धू-धू कर जली कालिम्पोंग डिपो की बस,कोई घायल नहीं
जब बस में मौजूद अग्नि शमन उपकरण की सहायता से आग बुझाने का प्रयास किया तो पता चला कि अग्नि शमन उपकरण कार्य नहीं कर रहा था।
कालिम्पोंग,संवादसूत्र। शुक्रवार को सुबह एक बड़ी दुर्घटना होते होते बच गई। सिलीगुड़ी डिपो से कालिम्पोंग आ रही उत्तर बंगाल परिवहन निगम लिमिटेड की बस पूरी तरह जलकर खाक हो गई। हालांकि इस घटना में कोई हताहत या घायल नहीं हुआ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सुबह करीब 11 बजे सिलीगुड़ी डिपो से 20 यात्री,एक चालक व परिचालक के साथ कालिम्पोंग के लिए रवाना हुई बस संख्या डब्ल्यूबी 63-9332 मिनी बस कालिम्पोंग जिले की सीमा में 6 माइल क्षेत्र पहुंची ही थी कि चालक को आगे के पहिए से धुआं निकलता दिखाई दिया। आनन फानन में तत्परता दिखाते हुए चालक हेमंत कुमार प्रधान ने बस को किनारे रोकते हुए यात्रियों व उनके सामान को सुरक्षित उतारने में सफल रहे। हालांकि प्रधान ने जब बस में मौजूद अग्नि शमन उपकरण की सहायता से आग बुझाने का प्रयास किया तो पता चला कि अग्नि शमन उपकरण कार्य नहीं कर रहा था।
देखते ही देखते बस धू धू कर जलने लगी। इस विषय पर जब निगम के प्रबंध निदेशक से इस विषय में बात की गई तो उन्होंने अग्निशमन उपकरण के खराब होने की बात को पूरी तरह खारिज करते हुए बसों के संचालन से पूर्व रखरखाव पर पूरा ध्यान देने की बात कही। प्राप्त जानकारी के अनुसार बस में करीब 90 लीटर ईधन से लैस थी जिसके चलते आग ने विकराल रूप धारण कर लिया और मिनटों में बस आग के गोले में तब्दील हो गई। घटना स्थल से चालक व परिचालक ने तत्काल घटना की सूचना कालिम्पोंग डिपो प्रभारी सचिन खाती को दी किंतु जब तक डिपो अधिकारी तथा दमकल विभाग के वाहन मौके पर पहुंचे तब तक बस लगभग पूरी तरह जलकर स्वाहा हो चुकी थी। हालांकि जलपाईगुड़ी की रहने वाली तथा एमवे कंपनी में कार्यरत एक महिला यात्री ने बस में अपने दो लाख कीमत की सामग्री जलने की बात कहते हुए विभाग के समक्ष दावा करने की जानकारी दी है। प्रारंभिक जांच में बस में आग के कारण के तौर पर शार्ट सर्किट को बताया जा रहा है। डिपो प्रभारी खाती ने घटना की सूचना अपने उच्चाधिकारियों को देते हुए निकटतम थाने पर भी सूचना दे दी है। बताते चलें कि आंदोलन काल में कालिम्पोंग डिपो कार्यालय आग के हवाले कर दिया गया था जिसके चलते सभी वाहनों का संचालन सिलीगुड़ी से ही किया जा रहा था। मुख्यमंत्री ने जिन मिनी बसों को कालिम्पोंग को वर्ष 2015 में दिया था उनमें से ही एक बस शुक्रवार को घटना का शिकार हुई।
हालांकि मौके पर यात्रियों ने बताया कि उक्त बसों में बैठने अथवा अन्य व्यवस्था पहाड़ पर चलने वाली बसों जैसी नहीं है। उक्त बसों में न तो सीटों पर गद्दियां हैं और न ही सामान रखने के लिए विशेष कैरियर। यात्रियों ने इस बात की शिकायत कई बार संबंधित अधिकारियों से भी की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई और हो भी कैसे अगर एनबीएसटीसी मुखिया की मानें तो कालिम्पोंग व दार्जिलिंग बस डिपो है ही नहीं। वहीं प्रबंध निदेशक ने कहा कि बसों की हालत खराब है इसकी उन्हें जानकारी नहीं थी और आगे वो इस विषय पर उचित कार्रवाई करेंगे। यात्रियों ने रोष व्यक्त करते हुए विभाग से पहाड़ के अनुरूप चलने वाली बसों में सुविधाओं में वृद्धि के साथ ही आपातकाल उपकरणों पर विशेष ध्यान देने की मांग की है। हालांकि जब इस विषय में राज्य के परिवहन मंत्री शुभेंदु अधिकारी से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि बस के जलने की जांच करवाई जाएगी तथा अगर उपकरणों में खराबी की बात सच पाई गई तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी।