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एनबीएमसीएच व जिला अस्पताल में खून की कमी

एक तरफ जहां सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवा का दावा करती फिर रही है, वहीं दूसरी ओर जिला अस्पपताल और एनबीएमसीएच में खून की कमी उसके दावों की पोल खोलती नजर आ रही है। जिसके चलते मरीजों को घोर परेशानियों का सामना करना पड रहा है?

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Oct 2018 11:21 PM (IST)Updated: Tue, 23 Oct 2018 11:21 PM (IST)
एनबीएमसीएच व जिला अस्पताल में खून की कमी
एनबीएमसीएच व जिला अस्पताल में खून की कमी

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : एक तरफ जहां सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवा का दावा करती फिर रही है, वहीं दूसरी ओर एनबीएमसीएच और जिला अस्पताल में खून की कमी उसके दावों की पोल खोल रही है। दुर्गा पूजा के दौरान पांच दिनों में सिर्फ उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में 72 लोगों की मौत हुई थी। वहीं दूसरी ओर मेडिकल अस्पताल व सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में खून की कमी ने गंभीर समस्या पैदा कर दी है। एनबीएमसीएच से मिली जानकारी के अनुसार पॉजिटिव ग्रुप के कुछ ही यूनिट खून बचे हुए हैं। जबकि निगेटिव गु्रप के खून की काफी समस्या है। गौरतलब रहे कि एनबीएमसीएच में हर रोज 70 से 75 यूनिट ब्लड की जरूरत पड़ती है। फिलहाल 40 से 50 यूनिट ही ब्लड बचे हुए हैं। एनबीएमसीएच में बी पॉजिटिव गु्रप ब्लड की काफी समस्या बनी हुई है।

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यही हाल सिलीगुड़ी जिला अस्पताल का भी है। जिला अस्पताल में ए पॉजिटिव एबी पॉजिटिव व ओ पॉजिटिव गु्रप के एक-एक यूनिट ब्लड बचे हुए हैं। जबकि जबकि इन तीनों ग्रुपों में निगेटिव ग्रुप के ब्लड नील दिखाए गए हैं। हांलाकि बी पॉजिटिव वह बी नेगेटिव ग्रुप के तीन-तीन यूनिट ब्लड शेष है। इस बारे में एनबीएमसीएच रीजनल ब्लड ट्रासफ्यूजन सेंटर के निदेशक डॉक्टर मृदुमय दास ने बताया कि महालया के बाद रक्तदान शिविर आयोजित नहीं होने से खून की समस्या पैदा हुई है। रक्तदान शिविर आयोजित कराने के लिए स्वयं सेवी संगठनों को आगे आना होगा, ताकि इस समस्या से निपटा जा सके।


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