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अनेकता में एकता ही हमारी पहचान है

-मॉडल स्कूल में संस्कारशाला का आयोजन - विविधता का सम्मान विषय पर की गई चर्चा -बच्चों ने

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Oct 2019 09:16 PM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 09:16 PM (IST)
अनेकता में एकता ही हमारी पहचान है
अनेकता में एकता ही हमारी पहचान है

-मॉडल स्कूल में संस्कारशाला का आयोजन

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- विविधता का सम्मान विषय पर की गई चर्चा

-बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : भारत में विभिन्न जाति, धर्म, संस्कृति व भाषा के लोग रहते हैं। एक तरह से कहा जाए तो भारत विविधताओं का देश है। इस लिए समाज का दायित्व बनता है कि वह विविधताओं का सम्मान करें। हम कहीं भी रहें, लेकिन हर जगह के संस्कृति व भाषा का सम्मान करते हुए उसे जीवन में अपनाने का प्रयास करना चाहिए । यह बातें सिलीगुड़ी मॉडल हाईस्कूल (सीनियर सेकेंड्री) स्कूल के विद्यार्थियों ने दैनिक जागरण द्वारा विद्यालय में आयोजित संस्कारशाला कार्यक्रम में कही।

इसके तहत 'विविधता का सम्मान' विषय पर आधारित विद्यालय की शिक्षिका प्रियंवदा तिवारी ने विद्यार्थियों को प्रेरक कहानी सुनाई। कहानी सुनकर विद्यालय के विद्यार्थी भी काफी प्रेरित हुए तथा इसे अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लिया। विद्यार्थियों ने कहा भारत विविधताओं वाला देश है। अनेकता में एकता हमारी पहचान है।

जब शिक्षिका ने कहानी सुनाया कि किस तरह से एक सोसायटी में खेल, फैंसी ड्रेस व म्यूजिकल चेयर प्रतियोगिता होना था। जहां पर इस बार देश के विभिन्न जगहों की संस्कृति व भाषा पर आधारित कार्यक्रम रखा गया। जिसमें बच्चों ने अलग-अलग जगहों के पारंपरिक परिधान धारण कर कार्यक्रम प्रस्तुत किया।

विद्यार्थियों ने कितना मन से कहानी सुना इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कहानी के अंत में पूछे गए सवालों का जवाब सही-सही बताया।

विविधता आज की जरूरत है और विविधता में एकता की ज्यादा जरूरत है। विविधता में हम बहुत कुछ सीखते हैं। इससे उनमुक्त विचारधारा की प्रेरणा मिलती है।

- डॉ एसएस अग्रवाल, प्रधानाचार्य अनेकता में एकता ही हमारी पहचान है। यहां हर जगह, हर धर्म व संस्कृति के लोग रहते हैं। सभी भाषा व संस्कृति का समान रूप से सम्मान होना चाहिए। सम्मान के साथ हम जितनी भाषा व संस्कृति के बारे में जानकारी हासिल करेंगे, उतना हमारे जीवन में काम आएगा।

- प्रियंवदा तिवारी, शिक्षिका बच्चों में नैतिक मूल्यों के साथ राष्ट्रीयता का भाव होना जरूरी है। यह हमें देश के विभिन्न संस्कृतियों व भाषाओं के माध्यम से मिल सकती है। हमें विविधताओं का सम्मान करना चाहिए। क्योंकि भारत कई राज्यों वाला देश है, लेकिन दूसरे देशों में हमारी पहचान भारतीय के रूप में होती है। इसी तरह से विविधताओं का सम्मान करना चाहिए।

- शुभ्रा दे, शिक्षिका बच्चों के अंदर नैतिक मूल्यों व राष्ट्रीयता का बोध होना चाहिए, जो वर्तमान समय में कम होता जा रहा है। दैनिक जागरण संस्कारशाला के माध्यम से बच्चों के विविधता का सम्मान करने के जो गुण बताए जा रहे हैं, निश्चित रूप से उनके अंदर इसकी भावना जागृत होगी।

- तपोश्री दत्ता, शिक्षिका देश में अलग-अलग विचारधारा के लोग रहते हैं। जहां उनकी संस्कृति व भाषा अलग-अलग हो सकती है। हमें एक साथ मिलकर सभी के भावनाओं का सम्मान करते हुए रहना होता है। दैनिक जागरण ने संस्कारशाला के माध्यम से विद्यार्थियों के अंदर जो संस्कार भरने का कार्य किया है, निश्चय ही विद्यार्थियों के लिए यह काफी लाभदायक होगा।

- आर बिंदु अग्रवाल, रेक्टर हम कहीं भी रहें, लेकिन हमें सभी जगहों की संस्कृति, भाषा व वेशभूषा का न सिर्फ सम्मान करना चाहिए, बल्कि इसके बारे में जानकारी रखनी चाहिए। जिस तरह से एक सोसायटी में विभिन्न संस्कृतियों पर आधारित प्रतियोगिता आयोजित विविधता का सम्मान किया, उसी तरह से हमें भी इस पर अमल करना चाहिए।

- चांदनी जायसवाल, छात्रा हमें सबका सम्मान करना चाहिए। पढ़ाई के साथ सभी भाषा व संस्कृति के भी बारे में जानना चाहिए। पढ़ाई के साथ व्यवहारिक ज्ञान होना चाहिए। व्यवहारिक ज्ञान नहीं होने से विद्यार्थी 90 प्रतिशत अंक लाकर भी कुछ नहीं कर सकते। अगर शिक्षा के साथ व्यवहारिक ज्ञान है तो 60 प्रतिशत लाकर भी अधिकारी बना जा सकता है।

- प्रियंका साह, छात्रा हमें सभी धर्म व जाति का समान भाव से सम्मान करना चाहिए। हमारा देश विविधताओं वाला देश है। जब हम दूसरे की संस्कृति व भाषा को सम्मान देंगे, तभी दूसरे लोग हमारी भाषा व संस्कृति को सम्मान देंगे। हमें जितनी भाषाओं संस्कृतियों के बारे में जानकारी होगी, उतना हमारे लिए अच्छा रहेगा।

- मेघना घोष, छात्रा माली के उद्यान में जिस तरह से अलग-अलग फूल होते हैं, लेकिन एक ही जगह पर रहते हैं,उसी तरह से हम विभिन्न धर्म व जाति के होते हुए भी एक साथ मिलकर रहते हैं।अनेकता में एकता बनाकर रहने से ही देश की भलाई है।

- हर्षदीप कुमार, छात्र


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