कोरोना काल में अब बैंड,बाजा और बारात की धूम
-शुरु हो गयी बुकिंग कोरोना काल में लड़का-लड़की के परिवार की पसंद बना है सिलीगुड़ी
सात फेरे
-कई महीने बंद रहने के बाद शहर में शादियां शुरू
-अधिकांश भवनों की पहले ही हो चुकी है बुकिंग
-अभी बंधन में नहीं बंधे तो फिर चार महीने का लंबा इंतजार
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी :
पूर्वोत्तर का प्रवेशद्वार सिलीगुड़ी। यहां विवाह करना लड़का और लड़की वालों की पहली पसंद होती है। बुधवार को देवोत्थान एकादशी के साथ ही बैंड बाजा और बारात की गूंज सुनाई देने लगी है। क्योंकि विवाह मुहूर्त आरंभ हो गया है। खास बात यह है कि इस बार विवाह मुहूर्त कम हैं। इसके बाद विवाह के शुभ मुहूर्त के लिए चार महीने का लंबा इंतजार करना पड़ेगा। कोरोना काल में पहली बार धूमधाम के साथ विवाह समारोह आयोजित किए जा रहें हैं। हांलाकि कई प्रकार के प्रतिबंधों का भी पालन किया जाएगा। शादी के लिए शहर के अधिकांश भवनों की बुकिंग हो चुकी है। 25 नवंबर यानी देवोत्थान एकादशी को अनबूझ शाहा (विवाह मुहूर्त) है। नवंबर में फिर 27 एवं 30 नवंबर को शुभ विवाह मुहूर्त रहेंगे। दिसंबर में 1,6,7,9,10 और 11 दिसंबर को विवाह मुहूर्त हैं। इनमें भी सबसे बड़े विवाह मुहूर्त 30 नवंबर, एक एवं सात दिसंबर है। एकादशी का व्रत रखने वाले भक्तगण देवोत्थान एकादशी पर ही एकादशी व्रत का पारायण करते हैं। तुलसी विवाह आदि का भी आयोजन इस अवसर पर होता है। इस प्रकार यह तिथि बहुत ही श्रेष्ठ मानी गई है। आचार्य पंडित यशोधर झा के अनुसार इन उत्तम मुहूर्त के बाद साढ़े चार महीने तक विवाह के मुहूर्त नहीं हैं। इसके बाद 25 अप्रैल से और 18 जुलाई के मध्य विवाह मुहूर्त आएंगे। 15 दिसंबर से 14 जनवरी तक धनु राशि में सूर्य का संचार रहेगा इसे हम मलमास या पौष मास कहते हैं। 14 मार्च से 13 अप्रैल तक सूर्य मीन राशि में रहेंगे। तब भी मलमास रहेगा। ऐसा माना जाता है कि जब भी सूर्य बृहस्पति की धनु और मीन राशि में आता है, उस अवधि में विवाह मुहूर्त आदि शुभ कार्य नहीं होते हैं। इसी प्रकार जब बृहस्पति भी डेढ़ वर्ष के लिए सिंह राशि में आते हैं तो पूरा वर्ष भी शुभ कार्यो के लिए अशुभ माना जाता है, किन्तु कुछ विद्वान उस पूरी अवधि में भी कुछ शुभ मुहूर्त निकाल लेते हैं ताकि लोग असुविधा से बच सकें। ऐसे में गुरु के नवाश अवधि को अत्यंत अशुभ मानकर छोड देते हैं। बाकी समय विवाह आदि के लिए शुभ मान लेते हैं। क्योंकि वह डेढ़ वर्ष का लंबा समय होता है, इसलिए शास्त्रों में इसका विकल्प दिया हुआ है। किंतु सूर्य की सक्राति तो एक महीने की होती है। इसलिए इसमें शुभ समय के लिए में कोई विकल्प नहीं होता है। उपरोक्त साढ़े 4 महीने की अवधि में दो मास मलमास के बीत गए जबकि 17 जनवरी 2021 से 15 फरवरी 2021 तक गुरु अस्त रहेंगे।
13 फरवरी 2021 से 18 अप्रैल 2021 तक शुक्र अस्त
आचार्य की मानें तो शुक्र और बृहस्पति होने की अवधि में विवाह मुहूर्त शुभ नहीं होते हैं। कन्या के वैवाहिक जीवन की सफलता के लिए बृहस्पति का शुभ होना अच्छा है। लड़के की वैवाहिक जीवन की सफलता के लिए शुक्र ग्रह का शुभ होना अच्छा है। इसलिए शुक्र और गुरु अस्त होने कारण शास्त्रों में इनका परित्याग बताया गया है। 25 अप्रैल से विवाह के बहुत मुहूर्त हैं। कुछ लोग 16 फरवरी अर्थात बसंत पंचमी को विवाह की तिथि तय कर रहे हैं। लेकिन जब शुक्र और गुरु अस्त हैं तो चाहे अनसूझ सावा हो अथवा सुझवाया हुआ दोनों प्रकार से ही त्याग करना चाहिए।