बहुत जल्द तेज गति से दौड़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था : प्रवीण
जागरण विमर्श का लोगो - लगातार साहसिक फैसले ले रही है केंद्र सरकार -नोटबंदी और जीएसट
जागरण विमर्श का लोगो
- लगातार साहसिक फैसले ले रही है केंद्र सरकार
-नोटबंदी और जीएसटी के नाम पर मंदी का हौवा
-उद्योग जगत में भरोसे का करना होगा संचार
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : नोटबंदी और जीएसटी को हौवा बनाकर आर्थिक मंदी का ढोल पीटा जा रहा है। जबकि सच्चाई यह है कि पुराने पापों को धोते हुए केंद्र की मजबूत सरकार ने अर्थव्यवस्था को नया स्टार्ट कर दिया है। जल्द ही देश में आर्थिक मंदी कहीं दूर-दूर तक नजर नहीं आएगी। हां आर्थिक मंदी से निपटने के लिए उद्योग जगत में भरोसे का संचार करना होगा। यह कहना है आर्थिक मुद्दों के जानकार प्रवीण अग्रवाल का। वे दैनिक जागरण के लोकप्रिय कार्यक्रम जागरण विमर्श में बतौर अतिथि चर्चा कर रहे थे। आज का विषय था मंदी दूर करने के लिए और क्या करे सरकार। प्रवीण अग्रवाल ने कहा कि ट्रेड वार का पूरे विश्व के साथ भारत के अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है। इंटरनेशनल ट्रेड में अनिश्चितता का माहौल पैदा हो गया है जिसका असर अगले पांच सालों तक दिखाई देगा। बात अगर भारतीय अर्थव्यवस्था की करें तो विश्व बैंक की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि अगले वित्त वर्ष से विकास दर में तेजी आएगी। 2021 में ग्रोथ रेट 6.9 फीसदी और संभव है कि 2022 में यह 7.2 फीसदी तक पहुंच जाए। मेरा मानना है कि इससे भी तेजी से भारतीय अर्थव्यवस्था आगे आएगी। चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि रिजर्व द्वारा बैंक रेपो दर में लगातार कटौती जारी है। इसके बावजूद कर्ज लेने में कमी आई है। इसमें बदलाव की जरूरत है। संभावनाओं के बारे में आश्वास्त तो होना ही होगा। मंदी दूर करने के लिए सिर्फ मौद्रिक उपाय ही कारगर नहीं होंगे। सरकार को कल्याणकारी योजनाओं के साथ साथ कृषि सब्सिडी में मदद करना भी जरूरी है। राजनीति में यह संभव है कि सरकार द्वारा तय कर लिए गए लक्ष्यों को जनता समर्थन करे। बैंकिंग क्षेत्र से जुड़ी दुविधा भी बरकरार है। बैंकों का पुन: पूंजीकरण अच्छी पहल है। सरकार ने 1.76 लाख करोड़ रूपया दिया है। बैंकों के डूबे कर्ज को लाना होगा। बैंकों से अरबों कर्ज लेकर देश से उद्योगपतियों का भागना आर्थिक मंदी का मुख्य कारण है। फिस्कल डेफिसिट यानि मौद्रिक घाटा बढ़ रहा है। इसके कारण अंतरराष्ट्रीय रेटिंग कम कर दी जाएगी। परिवारों को आर्थिक मजबूती देने की जरूरत है। अगर उद्योगपति गलती करते है तो भी सरकार की एनफोर्समेंट एजेंसियों और टैक्स इंस्पेक्टरों को भी धीरज से काम लेना होगा। टारगेट को पूरा करने में हो रही देरी को वे उन्हें चोर नहीं समझें।
वैश्रि्वक अर्थव्यवस्था में सुस्ती के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले पाच सालों में (2024 तक) आर्थिक आकार लगभग दोगुना कर 5 ट्रिलियन डॉलर करने का लक्ष्य रखा है। इस पर पूरा विश्व भरोसा कर रहा है। कारण सरकार ने अभूतपूर्व और साहसिक फैसले लिए हैं। भारत का ग्रोथ रेट भले ही इस वित्त वर्ष में घट गया है लेकिन अगले वित्त वर्ष से इसमें तेजी की संभावना जताई गई है। इन तमाम परिस्थितियों के बीच पाच सालों केबाद वैश्रि्वक अर्थव्यवस्था में योगदान के मामले में भारत अमेरिका से आगे निकल जाएगा। अग्रवाल ने कहा कि 2024 में वैश्रि्वक अर्थव्यवस्था में चीन का योगदान 2018 के 32.70 फीसदी के मुकाबले गिरकर 28.30 फीसदी पर पहुंच जाएगा, जबकि ग्लोबल ग्रोथ रेट घटकर 3 फीसदी पर पहुंचने का अनुमान जताया गया है। पांच साल बाद भारत का योगदान करीब 15.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है, जबकि अमेरिका का योगदान 13.8 फीसदी (2018-19) से घटकर 9.2 फीसदी पर पहुंच जाएगा। कार्यालय आए अतिथि का स्वागत वरिष्ठ समाचार संपादक गोपाल ओझा और महाप्रबंधक सुभाशीष जय हालदार ने किया। चर्चा में वरिष्ठ पत्रकार अशोक झा व छायाकार संजय साह आदि मौजूद थे।