कड़ी सुरक्षा के बीच विहिप समर्थकों की पेशी,मिली जमानत
-वकीलों की गिरफ्तारी पर मचा ज्यादा बवाल - बार एसोसिएशन के सदस्यों ने ि
राजेश तीन चार व पांच
-वकीलों की गिरफ्तारी पर मचा ज्यादा बवाल
- बार एसोसिएशन के सदस्यों ने किया विरोध
-सुबह से ही कोर्ट परिसर में रही गहमा-गहमी
- दो डीएसपी समेत कई थानों के प्रभारी रहे मुस्तैद
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : लव जिहाद को लेकर रैली निकालने के क्रम में गिरफ्तार विहिप 24 नेताओं और समर्थकों को जमानत मिल गई है।
गुरूवार को कड़ी सुरक्षा के बीच सभी को सिलीगुड़ी के एसीजेएम कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने सभी को सशर्त जमानत दे दी। कोर्ट परिसर में पेशी से लेकर जमानत तक सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गये थे। यहां दो डीएसपी समेत कई थाना प्रभारी भारी संख्या में पुलिस बल के साथ तैनात थे। गुरुवार को सिलीगुड़ी थाना काड संख्या 430/19 में आरोपितों विहिप के प्रांतीय संगठन मंत्री अनूप कुमार मंडल, जिला सचिव राकेश अग्रवाल,अधिवक्ता रतन कुमार बागची, अधिवक्ता कल्याण साहा, तापस घोष, अधिवक्ता त्रिदिप्त साहा, विवेक दत्ता, सुशील अग्रवाल, दिनेश अग्रवाल, संजय अग्रवाल, राहुल गुप्ता, अरविंद राय, आशीष गुप्ता, किशन लाल अग्रवाल, सुफल महतो,रोहित शर्मा, सुबीर पाल, मिथलेश उर्फ योगेश गोहर, निर्मल बागची, सुमित साहा, सोनू शर्मा और रोशन महतो आदि को पेश किया गया। पुलिस ने धारा 147,148,149,153ए ,290़(1), 186, 505 और 506 के तहत कार्रवाई करते हुए एसीजेएम कोर्ट में सभी को पेश किया। जज फातिमा फिरदौस ने सुनवाई प्रारंभ की तो सिलीगुड़ी बार एसोसिएशन के दर्जनों वकील जज के सामने ही पुलिस कार्रवाई का विरोध करने लगे। इन वकीलों ने कहा कि बाघाजतीन पार्क के निकट निबंधन कार्यालय है और वहां वकीलों का आना जाना लगा रहता है। ऐसे में उन्हें गिरफ्तार कर रातभर थाने में रखना और गैर जमानती धाराओं में मामला दर्ज करना ठीक नहीं है। अधिवक्ता निपेन दास, अमिताभ लाल, अखिल विश्वास, अभय चटर्जी और उदय भट्टाचार्य ने कहा कि संविधान में इस बात की आजादी है कि कोई भी अपने धर्म के प्रति और ईश्वर के नाम का नारा लगा सकता है। इसे सांप्रदायिकता के चश्मे से क्यों देखा गया। बहस के बीच सरकारी वकील सुदीप बसुनिया ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि ये सभी लव जिहाद के लिए एकत्र हुए थे और गिरफ्तारी के बाद थाने में प्रदर्शन कर सांप्रदायिक सद्भाव को नष्ट करने की कोशिश में थे। उसके आगे वह कुछ और बोलते जज ने रोका और कहा इस प्रकार की बातें नहीं करें। वकीलों ने अपनी दलील देते हुए कहा कि कोर्ट में आइओ को बुलाया जाए। उनसे पूछा जाए कि यह पूरी घटना क्या है? वकीलों ने कहा कि इस प्रकार की घटना में ऐसा मामला दर्ज करना न्यायोचित नहीं है। आइओ जब कोर्ट में पहुंचे तो वे कुछ बोल पाने की स्थिति में ही नहीं थे। वकीलों की भीड़ को देखकर वह परेशान थे। काफी हो हंगामे के बाद जज ने फैसला सुरक्षित रख लिया। उसके बाद कोर्ट से एक-एक कर सभी बाहर निकल गए। देर शाम तक इस बात पर मंथन होता रहा कि शायद वकीलों को जमानत मिल जाए लेकिन अन्य को नहीं। लेकिन जज ने सभी को जमानत दे दी। जब वकीलों ने जमानत मिलने की बात बतायी तो कोर्ट परिसर में सुबह से खड़े समर्थकों के चेहरे से थकान दूर हो गयी और खुशी का माहौल बन गया। सिलीगुड़ी बार एसोसिएशन के सचिव मोहम्मद यूसुफ ने कहा कि जमानत मिलने से समाज में एक अच्छा संदेश गया। यहां जाति संप्रदाय के आधार पर किसी पर झूठा मामला दर्ज कर उसे जेल नहीं भेजा सकता। जमानत नहीं मिलती तो समाज के अंदर सद्भाव के बदले मनमुटाव बढ़ता। बार एसोसिएशन ने एक बार फिर से यह स्पष्ट किया कि एसोसिएशन के सदस्य चाहें किसी पार्टी के बैनर तले काम करते हों, वे बार के सदस्य हैं तो उनका साथ देंगे।