद पूजा आयोजकों ने इसे हमेशा ही दरकिनार किया है।
इधर, राज्य सचिवालय नवान्न के सूत्रों ने बताया कि उत्तर बंगाल के दौरे से लौटने के बाद मुख्यमंत्री कोलकाता में प्रमुख पूजा आयोजकों के साथ एक विशेष बैठक करेंगी जिसमें सुरक्षा और प्रदूषण के रोकथाम पर विशेष तौर पर चर्चा की जाएगी।