आंदोलन में मोर्चा संगठन के न रहने पर कोई फर्क नहीं पड़ता: ज्वाइंट फोरम
बागान श्रमिकों के न्यूनतम मजदूरी को लेकर पहाड़ से लेकर तराई व डुवार्स में ज्वाइंट फोरम का आंदोलन जारी है। बुधवार को भी बागानों में फोरम का हड़ताल जारी रहा।
दार्जिलिंग/मिरिक, जेएनएन । बागान श्रमिकों के न्यूनतम मजदूरी को लेकर पहाड़ से लेकर तराई व डुवार्स में ज्वाइंट फोरम का आंदोलन जारी है। बुधवार को भी बागानों में फोरम का हड़ताल जारी रहा।
वही दूसरी तरफ ज्वाइंट फोरम ने आंदोलन में मोर्चा संगठन के न शामिल होने पर कोई फर्क नहीं पड़ने की बात कहीं। संगठन का कहना है कि चाय बागान मालिकों की गुलामी करने वाले गोजमुमो ट्रेड यूनियन ज्वाइंट फोरम के साथ न रहे, यह ठीक है।
मालूम हो कि मंगलवार को गोजमुमो के श्रमिक संगठन ने ज्वाइंट फोरम से अपना रिश्ता तोड़ लिया। मोर्चा संगठन के दार्जिलिंग तराई डुवार्स टी प्लांटेशन लेबर यूनियन के अध्यक्ष करूण गुरूंग ने कहा था कि फोरम ने तीन दिनों तक बागानों में हड़ताल की है। जिसमें बागान के भीतर तैयार किए गए चाय की पत्तियों को बाहर नहीं जाने दिया जाएगा। इसलिए यूनियन बगान बंद के पक्ष में नहीं है। केवल धरना के पक्ष में है। इसलिए यूनियन हड़ताल में नहीं रहना चाहते है। टेबल पर बातचीत कर उसका समस्या का समाधान हो सकता है।
इधर बुधवार को गोरामुमो व क्रामाकपा ज्वांइट फोरम के आंदोलन के साथ होने की बात बताई। इस दिन हिमालयन प्लांटेशन वर्कर्स यूनियन के पार्टी कार्यालय में वर्किंग कमेटी की बैठक हुई थी। बैठक के बाद जे बी तामांग ने कहा कि चाय मालिकों की गुलामी न करके बागान यूनिट स्तर पर जाकर श्रमिकों को उत्तकन्या के फैसला बताने को कहा।
क्रामाकपा का ट्रेड यूनियन दार्जिलिंग तराई डुवार्स चाय बागान मजदूर यूनियन के नेता व फोरम के प्रवक्ता सुनिल राई ने कहा कि सरकार की ओर से 172 रुपये पर फोरम राजी नहीं है। इस आंदोलन के बीच फोरम ने आगामी 15 तारीख तक का समय दिया है। अगर मांगें पूरी नहीं हुई, तो जोरदार आंदोलन किया जाएगा।
गौरतलब है कि चाय बागान श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी निर्धारण को लेकर सोमवार को मिनी सचिवालय ‘उत्तर कन्या’ के बाद मंगलवार को ऋषि भवन में हुई त्रिपक्षीय बैठक भी बेनतीजा रही। इसके मद्देनजर तराई, डुवार्स व पहाड़ के चाय बागानों में ज्वाइंट फोरम की ओर से आहूत श्रमिकों की तीन दिवसीय हड़ताल अब जारी है।
वही दूसरी ओर मिरिक में न्यूनतम मजदूरी की मांग को लेकर ज्वाइंट फोरम के बैनर तले श्रमिक संगठनों में से एक गोरामुमो भी धरना पर बैठे हुए है। यहां पर पैदल यात्र और गेट मीटिंग कर श्रमिकों के अधिकारों के बारे में जागरूक किया जा रहा है।
गोरामुमो नेता नवराज छेत्री ने कहा कि श्रमिकों ने अपने पसीने का मूल्य मांगा है। युगों से अंग्रेजों के बाद भी बागान मालिकों के शोषण का शिकार हो गए चाय श्रमिकों ने अपने हक की लड़ाई को नहीं छोड़ा है। हालांकि इस बार खुद ही सरकार ने श्रमिकों के न्यूनतम मजदूरी की घोषणा को लेकर तीन तीन बार बैठक कर चुकी है। लेकिन बैठक विफल रहा। ऐसे में अब अपनी मांगों को लेकर श्रमिक आंदोलन पर है।
उन्होंने कहा कि आज के समय में 170 रुपये में क्या होने वाला है। इससे क्या मिलेगा, यह सरकार भी अच्छी तरह से जानती है। लगातार बैठक व तारीख बढ़ने से श्रमिकों की हताशा बढ़ रही है। श्रमिकों में आक्रोश पैदा हो रहा है। श्रमिकों के हित के लिए सरकार गंभीर क्यों नहीं है। विगत 104 दिनों के आंदोलन बागान श्रमिकों को कुछ नहीं मिला है। बोनस के लिए श्रमिकों को तड़पना पड़ा। श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी के रूप में कम से कम 355 रुपये मिलना चाहिए। श्रमिकों को दिया गया वचन सरकार अगर पूरा करती है तो श्रमिक उसका विरोध क्यों करेंगे।