Khana Khajana: बंगाल में भी लोकप्रिय बिहार का लिट्टी-चोखा, खाने का मन हो तो पहुंच जाइए सेवक रोड
Khana Khajana बिहार में शायद ही ऐसा कोई घर हो जहां पर लिट्टी-चोखा ना बनता हो। ऐसा नहीं है कि सिर्फ बिहारी समुदाय के लोग ही इसे पसंद करते हैं। बंगाल वासियों के मुंह पर भी इसका स्वाद लग चुका है और इसको बहुत ही चाव से खाया जाता है।
सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता: बिहार में शायद ही ऐसा कोई घर हो जहां पर लिट्टी-चोखा ना बनता हो। अगर किसी से कुछ चटपटा,तीखा और पौष्टिकता से भरपूर खाने बात हो तो लिट्टी-चोखा का नाम ही जेहन में आएगा। ऐसा नहीं है कि सिर्फ बिहारी समुदाय के लोग ही इसे पसंद करते हैं बल्कि हर समुदाय के घर में लिट्टी-चोखा को बेहद पसंद किया जाता है।
आलम ये है कि अब तो लिट्टी-चोखा शादी-विवाह की शान बन चुका है। मारवाड़ी, बंगाली, बिहारी हर शादी में या फिर दूसरे शब्दों में कहे कि बंगाल की धरती पर प्राय: हर शादी-विवाह में इसे परोसा जाता है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। बंगाल वासियों के मुंह पर भी इसका स्वाद लग चुका है और इसको बहुत ही चाव से खाया जाता है।
ऐसे में अगर इसे खाने का मन हो तो पहुंच जाइए सेवक रोड जहां पर ओमप्रकाश गुप्ता एक ठेले पर इन्हें कोयले की सिगड़ी पर सेंकते हुए दिख जाएंगे। इस बारे में ओमप्रकाश गुप्ता से बातचीत हुई तो उन्होंने बताया कि शहर में 22 सालों से ठेला लगाते आ रहे हैं। उनकी बनाई लिट्टी को खूब पसंद किया जाता है। साथ ही आलू-टमाटर का चोखा और चटनी भी परोसते हैं। कभी-कभी धनिया और अन्य सामग्री से भी चटनी बनाते हैं।
एक लिट्टी की कीमत दस रुपये है और घी वाली की कीमत पंद्रह रुपये है। स्पेशल लिट्टी 20 रुपये में उपलब्ध है, जिसे कभी-कभी बनाते हैं। घर में ही लिट्टी-चोखा बनाने की ट्रेनिंग गुप्ता ने आगे बताया कि बचपन से घर में लिट्टी-चोखा बनते हुए देखा है। घर से ही लिट्टी-चोखा बनाना सिखा और इसी को अपनी जीविका का साधन बना लिया है।
प्रतिदिन धूप हो या बारिश वे अपना ठेला लगाते हैं। सुबह छह बजे से वे इस कार्य में जुट जाते हैं। दोपहर दो बजे के करीब सेवक रोड में ठेला लगाते हैं। जहां पर रात दस बजे तक सेवा देते हैं। हमेशा मन में यही प्रण करते हैं कि ग्राहकों को अच्छा से अच्छा परोसेंगे ताकि उनकी सेहत को नुकसान ना पहुंचे और उनका काम भी चलता रहे।