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गोरखा किसे करेंगे सलेक्ट और किसी रिजेक्ट

मतदान कर देंगे अपना फैसला पार्टियों के भविष्य होंगे ईवीएम में कैद -क्या और कैसे निकलेग

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Apr 2021 05:47 PM (IST)Updated: Fri, 16 Apr 2021 05:47 PM (IST)
गोरखा किसे करेंगे सलेक्ट और किसी रिजेक्ट

मतदान कर देंगे अपना फैसला, पार्टियों के भविष्य होंगे ईवीएम में कैद

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-क्या और कैसे निकलेगा दार्जिलिंग में पहाड़ जैसी समस्या का हल

-कैसे जीत पाएंगे पहाड़वासियों का दिल, कैसे करेंगे चुनावी तीर से विरोधियों पर वार

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : दार्जिलिंग पहाड़ के सभी तीन विधानसभा सीट कालिम्पोंग, कर्सियांग और दार्जिलिंग। यहां के गोरखा शनिवार को अपना मतदान कर किस पार्टी या नेता को सलेक्ट करते है और रिजेक्ट यह उनके भविष्य पर टिका है। हिल्स में अपने पुराने मुद्दे गोरखा की अस्मिता यानि गोरखालैंड का मुद्दा चुनाव प्रचार के दौरान जमकर उठाया गया था। ऐसे में देश के वह गृहमंत्री जिसने आजादी के पूर्व की जम्मू काश्मीर की समस्या धारा 370,35 ए को खत्म कर राज्य को दो भागों में बांट दिया। यह एक ऐसा मुद्दा था जिसका हल को दूर उनकी ओर देखने में भी सभी राजनीतिक दल भय महसूस करते थे। दार्जिलिंग हिल्म में पहाड़ जैसी समस्या का हल निकालने का भरोसा देने ही गृहमंत्री दो दिनों तक पहाड़वासियों को संबोधित करेंगे। उनकी ओर देशभर के डेढ़ करोड़ गोरखाओं की नजर लगी हुई है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोरखा सम्मान और उनके साहस का सम्मान गोरर्खी टोपी पहनकर सिलीगुड़ी काबाखाली में की थी। इतना ही नहीं 2019 में भाजपा के लोकसभा संकल्प पत्र में इसका राजनीतिक स्थायी समाधान निकालने की बात कही गयी है। इस बात को स्वयं भाजपा सांसद व राष्ट्रीय प्रवक्ता इससे इंकार नहीं करते। उनका कहना है कि इसका हल कोई निकालेगा तो भाजपा ही। इस दिशा में पार्टी आगे बढ़ रही है।

इस बार गोजमुमो नहीं है भाजपा के साथ

बंगाल विधानसभा चुनाव में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के दोनों गुट बिनय तमांग व बिमल गुरुंग विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ चुनावी मैदान में है। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा सुप्रीमो बिमल गुरुंग अपने चुनावी घोषणा पत्र में पहला मुद्दा ही गोरखालैंड बनाया है। इस मुद्दे को लेकर पहाड़ के लोग वर्ष 2009 से भाजपा के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते रहे है।

कैसे बढ़ाया जा रहा है मुद्दा

गोरखा जनमुक्ति मोर्चा बिमल गुरुंग ने ममता बनर्जी को तीसरी बार सत्ता में लाने के लिए पूरा दमखम लगा दिया है। हिल्स के तीनों सीटों के अलावा वह तराई व डुवार्स में भी आठ दस सीटों (जो प्रस्तावित गोरखालैंड में है) में जीत दर्ज कराने में लगे है।

गोरखालैंड के मुद्दे पर संगठन को मजबूत कर रहे बिमल

एक तो पिछले तीन वर्षो से फरारी के हालत में कमजोर संगठन को मजबूती प्रदान होगी और दूसरा सदन के अंदर गोरखालैंड और गोरखाओं की आवाज बुलंद करने वाला प्रतिनिधि मिल जाएगा। इतना ही नहीं गोरखालैंड आंदोलन के जन्मदाता स्वर्गीय सुभाष घींिसंग की पार्टी गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा सुप्रीमा मन घीसिंग ने भाजपा के उम्मीदवार को समर्थन देने का निर्णय लिया है। वह भी इसलिए कि गोरखाओं के 11 जाति को जनजाति का दर्जा देने के साथ लोकसभा चुनाव के समय गोरखाओं के समस्या का राजनीतिक स्थायी समाधान निकालने की बात भाजपा ने कही है।

जातीय समीकरण है प्रमुख

यहां जातीय समीकरण को प्रमुखता दी गयी है। गोरखा को नेपाली कहे जाने से इसको लेकर विरोध करते हुए गोरखा समाज को एकजुट करने की कोशिश विनय तमांग की ओर से की जा रही है। तृणमूल कांग्रेस भी हिल्स में गोरखाओं को खुश करने के लिए हिल्स के ही शांता क्षेत्री को राज्यसभा सांसद बनाया और दोबारा गोरखा संतान अमर राई को उम्मीदवार बनाया था। पार्टी ने गोरखाओं के साथ का स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की थी। इतना ही नहीं जीटीए चेयरमैन है या दोनों गोजमुमो गुट ने सभी उम्मीदवार भी यहां गोरखा ही उतारा है।


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