सलामी की रकम दस करोड़ और जमा कराया मात्र चार करोड़
-तय 45 दिनों के अंदर पैसा जमा करने में फेल -निर्धारित समय बीत जाने के बाद सरकारी खजाने में
-तय 45 दिनों के अंदर पैसा जमा करने में फेल
-निर्धारित समय बीत जाने के बाद सरकारी खजाने में पहुंचा पैसा
-स्टाम्प ड्यूटी चुकाने को लेकर अभी भी स्थिति साफ नहीं
200 करोड़ की उगाही का खेल-3
पिछले साल राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जब भूमाफिया या कहें जमीन माफिया पर नकेल कसने का निर्देश दिया था,काफी खलबली मच गई थी। जहां एक ओर कई भूमाफिया जेल भेजे गए थे,तो कई अंडर ग्राउंड हो गए थे। बाद में मामला ठंडा होने पर सभी धीरे-धीरे प्रकट होते चले गए। जमीन माफिया की सक्रियता एक बार फिर से बढ़ गई है। भारत-नेपाल सीमा पर करीब 40 बीघा सरकारी जमीन पर जमीन माफिया ने कब्जा कर लिया है और करोड़ों रुपये के वारे-न्यारे की तैयारी कर ली है। हम आने वाले कई दिनों तक इनका काला चिट्ठा खोल रहे हैं। कहां है यह जमीन,कैसे हो रहा है जमीन हड़पने का खेल और कौन लोग हैं इसमें शामिल,इस पूरे मामले का खुलासा हम कर रहे हैं। अब पढि़ए तीसरी कड़ी।
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जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : भारत-नेपाल सीमांत पानीटंकी में करीब 40 बीघा सरकारी जमीन पर मार्केट बनाकर 200 करोड़ रुपये की उगाही के चक्कर में जमीन माफिया ने राज्य सरकार के नियम-कानून को भी ताख पर रख दिया है। आरोप है कि सलामी की रकम जमा कराने की तिथि बीत जाने के बाद मात्र चार करोड़ रुपये जमा कराए गए हैं। जबकि जमा दस करोड़ रुपये कराना है। इसके अलावा जमीन पर कब्जे के लिए और भी कई प्रकार की तिकड़म भिड़ाने की कोशिश की गई है। जबकि भूमि व भूमि सुधार विभाग राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अधीन है।
दार्जिलिंग जिला भूमि व भूमि सुधार अधिकारी द्वारा भेजी गयी रिपोर्ट के आधार पर भूमि व भूमि सुधार मंत्रालय ने मेची मार्केट व्यवसायी वेलफेयर एसोसिएशन को गंडगोल और उत्तर रामधन मौजा में 7.92 एकड़ जमीन लीज पर देने का निर्देश दार्जिलिंग जिला शासक को दिया। राज्य सरकार के डिप्टी सेक्रेटरी ने 12 मार्च 2020 को यह निर्देशि जारी करते हुए कहा कि साफ कहा कि स्टाम्प ड्यूटी के साथ सलामी की रकम 45 दिनों के भीतर जमा करानी होगी। अर्थात 26 अप्रैल के भीतर रकम जमा कर रजिस्ट्रेशन का काम 26 अप्रैल 2020 तक पूरा हो जाना चाहिए था। जबकि मेची मार्केट व्यवसायी वेलफेयर एसोसिएशन की ओर निर्धारित समय सीमा समाप्त होने के 35 दिन बाद बीते 1 जून को ई-चालान के जरिए चार करोड़ की रकम जमा कराई गई,जो कि 5 जून को बैंक से क्लियर हुआ है। अब सवाल यह उठता है कि क्या निर्धारित तिथि बीत जाने के बाद भी रकम जमा कराने की कोई व्यस्था है। वह भी आधे से कम रकम। वहीं दूसरी तरफ सरकारी निर्देश के 35 दिन बाद विभाग ने यह चार करोड़ रुपये जमा भी कर लिया। अब यह चार करोड़ की रकम स्टाम्प ड्यूटी है या फिर सलामी,यह तो दार्जिलिंग भूमि और भूमि सुधार कार्यालय या मेची मार्केट व्यवसायी वेलफेयर एसोसिएशन के लोग ही बता सकते हैं। इसके अतिरिक्त ई-चालान में साफ तौर पर उल्लेखित है कि लीज की सलामी और किराया किसान से लेना है। इसके मुताबिक उक्त जमीन को किसी सरकारी योजना के अतिरिक्त किसान को दिया जा सकता है। लेकिन उक्त 7.92 एकड़ सरकारी भेस्ट जमीन सोसाइटी एक्ट के तहत पंजीकृत एक गैर सरकारी संस्था को वाणिज्यिक कार्य के लिए लीज पर दिया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर किसान के अकाउंट हेड के तहत 4 करोड़ की रकम सलामी के तौर पर जमा कराई गई है। जबकि यह रकम कलेक्शन फ्राम इस्टेट हेल्ड डायरेक्ट बाय गवर्नमेंट -अदर रिसिप्ट (0029-00-101-003-27) के तहत भी जमा कराया जा सकता था।
इस संबंध में खोरीबाड़ी ब्लॉक भूमि व भूमि सुधार अधिकारी शुभ्रजीत मजूमदार ने बताया कि किसान तो सिर्फ हेड होता है, जमीन लीज पर किसी संस्था को भी दिया जा सकता है। उनसे लीज व किराये की रकम भी ली जा सकती है।
जबकि डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार टी डी भूटिया के अनुसार गंडगोल और उत्तर रामधन मौजा के सभी प्लॉट लॉक हैं। अर्थात उक्त जमीन की कीमत अभी तय नहीं की जा सकती है। जबकि सरकारी मूल्य के बिना जमीन की लीज मुमकिन नहीं है। सरकारी निर्देश के बिना स्थानीय प्रशासन भी इस कार्य में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। प्लॉट लॉक होने के बाद भी वेल्यूएशन रिपोर्ट जारी
प्लॉट लॉक होने के बाद भी बीते 3 जुलाई को खोरीबाड़ी ब्लॉक भूमि व भूमि सुधार अधिकारी ने एडिशनल डिस्ट्रिक्ट सब रजिस्ट्रार (एडीएसआर) घोषपुकुर कार्यालय से उक्त जमीन की वेल्यूएशन रिपोर्ट तलब की। खोरीबाड़ी ब्लॉक भूमि व भूमि सुधार अधिकारी द्वारा भेजी गयी चिट्ठी मेमो नंबर 345/बीएलएलआरओ/केएचबी/2020 के आधार पर एडीएसआर घोषपुकुर ने उक्त सरकारी भेस्ट जमीन की वेल्यूएशन रिपोर्ट निकाल कर मेची मार्केट व्यवसायी वेलफेयर एसोसिएशन को दे दी। क्या कहते हैं विभागीय अधिकारी
इस संबंध में एडीएसआर घोषपुकुर सुरजीत विश्वास ने बताया कि बीएलएलआरओ खोरीबाड़ी के निर्देश पर वेल्यूएशन रिपोर्ट निकाली गई है। वेल्यूएशन रिपोर्ट निकालने के लिए जिला शासक का निर्देश है। जिला शासक से डीएलएलआरओ व बीएलएलआरओ के मार्फत वेल्यूएशन रिपोर्ट मांगी गयी है। लेकिन मजे की बात यह है कि वेल्यूएशन रिपोर्ट के लिए बीएलएलआरओ खोरीबाड़ी ने जो पत्र एडीएसआर घोषपुकुर को भेजा है, उस पत्र में डिप्टी सेक्रेटरी द्वारा 12 मार्च का जारी निर्देश का जिक्र है। लेकिन जिला शासक और डीएलएलआरओ के पत्र का कोई संदर्भ नहीं है।