Move to Jagran APP

दो दिन मनायी जाएगी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

-कोरोना काल में ऑन लाइन होंगे भगवान के दर्शन -मंदिरों में नहीं होगी भीड़ एक लाख

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 07:02 PM (IST)Updated: Mon, 10 Aug 2020 06:21 AM (IST)
दो दिन मनायी जाएगी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

-कोरोना काल में ऑन लाइन होंगे भगवान के दर्शन

loksabha election banner

-मंदिरों में नहीं होगी भीड़, एक लाख घरों में होगी लड्डू गोपाल की पूजा

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी दो दिन मनाई जाएगी। इस वर्ष भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस बार तिथि और नक्षत्र एक साथ नहीं मिल रहे है। पारिवारिक जीवन वाले श्रीकृष्ण भक्त 11 अगस्त को तो वैष्णव मत वाले 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे। कोरोना काल के कारण इस वार मंदिरों से उत्सव का ऑन लाइन दर्शन व वचुर्अल पूजा अर्चना की जा सकती है। जन्माष्टमी में इस्कान मंदिर व प्रणामी मंदिर समेत अन्य श्रीकृष्ण मंदिरों में भव्य कार्यक्रम आयोजित होता था। कोरोना काल में यह संभव नहीं है। इस्कान मंदिर के जनसंपर्क अधिकारी नाम कृष्ण दास ने बताया कि 12 अगस्त को दिन में चुने हुए आजीवन सदस्य व इससे जुड़े भक्तों को बुलाया जाएगा। उन्हें भी मंदिर में प्रवेश करने के पहले कोरोना बचाव के नियमों का पालन करना पड़ेगा। शाम के बाद का रात्रि 12 बजे तक जो भी कार्यक्रम होगा उसका सीधा प्रसारण व भक्तों को वचुर्अल दर्शन की व्यवस्था होगी। आचार्य पंडित यशोधर झा के अनुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी इस वर्ष षष्ठी तिथि की वृद्धि होने से 12 अगस्त को मनाई जाएगी। इस बार जन्माष्टमी सर्वार्थ सिद्धि और ध्रुव योग में मनाई जाएगी। बुधवार को सर्वार्थ सिद्धि योग एवं ध्रुव योग12 अगस्त को ही सर्वमान्य है। उदयकालीन एवं दो प्रहर युक्त अष्टमी तिथि में ही भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा। चंद्रमा रात्रि 12 बजकर 18 मिनट पर उदय होंगे। हालाकि भादप्रद कृष्ण अष्टमी 11 अगस्त को प्रात: नौ बजकर छह बजे से 12 अगस्त सुबह 11 बजकर 16 मिनट तक रहेगी। चूंकि 11 अगस्त के समय सप्तमी तिथि है और अष्टमी 12 अगस्त को दो प्रहर युक्त है, ऐसे में उदयकालीन तिथि ही सर्व मान्य है।

महोत्सव के तहत मंदिर परिसर में शहनाई वादन और भजन -कीर्तन चलते रहते हैं ।बड़ी संख्या में व्रत करने वाले श्रद्धालु मध्यरात्रि कृष्ण जन्म के बाद पंचामृत-पंजीरी का प्रसाद लेकर अपना व्रत खोलते हैं। सारा वातावरण गोविन्द की भक्ति के रंग में डूबा हुआ नजर आता है।

क्या है श्री कृष्ण की महत्ता, कैसे हुआ जन्म

जब-जब धरती पर अत्याचार बढ़ा है ,धर्म का पतन हुआ है तब-तब भगवान ने पृथ्वी पर अवतार लेकर सत्य और धर्म की स्थापना की है। भगवान का अवतार मानव के आरोहण के लिए होता है। जगत की रक्षा, दुष्टों का संहार तथा धर्म की पुर्नस्थापना ही प्रत्येक अवतार का उद्देश्य होता है। अवतार का अर्थ अव्यक्त रूप से व्यक्त रूप में प्रादुर्भाव होना है। श्री कृष्ण परम पुरुषोत्तम भगवान का जन्म भाद्रपद की अष्ठमी तिथि (रोहिणी नक्षत्र और चन्द्रमा वृषभ राशि में ) को मध्यरात्रि में हुआ। उनके जन्म लेते ही दिशाएं स्वच्छ व प्रसन्न एवं समस्त पृथ्वी मंगलमय हो गई थी। विष्णु के अवतार श्री कृष्ण के प्रकट होते ही जेल की कोठरी में प्रकाश फैल गया। वासुदेव-देवकी के सामने शख, चक्र, गदा एवं पद्मधारी चतुर्भुज भगवान ने अपना रूप प्रकट कर कहा-अब मैं बालक का रूप धारण करता हू?, तुम मुझे तत्काल गोकुल में नन्द के यहा पहुंचा दो और उनकी अभी-अभी जन्मी कन्या को लाकर कंस को सौंप दो। तभी वासुदेवजी की हथकड़िया खुल गयी ,दरवाजा अपने आप खुल गए व पहरेदार सो गए। वासुदेव श्री कृष्ण को सूप में रखकर गोकुल को चल दिए। रास्ते में यमुना श्री कृष्ण के चरणों को स्पर्श करने के लिए ऊपर बढ़ने लगीं। भगवान ने अपने श्री चरण लटका दिए और चरण छूने के बाद यमुनाजी घट गयीं। बालक कृष्ण को यशोदाजी के बगल में सुलाकर कन्या को वापस लेकर वासुदेव कंस के कारागार में वापस आ गए। कंस ने कारागार में आकर कन्या को लेकर पत्थर पर पटककर मारना चाहा परंतु वह कंस के हाथ से छूटकर आकाश में उड़ गई और देवी का रूप धारण कर बोली-हे कंस! मुझे मारने से क्या लाभ है। तेरा शत्रु तो गोकुल में पहुंच चुका है। यह देखकर कंस हतप्रद और व्याकुल हो गया। कृष्ण के प्राकट्य से स्वर्ग में देवताओं की दुन्दुभिया। अपने आप बज उठीं तथा सिद्ध और चारण भगवान के मंगलमय गुणों की स्तुति करने लगे।

इसे मोहरात्रि के रुप में जानते है भक्त :जन्माष्टमी है मोहरात्रि हमारे धर्मशास्त्रों में चार रात्रियों का विशेष महत्त्व बताया गया है। दीपावली जिसे कालरात्रि कहते है। शिवरात्रि महारात्रि है। होली अहोरात्रि है तो कृष्ण जन्माष्ठमी को मोहरात्रि कहा गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.