अध्ययन में यह चिंताजनक खुलासा हुआ है, तेजी से स्मार्टफोन के गुलाम बन रहे स्कूली बच्चे
स्कूली बच्चे तेजी से स्मार्टफोन के गुलाम बन रहे हैं। महानगर के एक न्यूरो मनोचिकित्सक द्वारा किए गए अध्ययन में यह चिंताजनक खुलासा हुआ है।
कोलकाता, जागरण संवाददाता। स्कूली बच्चे तेजी से स्मार्टफोन के गुलाम बन रहे हैं। महानगर के एक न्यूरो मनोचिकित्सक द्वारा किए गए अध्ययन में यह चिंताजनक खुलासा हुआ है। न्यूरो मनोचिकित्सक अवधेश पी सिंह सोलंकी ने कोलकाता के विभिन्न निजी स्कूलों में पढ़ने वाले 511 बच्चों पर यह अध्ययन किया, जिसमें पाया गया कि इन बच्चों में से करीब 32 फीसद को स्मार्टफोन की इस कदर लत लग चुकी है कि उनके लिए इसके बगैर रह पाना मुश्किल है।
ये छठी से बारहवीं कक्षा के छात्र है। वहीं पहली से पांचवीं कक्षा के 18 फीसद बच्चे स्मार्टफोन के आदी बन चुके हैं। डॉ सोलंकी ने अपनी अध्ययन रिपोर्ट को इस साल फरवरी में मेलबोर्न में हुए वर्ल्ड कांग्रेस ऑफ सोशल साइकिएट्री एवं मई में हुए अमेरिकन साइकिएट्री सोसायटी के सालाना सम्मेलन में पेश किया था।
उन्होंने इसे पिछले साल जर्मनी के बर्लिन में हुए वर्ल्ड कांग्रेस ऑफ साइकिएट्री में भी पेश किया था। 2017 में उन्हें उनके अनुसंधान के लिए ब्रिटिश मेडिकल जोर्नल साउथ एशिया अवार्ड से पुरस्कृत किया गया था। डॉ. सोलंकी ने कहा कि प्रत्येक पांच में से एक छात्र को अब स्मार्ट फोन की लत लग चुकी है।
पहली से पांचवीं कक्षा के छात्र आम तौर पर गेम खेलने के लिए स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं जबकि उनके सीनियर सोशल नेटवर्किंग साइटें खंगालते हैं। पहली से पांचवीं कक्षा के छात्र रोजाना औसतन 3 घंटे 37 मिनट स्मार्टफोन पर बिताते हैं जबकि छठी से लेकर बारहवीं तक के छात्र रोजाना करीब 6 घंटे 16 मिनट स्मार्टफोन को देते हैं। यह समग्र अवधि है यानी छात्र अपने कामकाजी घंटों का एक चौथाई स्मार्टफोन पर बिताते हैं।
अध्ययन रिपोर्ट में पाया गया है कि इस आंकड़े में साामजिक अथवा आर्थिक पृष्ठभूमि का कोई असर नहीं पड़ा है। स्मार्टफोन के दाम और इंटरनेट शुल्क पहले की अपेक्षा काफी सस्ते हो गए हैं इसलिए उनका इस्तेमाल काफी बढ़ गया है। कामकाजी माता-पिता के बच्चे स्मार्टफोन के ज्यादा आदी देखे गए हैं।
ऐसा भी पाया गया कि स्मार्टफोन के आदी माता-पिता के बच्चों को भी स्मार्टफोन की लत लग चुकी है। डॉ सोलंकी ने बताया कि ऐसे बच्चों को विभिन्न समस्याओं को जूझना पड़ता है।
उन्हें सिरदर्द की शिकायत रहती है। वे बहुत जल्दी डर जाते हैं या नर्वस हो जाते हैं। वे नाखुश रहते हैं और चिंता रहते हैं। ऐसे बच्चे बहुत कम आज्ञाकारी होते हैं। वे झूठ बोलने लगते हैं और घर और स्कूल से सामान भी चुराते हैं। उनकी एकाग्रता कम हो जाती है, जिसका पढ़ाई पर भी असर पड़ता है।