लॉक डाउन में पुलिस अधिकारी बने मैनेजमेंट गुरु, लाख परिवारों को उपलबध करवाई सहायता
कोरोना वायरस से जंग में पुलिसडाक्टर्स नर्सें मैडिकल स्टाफ़ सब योद्धा की भूमिका निभा रहे हैं। पुलिस के अफसर और जवान भी ऐसी ही भूमिका निभा रहे हैं जो पहले कभी नहीं देखी गई।
अशोक झा, सिलीगुड़ीत कोरोना वायरस ने कई योद्धाओं की जान ले ली है। इसकी परवाह नही करते हुई कोरोना वायरस से जंग में पुलिस,डाक्टर्स, नर्सें, मैडिकल स्टाफ़ सब योद्धा की भूमिका निभा रहे हैं। पुलिस के अफसर और जवान भी ऐसी ही भूमिका निभा रहे हैं, जो पहले कभी नहीं देखी गई। ये सभी गरीब हो या अमीर सभी का दिल जीत लिया है। सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट के सभी थाना क्षेत्र में पुलिस आयुक्त त्रिपुरारि अर्थव की दूरदर्शिता व एएसपी राजेन क्षेत्री व भक्तिनगर ट्रैफिक गार्ड के आईसी सुबीर दत्त के कुशल मेहनत से लॉकडाउन ने पुलिसकर्मियों को मैनेजमेंट गुरु बना दिया। पुलिसिंग के साथ वो हर फन में माहिर हो गए।
अपराधियों को पकड़ने के साथ ही भोजन बनवाने और प्रवासियों को घर पहुंचाने का इंतजाम कराने तक की जिम्मेदारी निभाई। ट्वीट पर किसी को भोजन पहुंचाना हो या फिर शासन का कोई निर्देश, बिना बजट पुलिस ने हर निर्देश का पालन किया। बिना बजट के सभी काम सिर्फ मैनेजमेंट गुरु ही कर सकते हैं। कहा जाता है कोई दरोगा थाना तभी चला सकता है जब वो सब कुछ मैनेज करने में माहिर हो गए। रही-सही कमी इस बार कोरोना संकट ने पूरी कर दी। यह अपराधियों को पकड़ने से ज्यादा मुश्किल काम है। अंजान लोगों के रोष और पेट की आग को शांत करा कर उन्हें संतुष्ट कराना। समय पर नही पहुँचा तो खड़ी खोटी भी सुनना पड़ रहा था।
पुलिस का ऐसे शुरू हुआ सफर
कोरोना का संक्रमण बढ़ते ही लॉकडाउन शुरू हो गया। लोग परेशान होने लगे।सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नर त्रिपुरारि अर्थव ने लोगों की परेशानी को देखते हुए 30 मार्च को सिलीगुड़ी ढाई माइल भक्तिनगर ट्रैफिक गार्ड को फ़ूड रिलीफ सेल की स्थापना की। हेल्प लाइन नंबर 7586958429 जारी किया। रिलीफ सेल की जिम्मेदारी सौपी तेज तर्रार एसीपी राजेन क्षेत्री और भक्तिनगर ट्रैफिक गार्ड आईसी प्रवीर दत्त को। देखते ही देखते इसमें कई स्वयंसेवी संगठन जुड़ते गए। सभी थानेदार को कहा गया कि वे यहां संपर्क कर जरूरतमंद लोगों कि सेवा करे। 30 मार्च से बेरोजगार मजदूरों को दो वक्त का भोजन कराने की जिम्मेदारी पुलिस को दी गई। भोजन बनवाने से लेकर सारे इंतजाम करने के लिए किसी भी थानेदार और चौकी इंचार्ज के लिए किसी प्रकार का कोई बजट नहीं था। इतना जरूर कहा गया कि वह किसी एजेंसी या समाजसेवी की मदद ले सकते हैं। भोजन इंतजाम के साथ किसी को दवा पहुंचाना या किसी अस्पताल में गरीब का इलाज, सब कुछ करने में थानेदार की जिम्मेदारी थी। कैसे किया, यह किसी से छिपा नहीं। पुलिस ने लोगों की मदद से सब कुछ मैनेज किया। प्रशासनिक अधिकारियों को कोई भी काम इस लॉक डाउन में करने में दिक्कत आती थी तो मैनेजमेंट गुरु काम आए। यह काम 31 मई यानी चौथे लॉक डाउन तक जारी रहेगा। अबतक इसके माध्यम से 5 लाख परिवारों तक तैयार भोजन और एक लाख परिवार तक राशन मुहैया कराया जा चुका है। पुलिस कमिश्नर खुद इसकी लगातार निगरानी कर रहे है। वे समय समय पर कार्य मे लगे पुलिस अधिकारियों का हौसला बढ़ाने लगातार वहां पहुँचते भी रहे है। यही कारण है कि पुलिस के मानवीय चेहरा की लोग तारीफ करते नही थक रहे है।