माही चौथ पर की गई संतान दीर्घायु की कामना
जागरण संवाददाता सिलीगुड़ी माही चौथ के अवसर पर संतान दीर्घायु की कामना की गई। सुबह में
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी :माही चौथ के अवसर पर संतान दीर्घायु की कामना की गई। सुबह में महिलाओं द्वारा माही चौथ की कथा सुनी गई। माही चौथ की पूजा में गणेश पूजन का विशेष महत्व है। इसलिए इसेगणेश चौथ भी कहा जाता है। प्रसाद के रूप में तिल और गुड़ को चढ़ाया जाता है इसलिए इसे तिल चौथ भी कहते हैं। कथा के माध्यम से बताया गया कि भगवान का प्रसाद लगाने की मन्नत मांगी जाए तो उसे समय रहते पूरा करना चाहिए। अन्यथा कई प्रकार की परेशानियां घेर सकती है। कथा में बताया गया कि एक महिला के द्वारा भगवान गणेश के नाम का प्रसाद लगाने की मन्नत बार-बार करने पर उसे पूरा नहीं करने पर उसे कई मुसीबतों से होकर गुजरना पड़ता है। अंत में भगवान से माफी मांग प्रसाद लगाया गया। कथा के माध्यम से यही संदेश दिया गया है। तिल और गुड़ को कूटकर तिलकुट्टा तैयार किया गया। जिसे विशेष तौर पर प्रसाद के रूप में शामिल किया गया। इसी क्रम में चांद को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया गया। इस मौके पर मूली को ग्रहण कर व्रत का पारण किया गया। गुड़ से बने चावल को भोजन में शामिल किया गया। वहीं कई समुदाय की महिलाओं के द्वारा शनिवार की सुबह में व्रत का पारण किया जाएगा। विभिन्न समुदाय में व्रत को पूरा करने अलग-अलग विधि निभाई गई ।
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जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी :माही चौथ के अवसर पर संतान दीर्घायु की कामना की गई। सुबह में महिलाओं द्वारा माही चौथ की कथा सुनी गई। माही चौथ की पूजा में गणेश पूजन का विशेष महत्व है। इसलिए इसेगणेश चौथ भी कहा जाता है। प्रसाद के रूप में तिल और गुड़ को चढ़ाया जाता है इसलिए इसे तिल चौथ भी कहते हैं। कथा के माध्यम से बताया गया कि भगवान का प्रसाद लगाने की मन्नत मांगी जाए तो उसे समय रहते पूरा करना चाहिए। अन्यथा कई प्रकार की परेशानियां घेर सकती है। कथा में बताया गया कि एक महिला के द्वारा भगवान गणेश के नाम का प्रसाद लगाने की मन्नत बार-बार करने पर उसे पूरा नहीं करने पर उसे कई मुसीबतों से होकर गुजरना पड़ता है। अंत में भगवान से माफी मांग प्रसाद लगाया गया। कथा के माध्यम से यही संदेश दिया गया है। तिल और गुड़ को कूटकर तिलकुट्टा तैयार किया गया। जिसे विशेष तौर पर प्रसाद के रूप में शामिल किया गया। इसी क्रम में चांद को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया गया। इस मौके पर मूली को ग्रहण कर व्रत का पारण किया गया। गुड़ से बने चावल को भोजन में शामिल किया गया। वहीं कई समुदाय की महिलाओं के द्वारा शनिवार की सुबह में व्रत का पारण किया जाएगा। विभिन्न समुदाय में व्रत को पूरा करने अलग-अलग विधि निभाई गई ।