यहा एक साथ गीता-कुरआन पढ़े जाते हैं
-अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का खूब जमा रंग -दैनिक जागरण की पेशकश का लोगों ने उठाया भरपूर
-अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का खूब जमा रंग
-दैनिक जागरण की पेशकश का लोगों ने उठाया भरपूर आनंद
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी:
यहा चेहरे नहीं इंसान पढ़े जाते हैं। मजहब नहीं ईमान पढ़े जाते हैं। ये देश इसलिए महान है दोस्तों यहा एक साथ गीता और कुरआन पढ़े जाते हैं।
द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज (2005) के उपविजेता रहे स्टैंड-अप कॉमेडियन व देश के जाने-माने सेलिब्रिटी कवि एहसान कुरैशी ने जब अपनी ये पंक्तिया प्रस्तुत की तो पूरी महफिल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठी। यह, दैनिक जागरण की प्रस्तुति में बुधवार शाम, सेवक रोड स्थित उत्तर बंग मारवाड़ी भवन में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का मौका था। इसमें सैकड़ों लोगों के मजमे के बीच एहसान कुरैशी ने फिल्मी दुनिया के किस्से, अश्लीलता, बाबाओं के कुकर्म व एक से एक राजनीतिक टिप्पणियों से खूब समा बाधा। इस अवसर पर जाने-माने कवि सरदार मंजीत सिंह ने भी अपने व्यंग्य असल में बगुले हैं, दिखते हैं मोर, नेता मेरे देश में हैं ज्यादातर चोर, आदि से खूब वाहवाही बटोरी। जलती आग सीने में, नहीं डरता सिकंदर से मगर हूं बाप बेटी का, डरा रहता हूं अंदर से पेश कर सबको झकझोर के रख दिया। दिल्ली से आए हरियाणवी कवि अरुण जैमिनी ने भी अपने एक से एक हास्य-व्यंग्य से सबको लोटपोट कर दिया। उनकी रचना आखों में पानी , दादी की कहानी, संतों की वाणी, कर्ण जैसा दानी, परोपकारी बंदे और अर्थी को कंधे.. ढूंढते रह जाओगे, ने भी गहरी चोट की। वहीं, शायरा मुमताज नसीम ने दिल को नाशाद करती रहती हूं, खुद को बर्बाद करती रहती हूं, मुझको डसने लगी है तन्हाई, मैं हर दम तुझको याद करती रहती हूं आदि प्यार-मुहब्बत, श्रृंगार की रचनाओं से सबको सराबोर कर दिया।
राजस्थान के अलवर से आए ओज के कवि विनीत चौहान ने मंदिर व मस्जिद बुझाए जब हवस की प्यास को न्याय ही गर तोड़ दे खुद न्याय के विश्वास को फिर यही चारा बचेगा बेटियों के पास तो, गोलियों से भून दें वे खुद यहा अय्याश आदि रचनाओं से व्यवस्था पर वार किया। इसके साथ ही सभी को देशभक्ति के जज्बे से भी ओतप्रोत कर दिया। कवि सम्मेलन के संचालक कानपुर से आए कवि डॉ. सुरेश अवस्थी ने भी खूब रंग जमाया। जिंदगी का बही खाता प्रेम से भरो साहिब अपने आपसे ही सही कुछ तो डरो साहिब , चाहते जो हो वक्त-ऑडिटर से फाइल ओ.के अपनी काम दिल का दिमाग से मत करो साहिब आदि रचनाओं से हर किसी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस कवि सम्मेलन का सैकड़ों लोगों ने भरपूर आनंद उठाया।