मोदी के रहते गोरखा पूरी तरह सुरक्षित : राजू बिष्ट
-वर्ष 2024 में नए संकल्प पत्र के साथ चुनावी मैदान में होगी भाजपा राज्य सरकार सहयोग दे दो युवाओं
-वर्ष 2024 में नए संकल्प पत्र के साथ चुनावी मैदान में होगी भाजपा
राज्य सरकार सहयोग दे दो युवाओं को मिलेगी बेरोजगारी से मुक्ति
अशोक झा सिलीगुड़ी :
मोदी है तो मुमकिन है इस बात को देश का बच्चा-बच्चा समझने और जानने लगा है। मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में जिस प्रकार देश की प्रत्येक सीमाओ को पूरी तरह सुरक्षित किया जा रहा है, उसी तरह देश के कोने-कोने में बसे गोरखा भी पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे। गोरखाको किसी प्रकार से डरने है जरूरत नही है। यह कहना है भाजपा व दार्जिलिंग के सासद राजू बिष्ट का । उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र के दौरे में गोरखा मेला और मिलनमोड़ में गोरखाओ द्वारा उठाए गए समस्या पर बोल रहे थे। दैनिक जागरण से बात करते हुए सासद ने कहा कि दार्जिलिंग की चिर परिचित समस्या का स्थाई समाधान केंद्र की सरकार और भारतीय जनता पार्टी निकालेगी। केंद्र की सरकार जिस प्रकार लगातार देश की प्रत्येक सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक कदम उठा रही हैं , उसी प्रकार देश के वीर गोरखा को किसी प्रकार का कोई परेशानी ना हो इसका भी ध्यान दे रही है। राजू बिष्ट गोरखा समुदाय द्वारा उनकी अस्मिता सुरक्षा की माग पर उठाए गए प्रश्न का जवाब दे रहे थे। बिष्ट ने कहा कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी नए संकल्प पत्र के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी । 2019 में उनके द्वारा किए गए संकल्पों को वे जरूर पूरा करेंगे। इस संकल्प को पूरा करने में राज्य सरकार चाहे जितनी भी बाधाएं उत्पन्न करें वे जनता के हित में इन सभी कायरें को पूरा करेंगे। सीमा और घुसपैठ पर विस्तृत व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि भारत-पाकिस्तान और भारत-बाग्लादेश बॉर्डर पर घुसपैठ रोकने के लिए सरकार एक साथ कई मोचरें पर काम कर रही है। मकसद है बॉर्डर को पूरी तरह सील करना। अभी तक बॉर्डर के अधिकाश हिस्से में जो कंटीली तार लगी है, उसे आसानी से काटा जा सकता है। कई जगह पर यह देखा गया है कि घुसपैठिये उस तार को काट कर भारतीय सीमा में प्रवेश कर जाते हैं। लेकिन अब जो बाड़ या तार लगाई जा रही है, उसे काटना आसान नहीं है। खासतौर पर, कोई भी घुसपैठिया सामान्य औजारों की मदद से उस तार को नहीं काट सकता। एक किलोमीटर में इस बाड़ को लगाने का खर्च 3.50 करोड़ रुपये आ रहा है। अभी तक बॉर्डर के ज्यादातर हिस्से में जो कंटीली तार लगी है, उसे घुसपैठिये नुकसान पहुंचा देते हैं।बॉर्डर पर घुसपैठ रोकने के लिए बाड़ लगाने के अलावा स्मार्ट फेंसिंग पर भी काम चल रहा है। इसके लिए इजरायली सिस्टम की मदद ली जा रही है। तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह खुद इजरायल जाकर इस सिस्टम की खूबिया जानकर आए थे। उसके बाद असम के धुबरी जिले में व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (सीआईबीएमएस) लगाने की शुरुआत की गई।सीआईबीएमएस सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिकली क्यूआरटी इंटरसेप्शन टेक्नोलॉजी के जरिए बॉर्डर की सुरक्षा को पुख्ता बनाता है। यह सिस्टम उन जगहों पर लगता है, जहा बाड़ आदि लगाना संभव नहीं होता। बाग्लादेश के साथ लगती 4,096 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को सौंपी गई है। इस बॉर्डर पर कई इलाके ऐसे हैं, जहा भौगोलिक बाधाओं के कारण फेंसिंग (बाड़) लगाना संभव नहीं है। उत्तर बंगाल से सटे असम के धुबड़ी जिले का वह 61 किलोमीटर लंबा सीमा क्षेत्र, जहा से ब्रह्मपुत्र नदी बाग्लादेश में प्रवेश करना आरंभ करती है। ब्रह्मपुत्र और उसकी कई सहायक नदियों का विषम परिक्षेत्र सीमा निगरानी को एक मुश्किल और चुनौती भरा कार्य बना देता है। विशेष रूप से बरसात के मौसम में बीएसएफ को घुसपैठ रोकने के लिए बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। मवेशी तस्करी रोकने में यह काफी सफल होगा।उन्होंने कहा कि
पशु तस्कर और दूसरे घुसपैठिये भी बरसात का इंतजार करते रहते हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए गृह मंत्रालय ने तीन साल पहले इस तकनीक की मदद लेने का फैसला लिया था। इलेक्ट्रॉनिक क्यूआरटी इंटरसेप्शन टेक्नोलॉजी पर काम करने वाला सीआईबीएमएस सिस्टम सेंसर प्रणाली और कैमरों की मदद से सर्विलास करता है। इससे भी विरोधियों को परेशानी हो रही है। सासद ने कहा कि राज्य सरकार अगर जमीन संबधित समस्या का समाधान कर दे तो दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र में इतने उधोग लगाए जाएंगे कि इस क्षेत्र के युवाओं को वेरोजगरी से मुक्ति मिलेगी।