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Valentine Day : वैलेंटाइन वीक आज से : मोहब्बत अब तिजारत बन गई है!

Valentine Day :वैलेंटाइन वीक की शुरुआत गुरुवार सात फरवरी से हो रही है। प्यार को बाजार किस तरह भुना रहा है, पढ़िए पूरी खबर...।

By Rajesh PatelEdited By: Published: Wed, 06 Feb 2019 08:26 PM (IST)Updated: Wed, 06 Feb 2019 08:26 PM (IST)
Valentine Day : वैलेंटाइन वीक आज से : मोहब्बत अब तिजारत बन गई है!
Valentine Day : वैलेंटाइन वीक आज से : मोहब्बत अब तिजारत बन गई है!
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  • सात से चौदह... बाप रे बाप... बड़ी महंगी है मोहब्बत
  • कर दे मुश्किल जीना... ये इश्क कमीना...

Valentine Day : सिलीगुड़ी [इरफान-ए-आजम ]। मोहब्ब्त अब तिजारत बन गई है... तिजारत अब मोहब्बत बन गई है...! एक अप्रैल 1983 को रिलीज हुई  हिंदी फिल्म 'अर्पण' का यह गाना बहुत मशहूर हुआ। तब, यह गाना कितना प्रासंगिक था पता नहीं, पर आज यह बहुत ही प्रासंगिक है। खास कर, वैलेंटाइन-डे के संदर्भ में देखें तो यह गाना पूरी तरह चरितार्थ नजर आता है।
   आज सचमुच, मोहब्बत तिजारत (कारोबार) बन गई है। आशिक, माशूक व इश्क का आलम यह है कि 'तुम्हारे सिवा कुछ न चाहत करेंगे...' का फलसफा फेल हो गया है। 'ये आशिकी तुझसे शुरू... तुझपे खत्म...' वाला मामला आउट ऑफ फैशन है। 'तू नहीं... और सही... और नहीं... और सही...' का क्रेज है। 'क्रश' से 'लव' और 'लव' से 'ब्रेक-अप' व 'एक्स' होने में देर नहीं लगती। उसपर गजब यह कि दोनों 'एक्स' एक-दूसरे के 'न्यू-लव' को मिल कर सेलिब्रेट करते हैं। कुल मिला कर मामला अब यह है कि 'इश्क कमीना' और 'मुहब्बत है मिर्ची'।
इस मिर्ची पर बाजार ने भी खूब मसाला मार-मार के तड़का लगाया है। यह तड़का बनने-बनाने, खाने-खिलाने का शानदार मौसम है... यही वैलेंटाइन डे वाला महीना फरवरी।
   यूं तो कहने को यह वैलेंटाइन 'डे' है यानी कि एक दिन। मगर, इसे लेकर तिजारत यानी कारोबार पूरे महीने भर चलता है। सात फरवरी को 'रोज डे' पर बाजार पांच रुपये के गुलाब का 50 रुपये वसूलता है और एक गुलाब से काम भी नहीं बनता पूरा गुच्छा चाहिए होता है, गुच्छा। मतलब कि 500 रुपये का खर्च कम से कम। अगले दिन आठ फरवरी को 'प्रोपोज डे' महंगे तोहफे वाला होता। ज्यादा कहें तो जेवर और कम कहें तो कपड़े। कम से कम पांच-10 हजार रुपये का मामला इस दिन भी।
   इजहार के दिन के बाद नौ फरवरी को 'चॉकलेट डे' भी कम खर्चीला नहीं है। 50 रुपये से कम वाले चॉकलेट पर तो बात बनती नहीं और सिर्फ एक चॉकलेट से काम भी नहीं चलता। चॉकलेट वाले ही 500-1000 ले बैठते हैं। फिर 10 फरवरी को 'टेड्डी डे' पर भी 500-1000 रुपये का मामला।
   उसके बाद फिर 11, 12 व 13 फरवरी को प्रॉमिस-डे, किस्स-डे (चुम्बन दिवस), हग-डे (आलिंगन दिवस) और फाइनली 14 फरवरी को 'वैलेंटाइन डे' (प्रेम दिवस) पर पार्कों की सैर, लांग-ड्राईव और छक कर रेस्टोरेंट्स के जायके ही जायके... ये सब भी 10 से 20 हजार ले ही उड़ते हैं। सात से 14 फरवरी तक वाले इस खास हफ्ते के आगे व पीछे वाले हफ्ते में भी बहुत कुछ फॉमलिटीज होती हैं। इन सबको पूरा करने में एक आशिक को कम से कम 10-20 हजार का खर्चा आ ही जाता है। बदले में माशुकाएं भी कुछ न कुछ देती ही हैं। इस ओर-उस ओर दोनों मिला कर कम से कम 25 हजार रुपये तो बाजार को देने ही पड़ जाते हैं। एक जोड़ी में यह हाल है। ऐसी जोडिय़ां न जाने कितनी करोड़ हैं।
  इसी से समझा जा सकता है कि ये इश्क-विश्क, प्यार-व्यार का पर्व किसी संत की बेमिसाल मोहब्बत का सेलिब्रेशन है... या... मोहब्ब्त अब तिजारत बन गई है?!  

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