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गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने एनडीए का छोड़ा साथ, बिमल गुरंग बोले- ममता बनर्जी की पार्टी का करेंगे समर्थन

जीजेएम सुप्रीमो बिमल गुरुंग ने कहा कि उनके संगठन ने एनडीए से बाहर होने का फैसला किया है क्योंकि बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पहाड़ी क्षेत्र के लिए स्थायी राजनीतिक समाधान तलाशने में नाकाम रही है।गुरुंग के खिलाफ 150 से ज्यादा मामले हैं दर्ज।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 11:33 AM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 11:33 AM (IST)
प्रेस कॉन्फ्रेंस करते गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के विमल गुरुंग (बीच में)। ‌

कोलकाता,  राज्य ब्यूरो। भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की एक और सहयोगी पार्टी ने रिश्ता तोड़ लिया है। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के प्रमुख बिमल गुरुंग ने एनडीए छोड़ने की घोषणा की। दार्जिलिंग में अलग राज्य के लिए आंदोलन के बाद 2017 से फरार चल रहे जीजेएम सुप्रीमो बिमल गुरुंग ने कहा कि उनके संगठन ने एनडीए से बाहर होने का फैसला किया है क्योंकि बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पहाड़ी क्षेत्र के लिए स्थायी राजनीतिक समाधान तलाशने में नाकाम रही है।

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करीबी सहयोगी रोशन गिरि के साथ सामने आए बिमल गुरुंग ने कहा कि केंद्र सरकार 11 गोरखा समुदायों को अनुसूचित जनजाति के तौर पर चिन्हित करने के अपने वादे को पूरा करने में नाकाम रही है। उन्होंने 2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ मुकाबले में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस का समर्थन करने का संकल्प जताया।

इस बीच तृणमूल कांग्रेस ने बिमल गुरुंग के एनडीए से अलग होने के फैसले का स्वागत किया है। तृणमूल कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा कि हम बिमल गुरुंग की शांति और निर्णय बनाए रखने को लेकर उनकी प्रतिबद्धता तथा एनडीए से अलग होने के फैसले का स्वागत करते हैं। बीजेपी की गोरखालैंड के मुद्दे को क्षुद्र राजनीति और उनके झूठा स्वभाव के इस्तेमाल करने की कोशिश अब बंगाल के लोगों के सामने पूरी तरह से सामने आ गई है। उन्होंने कहा कि हमें विश्वास है कि हिल्स में सिविल सोसाइटी के साथ राजनीतिक दलों और जीटीए समेत सभी प्रमुख स्टेकहोल्डर्स क्षेत्र की शांति और समृद्धि के लिए हमारे साथ मिलकर काम करेंगे।

'2009 से रहे एनडीए के साथ, नहीं निभाया वादा'

गुरुंग ने कोलकाता के एक होटल में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 2009 से ही हम एनडीए का हिस्सा रहे हैं लेकिन बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने पहाड़ के लिए स्थायी राजनीतिक समाधान निकालने का अपना वादा नहीं निभाया। उसने अनुसूचित जनजाति की सूची में 11 गोरखा समुदायों को शामिल नहीं किया। हम ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं इसलिए आज हम एनडीए छोड़ रहे हैं।

गुरुंग के खिलाफ 150 से ज्यादा मामले हैं दर्ज

गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) नेता गुरंग ने कहा कि पहाड़ छोड़ने के बाद वह तीन साल नई दिल्ली में रहे और दो महीने पहले झारखंड चले गए थे। उन्होंने कहा कि अगर आज मैं गिरफ्तार हो गया तो कोई दिक्कत नहीं। आंदोलन में कथित तौर पर हिस्सा लेने के लिए गुरुंग के खिलाफ 150 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे। 


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