आम के लिए मशहूर मालदा में आतंकी संगठन जेएमबी का फैला जाल
पश्चिम बंगाल का मालदा जिले का नाम आम के मामले में विदेशों तक मशहूर है, लेकिन यहां अपराध की फल-फूल रही फसल के कारण इस पर बदनामी का भी काला धब्बा लग चुका है।
By Rajesh PatelEdited By: Published: Mon, 15 Oct 2018 01:11 PM (IST)Updated: Mon, 15 Oct 2018 05:53 PM (IST)
सिलीगुड़ी [राजेश पटेल]। पश्चिम बंगाल के मालदा जिला का नाम आम के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। लेकिन, अब स्थिति काफी बदल चुकी है। यहां आम की खुशबू के स्थान पर बारूद की गंध आने लगी है। आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन (बांग्लादेश) की जड़ें यहां गहराई तक पहुंच चुकी हैं। नकली नोट, अवैध हथियार बनाने के कारखाने, बम बनाने का धंधा, अफीम की खेती, ऐसा कौन सा अपराध नहीं है, जो इस जिले में नहीं होता। यह हम नहीं, यहां के आपराधिक रिकॉर्ड बता रहे हैं।
मालदा के खेतों में अवैध रूप से अफीम की खेती हो रही है। यह खेती एक या दो बीघों में नहीं, हजारों बीघे में इसकी फसल लहलहाती है। मालदा में इतनी बड़ी तादाद में अवैध हथियार मौजूद हैं कि जितने पुलिस के पास भी नहीं। इसका खुलासा तीन जनवरी 2016 को हो ही गया। जब कालिया चक को पुलिस की मौजूदगी में ही फूंक दिया गया था। दंगाईयों ने जो कहर बरपाया था, उससे पूरे राज्य में सनसनी फैली थी। पुलिस-प्रशासन भी इनके सामने लाचार हो गया था। दंगाईयों के सामने जो आया, वही उनका शिकार बना था। उस दिन डेढ़ लाख से ज्यादा लोग हथियार लेकर सड़क पर निकले थे। भारत और बांग्लादेश की सीमा पर बसे इस इलाके को अफीम की खेती, हथियारों की तस्करी और उग्रवाद के गठजोड़ के कारण भारत का अफगानिस्तान कहें तो कहीं से गलत नहीं होगा। अफीम की खेती कालियाचक थाना के गांवों में होती है। हालांकि समय-समय पर बीएसएफ, एक्साइज़ और लैंड डिपार्टमेंट इसकी फसल को नष्ट करने की कार्रवाई करता है।
नकली नोटों की तस्करी की तरह बम बनाना भी है आम
अभी दो दिन पहले ही वैष्णवनगर थाना क्षेत्र के खोसालपुर के एक खाली मैदान से पुलिस ने 96 जिंदा बम बरामद किए। पुलिस को आशंका है अपराधी इनके माध्यम से दुर्गापूजा के दौरान आतंक फैलाना चाहते थे। इसके अलावा भी इतने बम समय-समय पर यहां बरामद किए जाते हैं, जिनकी गिनती असंभव नहीं तो मुश्किल जरूर है।
बम बरामदगी और विस्फोट की घटनाओं के कुछ उदाहरण
20 सितंबर 2108- वैष्णवनगर थाना के कृष्ण नगर इलाके से मोबाइल टॉवर के नीचे से 17 बम।
18 जुलाई 2018- कालियाचक थाना क्षेत्र के साइलापुर में बम बनाते समय विस्फोट से दो की मौत।
दो मई 2016- वैष्णव नगर थाना के जौनपुर में बम फटने से चार की मौत।
आठ मई 2017- कालियाचक थाना के हबीबनगर से पांच सौ बम बरामद।
दो मई 2016- मालदा में बम निष्किय करते समय विस्फोट हो जाने से सीआइडी के दो कर्मियों की मौत।
17 अक्टूबर 2014- मालदा के एक चाय बागान से 30 क्रूड बम बरामद।
20 अप्रैल 2016- विधानसभा चुनाव कर्मियों की कार से चार बम बरामद।
आठ मार्च 2017- एक घर से सौ से अधिक बम बरामद।
15 नवंबर 2015- कटिहार-मालदा पैसेंजर से 14 बम बरामद।
ये तो चंद उदाहरण हैं। इनके अलावा भी बम की बरामदगी और विस्फोट से हताहतों की लिस्ट काफी लंबी है।
हथियार बनाने भी में मुंगेर से कम नहीं है मालदा
असलहा बनाने के मामले में बिहार के मुंगेर से मालदा किसी भी स्तर पर कम नहीं है। बांग्लादेश में अपराधी मालदा में ही बने अवैध हथियारों का प्रयोग करते हैं। वैसे तो आए दिन बांग्लादेश की सीमा वाले इलाके में अवैध हथियारों की बरामदगी होती रहती है, लेकिन गत सोमवार की देर रात हथियारों का जो जखीरा बरामद किया गया, उसने सभी को चौंका दिया। मालदा के कालियाचक थानांतर्गत बांग्लादेश की सीमा पर नवादा गांव के पास बीएसएफ 24 बटालियन के जवान गश्त कर रहे थे। इसी बीच उन्होंने देखा कि सीमा पार चार-पांच लोग टहल रहे हैं। सीमा के इधर भी। भारतीय सीमा में जो लोग थे, उनके हाथ में प्लास्टिक के बैग भी थे। जवानों ने ललकारा तो सभी बैग छोड़कर गांव में घुस गए। तलाशी लेने पर थैलों में साढ़े चार सौ शीशी प्रतिबंधित कफ सीरप, सात एमएम की सात पिस्टल, 13 मैगजीन तथा 15 गोलियां मिलीं। इसके बाद बीएसएफ जवानों ने सीमावर्ती गांवों में पूरी रात सर्च ऑपरेशन चलाया। इस दौरान थैलों को फेंककर भागने वालों में दो के बारे में पता भी चला। इनके नाम मंटू शेख तथा मुताब्लिक शेख बताए गए। गत वर्ष स्वतंत्रता दिवस के ही दिन कालियाचक थाना के देवीपुर गांव में पुलिस ने छापेमारी कर कारखाने से 48 हथियार और भारी मात्रा में अधबने हथियार बरामद जब्त किए गए। हथियार नौ एमएम और सात एमएम के थे।
इसी तरह से गत वर्ष मई में ही कालियाचक थाना पुलिस ने अभियान चलाकर विभिन्न इलाकों से बड़ी संख्या में आग्नेयास्त्र और कारतूस बरामद किए थे। बरामद आग्नेयास्त्रों में पांच पाइपगन, दो मैगजीनयुक्त राइफल और 15 कारतूस शामिल थे।
गिरफ्तारियां बताती हैं जमात-उल-मुजाहिदीन (बांग्लादेश) की जड़ों की गहराई
सात जनवरी 2017 को एनआइए की टीम ने जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के एक सक्रिय कार्यकर्ता को पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा से गिरफ्तार किया था। एनआइए सूत्रों के मुताबिक, रिपन शेख उर्फ लितोन शेख सक्रिय रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नकली भारतीय मुद्रा नोट (एफआइसीएन) रैकेट में शामिल था।
गत 31 जुलाई को बांग्लादेश की सुरक्षा गार्ड (बीजीबी) और भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने संयुक्त अभियान चलाकर तीन जेएमबी आतंकियों को गिरफ्तार किया था। इनके नाम अबुल बकर, नजरूल इस्लाम और सलीम बताए गए थे।
यह लोग बांग्लादेशी सुरक्षा एजेंसियों द्वारा चलाए गए अभियान के बाद सीमापार से भाग कर मालदा जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में पहुंचे थे। परंतु, बीजीबी को इसकी सूचना मिल गई तो बीएसएफ से संपर्क साधा गया। इसके बाद बीएसएफ व बीजीबी की टीम ने बांग्लादेश की सीमावर्ती क्षेत्र में छापेमारी कर तीनों को दबोच लिया।बोधगया विस्फोट में भी मालदा के आतंकी की हुई थी गिरफ्तारी
बोध गया में हुए विस्फोट में भी मालदा के आतंकी की संलिप्तता थी। वह जेएमबी का सदस्य था। कोलकाता पुलिस की एसटीएफ ने गत आठ अगस्त को आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के एक सदस्य को बोध गया विस्फोट मामले में संलिप्तता के लिए झारखंड के पाकु़ड़ जिला से से मालदा जिले के निवासी 26 वर्षीय दिलवर हसन उर्फ अली हसन उर्फ उमर को गिरफ्तार किया।
मालदा के खेतों में अवैध रूप से अफीम की खेती हो रही है। यह खेती एक या दो बीघों में नहीं, हजारों बीघे में इसकी फसल लहलहाती है। मालदा में इतनी बड़ी तादाद में अवैध हथियार मौजूद हैं कि जितने पुलिस के पास भी नहीं। इसका खुलासा तीन जनवरी 2016 को हो ही गया। जब कालिया चक को पुलिस की मौजूदगी में ही फूंक दिया गया था। दंगाईयों ने जो कहर बरपाया था, उससे पूरे राज्य में सनसनी फैली थी। पुलिस-प्रशासन भी इनके सामने लाचार हो गया था। दंगाईयों के सामने जो आया, वही उनका शिकार बना था। उस दिन डेढ़ लाख से ज्यादा लोग हथियार लेकर सड़क पर निकले थे। भारत और बांग्लादेश की सीमा पर बसे इस इलाके को अफीम की खेती, हथियारों की तस्करी और उग्रवाद के गठजोड़ के कारण भारत का अफगानिस्तान कहें तो कहीं से गलत नहीं होगा। अफीम की खेती कालियाचक थाना के गांवों में होती है। हालांकि समय-समय पर बीएसएफ, एक्साइज़ और लैंड डिपार्टमेंट इसकी फसल को नष्ट करने की कार्रवाई करता है।
नकली नोटों की तस्करी की तरह बम बनाना भी है आम
अभी दो दिन पहले ही वैष्णवनगर थाना क्षेत्र के खोसालपुर के एक खाली मैदान से पुलिस ने 96 जिंदा बम बरामद किए। पुलिस को आशंका है अपराधी इनके माध्यम से दुर्गापूजा के दौरान आतंक फैलाना चाहते थे। इसके अलावा भी इतने बम समय-समय पर यहां बरामद किए जाते हैं, जिनकी गिनती असंभव नहीं तो मुश्किल जरूर है।
बम बरामदगी और विस्फोट की घटनाओं के कुछ उदाहरण
20 सितंबर 2108- वैष्णवनगर थाना के कृष्ण नगर इलाके से मोबाइल टॉवर के नीचे से 17 बम।
18 जुलाई 2018- कालियाचक थाना क्षेत्र के साइलापुर में बम बनाते समय विस्फोट से दो की मौत।
दो मई 2016- वैष्णव नगर थाना के जौनपुर में बम फटने से चार की मौत।
आठ मई 2017- कालियाचक थाना के हबीबनगर से पांच सौ बम बरामद।
दो मई 2016- मालदा में बम निष्किय करते समय विस्फोट हो जाने से सीआइडी के दो कर्मियों की मौत।
17 अक्टूबर 2014- मालदा के एक चाय बागान से 30 क्रूड बम बरामद।
20 अप्रैल 2016- विधानसभा चुनाव कर्मियों की कार से चार बम बरामद।
आठ मार्च 2017- एक घर से सौ से अधिक बम बरामद।
15 नवंबर 2015- कटिहार-मालदा पैसेंजर से 14 बम बरामद।
ये तो चंद उदाहरण हैं। इनके अलावा भी बम की बरामदगी और विस्फोट से हताहतों की लिस्ट काफी लंबी है।
हथियार बनाने भी में मुंगेर से कम नहीं है मालदा
असलहा बनाने के मामले में बिहार के मुंगेर से मालदा किसी भी स्तर पर कम नहीं है। बांग्लादेश में अपराधी मालदा में ही बने अवैध हथियारों का प्रयोग करते हैं। वैसे तो आए दिन बांग्लादेश की सीमा वाले इलाके में अवैध हथियारों की बरामदगी होती रहती है, लेकिन गत सोमवार की देर रात हथियारों का जो जखीरा बरामद किया गया, उसने सभी को चौंका दिया। मालदा के कालियाचक थानांतर्गत बांग्लादेश की सीमा पर नवादा गांव के पास बीएसएफ 24 बटालियन के जवान गश्त कर रहे थे। इसी बीच उन्होंने देखा कि सीमा पार चार-पांच लोग टहल रहे हैं। सीमा के इधर भी। भारतीय सीमा में जो लोग थे, उनके हाथ में प्लास्टिक के बैग भी थे। जवानों ने ललकारा तो सभी बैग छोड़कर गांव में घुस गए। तलाशी लेने पर थैलों में साढ़े चार सौ शीशी प्रतिबंधित कफ सीरप, सात एमएम की सात पिस्टल, 13 मैगजीन तथा 15 गोलियां मिलीं। इसके बाद बीएसएफ जवानों ने सीमावर्ती गांवों में पूरी रात सर्च ऑपरेशन चलाया। इस दौरान थैलों को फेंककर भागने वालों में दो के बारे में पता भी चला। इनके नाम मंटू शेख तथा मुताब्लिक शेख बताए गए। गत वर्ष स्वतंत्रता दिवस के ही दिन कालियाचक थाना के देवीपुर गांव में पुलिस ने छापेमारी कर कारखाने से 48 हथियार और भारी मात्रा में अधबने हथियार बरामद जब्त किए गए। हथियार नौ एमएम और सात एमएम के थे।
इसी तरह से गत वर्ष मई में ही कालियाचक थाना पुलिस ने अभियान चलाकर विभिन्न इलाकों से बड़ी संख्या में आग्नेयास्त्र और कारतूस बरामद किए थे। बरामद आग्नेयास्त्रों में पांच पाइपगन, दो मैगजीनयुक्त राइफल और 15 कारतूस शामिल थे।
गिरफ्तारियां बताती हैं जमात-उल-मुजाहिदीन (बांग्लादेश) की जड़ों की गहराई
सात जनवरी 2017 को एनआइए की टीम ने जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के एक सक्रिय कार्यकर्ता को पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा से गिरफ्तार किया था। एनआइए सूत्रों के मुताबिक, रिपन शेख उर्फ लितोन शेख सक्रिय रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नकली भारतीय मुद्रा नोट (एफआइसीएन) रैकेट में शामिल था।
गत 31 जुलाई को बांग्लादेश की सुरक्षा गार्ड (बीजीबी) और भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने संयुक्त अभियान चलाकर तीन जेएमबी आतंकियों को गिरफ्तार किया था। इनके नाम अबुल बकर, नजरूल इस्लाम और सलीम बताए गए थे।
यह लोग बांग्लादेशी सुरक्षा एजेंसियों द्वारा चलाए गए अभियान के बाद सीमापार से भाग कर मालदा जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में पहुंचे थे। परंतु, बीजीबी को इसकी सूचना मिल गई तो बीएसएफ से संपर्क साधा गया। इसके बाद बीएसएफ व बीजीबी की टीम ने बांग्लादेश की सीमावर्ती क्षेत्र में छापेमारी कर तीनों को दबोच लिया।बोधगया विस्फोट में भी मालदा के आतंकी की हुई थी गिरफ्तारी
बोध गया में हुए विस्फोट में भी मालदा के आतंकी की संलिप्तता थी। वह जेएमबी का सदस्य था। कोलकाता पुलिस की एसटीएफ ने गत आठ अगस्त को आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के एक सदस्य को बोध गया विस्फोट मामले में संलिप्तता के लिए झारखंड के पाकु़ड़ जिला से से मालदा जिले के निवासी 26 वर्षीय दिलवर हसन उर्फ अली हसन उर्फ उमर को गिरफ्तार किया।
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