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West Bengal : अनिच्छुक किसानों ने ममता बनर्जी पर लगाया दोहरे चरित्र का आरोप

सिंगुर किसान आंदोलन से सत्ता में आई ममता बनर्जी बीते 15 वर्षो से अनिच्छुक किसानों के खिलाफ हाई कोर्ट में लड़ रही लड़ाई सरकारी योजना के लिए अधिग्रहण की गई जमीन पर टाउनशिप बनाने पर बिफरे अनिच्छुक किसान दिया आमरण अनशन की धमकी

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 15 Dec 2020 03:29 PM (IST)Updated: Tue, 15 Dec 2020 03:29 PM (IST)
West Bengal : अनिच्छुक किसानों ने ममता बनर्जी पर लगाया दोहरे चरित्र का आरोप
राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सिंगुर में किसानों के हक की लड़ाई लड़ कर वर्ष 2011 में सत्ता में आई।

सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। जब राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जलपाईगुड़ी के एबीपीसी मैदान ने सिंगुर किसान आंदोलन के जिक्र कर अगले वर्ष होने वाले विधान सभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ हुंकार भर रही थी। उसी समय सिलीगुड़ी के कावाखाली पोराझार के किसान मुख्यमंत्री पर दोहरे चरित्र का आरोप लगाकर जमीन वापस देने की मांग पर भूख हड़ताल की आवाज बुलंद किया है। सरकारी परियोजना के लिए अधिग्रहण की गई किसानों की जमीन एक निजी बिल्डर संस्था को टाउनशिप बनाने के लिए दिए जाने का विरोध अनिच्छुक किसान परिवार जता रहे है।

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जानकारी के मुताबिक वर्ष 2004 में तत्कालीन माकपा सरकार ने सरकारी परियोजना के लिए सिलीगुड़ी शहर से सटे कावाखाली पोराझार इलाके की कुल 302 एकड़ जमीन अधिग्रहण किया। तृणमूल सरकार ने भी इस जमीन पर फ़िल्म सिटी बनाने का निर्णय लिया था। फ़िल्म सिटी योजना विफल होने के बाद क्रिकेट की दुनिया के सितारा व भरतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली ने इस जमीन पर अत्याधुनिक क्रिकेट स्टेडियम बनाने का मन बनाया। लेकिन राज्य सरकार ने उक्त जमीन एक निजी बिल्डर संस्था को टाउनशिप बनाने के उद्देश्य के लिए आवंटित कर दिया। जमीन पर बिल्डर संस्था का बोर्ड और टाउनशिप निर्माण की प्रक्रिया शुरू होने से शुरुआत से जमीन अधिग्रहण के खिलाफ किसान परिवार बिफर पड़े और आंदोलन शुरु किया।

अनिच्छुक किसान परिवार की ओर से वकील अखिल विश्वास ने बताया कि वर्ष 2004 में जमीन अधिग्रहण के बाद वर्ष 2005 में ही तत्कालीन माकपा सरकार द्वारा जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को ही कलकत्ता हाई कोर्ट में चुनौती दिया गया। बीते 15 वर्षों से यह मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है। फिर तृणमूल सरकार ने किस आधार पर विवादित इस जमीन से 81 एकड़ का टुकड़ा बिल्डर संस्था को टाउनशिप निर्माण के लिए दिया।

उन्होंने आगे कहा कि सरकार द्वारा अधिग्रहण की गई जमीन पर सरकारी परियोजना होना चाहिए। जबकि किसानों से जमीन लेकर राज्य सरकार बिल्डर संस्था के साथ मिलकर जमीन बेच धन उगाही कर रही है। अखिल विश्वास ने आगे कहा कि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सिंगुर में किसानों के हक की लड़ाई लड़ कर वर्ष 2011 में सत्ता में आई। और वर्ष 2015 से कावाखाली पोराझार के अनिच्छुक किसानों के खिलाफ हाई कोर्ट में लड़ रही है। इसके अतिरिक्त नए कृषि कानून को वापस लेने की मांग का सभी विपक्षी दलों को राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुला समर्थन दिया है। तो फिर ममता बनर्जी कावाखाली पोराझार के अनिच्छुक किसानों के खिलाफ दोहरा चरित्र क्यों अपना रही है।

पत्रकार सम्मेलन में उपस्थित हुए अनिच्छुक किसान कार्तिक मालिक, परितोष सरकार, परिमल सरकार, निमाई सरकार, निर्मल सरकार, रबीन मंडल, केशव मंडल व अन्य परिवारो ने बताया कि वर्ष 2004 से ही वे सभी जमीन देने से इनकार कर रहे हैं। तत्कालीन सरकार ने 302 एकड़ जमीन अधिग्रहण के समय अन्य किसान परिवार को 20 से 22 हज़ार रुपया कट्ठा के हिसाब से मुआवजा दिया। और आज वही जमीन बिल्डर के साथ मिलकर ममता सरकार 22 लाख रुपया कट्ठा के हिसाब से बेच रही है।

इसके अतिरिक्त एक वर्ष पहले ममता सरकार ने जमीन देने वाले तृणमूल समर्थक 52 किसान परिवारों को मुआवजा मिलने के बाद भी उनकी जमीन वापस लौटा दिया। जबकि गैर तृणमूल समर्थक 70 से अधिक अनिच्छुक किसानों को जमीन वापस नहीं मिली है। किसानों ने बुलंद आवाज में कहा कि यदि जमीन वापस नहीं किया गया तो हम सभी आमरण अनशन पर बैठेंगे। 


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