जानें, करवा चौथ के नियम व व्रत की विधि, पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिन करती हैं यह व्रत
कार्तिक मास की कृष्ण पत्र की चतुर्थी तिथि 4 नवंबर को सुबह 3 बजकर 24 मिनट से शुरू होकर 5 नवंबर सुबह 5 बजकर 14 मिनट में समाप्त होगी। सुहागिनों का सबसे बड़ा पर्व करवा चौथ इस साल 4 नवंबर को मनाया जाएगा।
सिलीगुड़ी, अशोक झा। पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार सिलीगुड़ी जिसे मिनी इंडिया के रूप में भी जाना जाता है यहां करवा चौथ को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह देखा जा रहा है। सुहागिनों का सबसे बड़ा पर्व करवा चौथ इस साल 4 नवंबर को मनाया जाएगा। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। इस दिन सुहागिन औरतें पति की लंबी आयु और सुखमय जीवन की कामना के साथ निर्जला व्रत रखती हैं। करवा चौथ का व्रत रखने वाली औरतें चांद को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं। इस साल करवा चौथ व्रत 4 नवंबर को है।
अगर आप इस साल पहली बार व्रत रखने जा रही हैं। सुहागिन नारी का अपने पति की दीर्घायु और हर प्रकार के सुख-ऐश्वर्य की कामना के साथ किया गया निर्जल व्रत। ऐसे अनूठे व्रत हिंदू संस्कृति में ही हो सकते हैं। यह पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस पर्व में दिनभर का उपवास करके, शाम को सुहागिनें करवा की कहानियां कहती-सुनती हैं। उसके पश्चात गौरा से सुहाग लेकर तथा उगते चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने सुहाग की अटलता की कामना करती हैं। पति के प्रति प्रेम की आत्मिक अभिव्यक्ति के लिए किया जाने वाला करवा चौथ का व्रत पिया की दीर्घायु के लिए किया जाता है। इस व्रत का सबसे अहम और दिलचस्प पहलू है, छलनी में से चांद और अपने चंदा यानी पिया को देखना, जो इस व्रत के उत्साह को बढ़ा देता है। इसको लेकर आचार्य पंडित यशोधर झा ने इसको लेकर विस्तार से जानकारी दी।
करवा चौथ का शुभ मुहूर्त
कार्तिक मास की कृष्ण पत्र की चतुर्थी तिथि 4 नवंबर को सुबह 3 बजकर 24 मिनट से शुरू होकर 5 नवंबर सुबह 5 बजकर 14 मिनट में समाप्त होगी।
करवा चौथ का शुभ मुहूर्त- शाम 5 बजकर 29 मिनट से 6 बजकर 48 मिनट तक।
चंद्रोदय- शाम 8 बजकर 12 मिनट पर।
करवा चौथ पूजा थाली की सामग्री
छलनी, मिट्टी का टोंटीदार करवा और ढक्कन, करवा चौथ की थाली, रूई की बत्ती, धूप या अगरबत्ती, फूल, मिठाईयां, फल, नमकीन मठ्ठियां, कांस की तीलियां, करवा चौथ कैलेंडर, रोली और अक्षत (साबुत चावल), चीनी का करवा (विकल्प), गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी के 5 डेले, आटे का दीया, दीपक, सिंदूर, चंदन और कुमकुम, मीठी मठ्ठियां, शहद और चीनी, लकड़ी का आसन, जल का लोटा, गंगाजल, कच्चा दूध, दही और देसी घी, आठ पूरियों की, अठावरी और हलवा, दक्षिणा आदि।
करवा चौथ व्रत के नियम
यह व्रत सूर्योदय होने से पहले शुरू होता है और चांद निकलने तक रखा जाता है। चांद के दर्शन के बाद ही व्रत को खोलने का नियम है। शाम के समय चंद्रोदय से लगभग एक घंटा पहले सम्पूर्ण शिव-परिवार (शिव जी, पार्वती जी, नंदी जी, गणेश जी और कार्तिकेय जी) की पूजा की जाती है। पूजन के समय व्रती को पूर्व की ओर मुख करके बैठना चाहिए। इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पति को छलनी में दीपक रख कर देखा जाता है। इसके बाद पति जल पिलाकर पत्नी का व्रत तोड़ते हैं।
करवा चौथ पूजा का मंत्र
'ॐ शिवायै नमः' से पार्वती का, 'ॐ नमः शिवाय' से शिव का, 'ॐ षण्मुखाय नमः' से स्वामी कार्तिकेय का, 'ॐ गणेशाय नमः' से गणेश का तथा 'ॐ सोमाय नमः' से चंद्रमा का पूजन करें। करवों में लड्डू का नैवेद्य रखकर उसे भगवान को अर्पित करें. एक लोटा, एक वस्त्र व एक विशेष करवा दक्षिणा के रूप में अर्पित कर पूजन समापन करें। करवा चौथ व्रत की कथा और सुनें।
राशि के अनुसार शुभ रंग का करे चयन
मेष- गहरा लाल रंग
वृष- पीला रंग
मिथुन- हरा रंग
कर्क - गुलाबी रंग
सिंह- लाल रंग
कन्या - हरी धारियों वाला वस्त्र या साड़ी
तुला - सफेद कढ़ाई वाली गुलाबी अथवा पीली साड़ी
वृश्चिक - प्लेन साड़ी
धनु - हल्के पीले रंग के आउटफिट
मकर - कथई रंग का वस्त्र
कुम्भ - मैरून रंग
मीन - पीली साड़ी या आउटफिट
यह भी देखें: आज करवा चौथ, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और कथा