खर्च बचाने में जुटी सरकार,बेडों की संख्या में कमी
जागरण एक्सक्लुसिव -कोविड अस्पताल में अब सौ बेड ही रिजर्व -सरकारी डॉक्टर और कर्मचारी भी ह
जागरण एक्सक्लुसिव -कोविड अस्पताल में अब सौ बेड ही रिजर्व
-सरकारी डॉक्टर और कर्मचारी भी हटाए गए
-चेंग में भी नर्सिग होम के डॉक्टर ही करेंगे इलाज -दूसरे राज्यों के मरीजों की बढ़ सकती है मुश्किलें, देना पड़ सकता है इलाज का खर्च
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बेडों की कटौती की गई डिसन अस्पताल में
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बेडों पर ही मरीजों की सरकारी खर्च पर चिकित्सा
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : कोरोना वायरस महामारी के दौर में जहां मरीजों की संख्या में कोई कमी नहीं हो रही है, वहीं सरकार बेडों की संख्या कम कर अपना खर्च बचाने में लग गई है। कावाखाली के निकट डिसन कोविड-19 अस्पताल में कोरोना वायरस मरीजों के लिए निर्धारित बेडों में कटौती की गई है। कुल 60 बेडों की कटौती की गई है। पहले यहां 160 बेड को सरकार ने अपने कब्जे में लिया था। यहां कोरोना मरीजों की चिकित्सा सरकारी खर्चे पर होती है। अब इसमें से सौ बेड ही सरकारी व्यवस्था के तहत उपयोग में लाए जाएंगे। बाकी 60 बेड डिसान अस्पताल प्रबंधन के हवाले कर दिया गया है। अस्पताल प्रबंधन चाहे तो यहां कोरोना मरीजों की भर्ती कर सकते हैं। दार्जिलिंग जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा मिली जानकारी के अनुसार सौ बेड पर ही भर्ती मरीजों के इलाज का खर्च सरकार उठाएगी। बाकी 60 बेड को अस्पताल प्रबंधन किस तरह से उपयोग में लाएगा, वह उसके उपर निर्भर करेगा। अब उस अस्पताल के संचालन की जिम्मेदारी भी डिसन प्रबंधन पर ही छोड़ दी गई है। यानी चिकित्सक से लेकर सारी चिकित्सा व्यवस्था की जिम्मेदारी अब उसी अस्पताल की होगी। पहले सरकारी डॉक्टर यहां कोरोना मरीजों की चिकित्सा करते थे।
जिन सौ बेड को सरकार ने अपने कब्जे में रखा है वहां भर्ती मरीजों हि चिकित्सा में आने वाले खर्च को राज्य सरका अस्पताल प्रबंधन को देगी। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के इस निर्णय पर लोगों में असमंजस की स्थिति भी उत्पन्न हो गई।
इसके अलावा हिमाचल विहार के निकट चेंग सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल को भी सरकारी कोविड-19 अस्पताल के रूप में परिवर्तित किया गया था। इन दोनों अस्पतालों में भर्ती मरीजों का इलाज सरकारी चिकित्सा व्यवस्था के देख-रेख में सरकारी खर्च पर इलाज होता था। यहां तक इन दोनों अस्पतालों में चिकित्सक से लेकर स्वास्थ्यकर्मी तक दार्जिलिंग व कालिंपोंग जिले के विभिन्न सरकारी अस्पतालों से भेजे गए थे। अब कावाखाली के निकट कोविड-19 चेंग अस्पताल से भी सरकारी चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी भी हटा लिए गए हैं।
दार्जिलिंग जिला स्वास्थ्य विभाग सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरकारी व्यवस्था के तहत दो-दो कोविड-19 अस्पताल के संचालित करने में सरकार को ज्यादा राजस्व खर्च करना पड़ता था। इसे देखते हुए 60 बेड स्वास्थ्य विभाग को कम करना पड़ा है, ताकि उसे इस अस्पताल के 100 बेड का ही खर्च अस्पताल प्रबंधन को देना होगा। अब तक पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती राज्यों के मरीजों की चिकित्सा यहां सरकारी व्यवस्था के तहत हो जाती थी। अब ऐसे मरीजों को परेशानी होगी। नई व्यवस्था के शुरू होने के बाद दूसरे राज्यों के मरीजों को इलाज के लिए पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं।
कहीं नो बेड का बहाना बनाकर ना हो वसूली
दूसरी ओर एक ही अस्पताल में दो व्यवस्था शुरू होने के बाद लोगों में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। लोगों की आशंका है कि सरकारी बेड खाली रहते हुए मरीजों को बोल दिया जाएगा कि बेड खाली नहीं है। ऐसे में उन्हें मजबूरन इलाज के लिए पैसा खर्च करना पडे़गा। जैसा सिलीगुड़ी के अन्य निजी अस्पतालों में कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के इलाज के नाम लूट मची है।
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कोरोना मरीजों को चिकित्सा में कोई परेशानी नहीं होगी। यह मरीजों पर निर्भर करेगा कि वह सरकारी व्यवस्था के तहत इलाज कराएंगे कि प्राइवेट व्यवस्था के तहत इलाज कराएंगे। मरीजों की संख्या कम हो रही है,इसलिए बेडों की संख्या कम की गई है।
-डॉ प्रलय आचार्य,सीएमओएच,दार्जिलिंग
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डिसन कोविड-19 अस्पताल में सौ बेड की ही आवश्यकता है। इसलिए 60 बेड अस्पताल प्रबंधन को छोड़ दिया गया है। अस्पताल प्रबंधन चाहे तो उस 60 बेड पर कोरोना के मरीजों को भर्ती कर सकता है। सौ बेड की जिम्मेदारी सरकारी व्यवस्था के तहत रहेगी। सरकारी व्यवस्था के तहत भर्ती होने वाले मरीजों का मुफ्त में इलाज होगा।
-एस पोन्नाबलम,जिलाधिकारी,दार्जिलिंग