75 की उम्र में 27 दिनों से कर रहीं निराहार व्रत, सिर्फ एक बार गर्म पानी पीती हैं
75 की उम्र में 27 दिनों से कर रहीं निराहार व्रत, पूरे दिन के सिर्फ एक बार गर्म पानी पीकर ही व्रत को पूरा करतीं है।
सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। आध्यात्म और धार्मिक विचारों की कितनी इच्छा शक्ति होती है इसका ज्वलंत उदाहरण है आचार्य महाश्रमण की विदुषी सुशिष्या साध्वी संगीतश्री के पावन सानिध्य में 75 वर्षीय श्वेतांबर संपत देवी दूंगड़। वह इन दिनों श्वेतांबर अनुयायियों के चल रहे पर्व के दौरान पिछले 27 दिनों से निराहार रहकर व्रत कर रही है। चेहरे पर कोई तनाव नहीं है। पूरे दिन के सिर्फ एक बार गर्म पानी पीकर ही व्रत को पूरा करतीं है।
उनके व्रत-तप को देख लोग दांतों तले अंगुली दबाने को विवश है। उनके व्रत साधना में उनके परिवार के लोग बेटी ललिता भंसाली, पोता रोहित, मोहित और मयंक, पोती मोनिका व रीतू तथा पुत्र और पुत्र वधू धर्मेद्र दूंगड़ व प्रिया दूंगड़ व्रत को पूरा करने में सहयोग कर रहे हैं।
जैन तेरापंथ सभा को उनकी त्याग और तपस्या हमेशा प्रेरणा और आत्मबल प्रदान करता रहेगा। पयूर्षण पर्व जैन धर्म का मुख्य पर्व है। श्वेतांबर इस पर्व के दौरान आठ दिन या एक माह तक व्रत का प्रण लेते हैं। इस दौरान आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि योग जैसे साधना और जप तप किया जाता है। इसका मूल उद्देश्य आत्मा को शुद्ध करना होता है।
पर्यावरण शोधन इसके लिए वांछनीय माना जाता है। पर्व के दौर व्रती मंदिर, उपाश्रय, स्थानक तथा समवशरण परिसर में अधिकाधिक समय तक रहना जरूरी होता है। इस दौरान वे निर्जला व्रत भी रखते हैं।
कहते है कि इस व्रत के दौरान मानव की सोई हुई अन्त: चेतना को जागृत करने, आध्यात्मिक ज्ञान के प्रचार, सामाजिक सद्भाव एवं सर्व धर्म संभाव के कथन को बल प्रदान किया जाता है। इसके माध्यम से धर्म,अर्थ काम मोक्ष, आदि की प्राप्ति में ज्ञान व भक्ति का होना अनिवार्य है।’