स्ट्रोक : जीवन बचाने को सतर्कता जरूरी
विश्व भर में लोगों की मौत व अपंगता का एक प्रमुख कारण स्ट्रोक । इससे बचाव जानकारी के आधार पर ही किया जा सकता है। इसलिए यह जरूरी है इस मामले में सतर्कता बरती जाए।
इरफान-ए-आजम, सिलीगुड़ी :
विश्व भर में लोगों की मौत व अपंगता का एक प्रमुख कारण स्ट्रोक (आघात) है। न्योवटिया गेटवेल हेल्थ केयर सेंटर (माटीगाड़ा) के विशेषज्ञ न्यूरोलोजिस्ट डॉ. स्वयं प्रकाश कहते हैं कि स्ट्रोक बहुत ही खतरनाक व जानलेवा होता है। इसलिए समय रहते इसके प्रति सतर्कता अत्यंत आवश्यक है। इसके खतरे का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि विश्व में हर दूसरे सेकेंड में एक न एक व्यक्ति को स्ट्रोक होता है। हर छठे सेकेंड में स्ट्रोक किसी न किसी की जान ले लेता है। हर छह में से एक व्यक्ति जीवनकाल में स्ट्रोक से पीड़ित होता ही होता है।
स्ट्रोक के प्रकार
स्ट्रोक मूलत: दो प्रकार का होता है। पहला, इस्केमिक स्ट्रोक। इसमें मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति अवरुद्ध हो जाती है। वहीं, दूसरा हेमोरैजिक स्ट्रोक। इसमें मस्तिष्क में रक्त वाहिकाएं टूट जाती हैं।
स्ट्रोक के कारण
मस्तिष्क व शरीर में रक्त संचार अवरुद्ध हो जाने अथवा रक्त वाहिकाओं के क्षतिग्रस्त अथवा टूट जाने के चलते स्ट्रोक होता है।
स्ट्रोक के लक्षण
अंग्रेजी शब्दों के संक्षिप्त रूप 'फास्ट' की मदद से स्ट्रोक की पहचान की जा सकती है। उसका विवरण है फेस (चेहरा), आर्म्स (बांहें), स्पीच (बोली) व टाइम (समय)। चेहरे का सुन्न हो जाना, चेहरे या शरीर के एक ओर कमजोरी महसूस होना, बांहों व टांगों में कमजोरी, बोलने में समस्या, आवाज अस्पष्ट निकलना, दोहरी दृष्टि हो जाना, सिर चकराना और संवेदी समस्या आदि स्ट्रोक के लक्षण हैं। 'टाइमिंग' स्ट्रोक के इलाज में सबसे अहम है।
स्ट्रोक के खतरे
किसी व्यक्ति को पहले कभी स्ट्रोक हुआ हो व उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह एवं मोटापा वाले व्यक्ति और धूम्रपान व शराब आदि नशा करने वालों को स्ट्रोक का खतरा बहुत रहता है।
स्ट्रोक के इलाज
उत्तम इलाज द्वारा स्ट्रोक से बचाव को टाइमिंग यानी समय का ख्याल बहुत जरूरी है। तीन घंटे के अंदर-अंदर विशेषज्ञ के पास जा कर परामर्श लेना आवश्यक होता है। सिटी स्कैन व एमआरआई जांच से स्ट्रोक की पुष्टि होती है। स्ट्रोक की तीव्रता के अनुरूप विशेषज्ञ चिकित्सक इसका इलाज करते हैं। स्पीच थेरेपी, फीजिकल थेरेपी, ऑकुपेशनल थेरेपी, व आवश्यकतानुसार सर्जरी आदि इसके इलाज हैं।
स्ट्रोक से बचाव
अपना वजन बेहतर रखें। न कम न ज्यादा। नियमित रूप में शारीरिक अभ्यास करें। धूम्रपान, शराब आदि नशे से परहेज करें। संतुलित आहार लें। आलस्य न अपनाएं। सक्रिय जीवन जिएं।