आत्मनिर्भर का महामारी पर स्वदेशी टीका : राजू बिष्ट
जागरण संवाददाता सिलीगुड़ी कोरोना-काल संकट का समय जरूर है लेकिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : कोरोना-काल संकट का समय जरूर है लेकिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जिस तरह से इससे सामना किया, उससे यह चिकित्सा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत का सफल एवं निर्णायक अभियान भी बन गया। यह कहना है भाजपा के सांसद व राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट का। उन्होंने कहा कि प्रधामंत्री ने चिकित्सकों व चिकित्सा विज्ञानियों के परिश्रम के प्रति पूरा सम्मान जताकर कृतज्ञता प्रकट की है। स्वदेशी टीकों कोविशील्ड और कोवैक्सीन के निर्माण में वैज्ञानिकों ने जो प्रतिबद्धता व दक्षता वैज्ञानिकों ने दिखाई। वह भारत के लिए ही नहीं दुनिया के लिए बड़ी उपलब्धि है। भारत के न्यू इंडिया और आत्मनिर्भर की ही देन है कि भारत में अभी कुछ और टीकों का निर्माण भी चल रहा है। यही नहीं देश मास्क, पीपीई किट, वेंटीलेटर के निर्माण में जुटी हुई है। भारत निर्यातक देश भी बन गया है। भारत में जो टीके बने हैं, वे अत्यंत सस्ते होने के साथ इन्हें लगाना भी आसान है। इनका निर्माण पूरी तरह भारतीय वातावरण के अनुकूल है इसलिए इसे देश के अस्पतालों व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में रखना भी आसान है। भारत में कोरोना महामारी जैसे दुर्लभ विषाणु के परीक्षण की पहले एक ही प्रयोगशाला थी, किंतु अब पूरे देश में 2300 प्रयोगशालाएं हैं। पूरे अभियान पर जनता-जर्नादन को शका-कुशका की बजाय गुमान करने की आवश्यकता है। क्योंकि भारत ने पहली बार इस क्षेत्र में लाचार बने रहकर दूसरों की ओर हाथ पसारने की बजाय, आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया है, जो स्वागत के योग्य है। अतएव, सर्वे भवन्तु सुखिन, सर्वे सन्तु निरामया? का मंत्र पूरे विश्व को दिया है। बिष्ट ने कहा कि नरेंद्र मोदी की अगुआई में ही स्वतंत्रता के बाद यह पहला अवसर था कि परंपरागत आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली को कोरोना जैसे जानलेवा रोग के उपचार में आधिकारिक मान्यता मिली। अब तो केंद्र सरकार ने वे सारी बाधाएं भी खत्म कर दी हैं। जो आयुर्वेद उपचार को ऐलौपैथी के समकक्ष खड़ा करने में आड़े आ रही थीं। आने वाले समय में आयुर्वेद भी योग की तरह वैश्विक मानचित्र पर स्थापित हो जाएगा। क्योंकि आयुर्वेद में भी विषाणुओं के टीके बनाने की प्रक्रिया के साथ, शल्य क्रिया की प्रक्रियाएं इलाज की मुख्यधारा मंी लाने की अनुमति सरकार ने दे दी है। कोरोना-काल में प्रतिरोधात्मक क्षमता बढ़ाने वाले आयुर्वेद उत्पादों की बिक्री छह गुना बढ़ी है। ऐलौपैथी दवाओं की बिक्री घटी है। गिलोय, तुलसी, हल्दी और अश्वगंधा दवाओं की माग अभी बनी हुई है। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की पंक्ति मानव जब जोर लगाता है,पत्थर भी पानी बन जाता है को याद कर देशवासियों को मनोबल बनाए रखने का संदेश दिया। बिष्ट ने कहा कि देश में जिस तरह की राजनीतिक क्षुद्रता है, उसमें संदेह पैदा करना ही, उनके चरित्र का हिस्सा बन गया है। केंद्र सरकार के प्रत्येक काम में कमिया तलाशकर अपनी राजनीति चमकाने के नाकाम प्रयास में लगे हैं। इसका जबाव आने वाले दिनों में जनता ऐसे नेताओं और पार्टियों को देगी।