प्रतिबंध के बावजूद सिलीगुड़ी में धड़ल्ले से चल रहा वन डिजिट लाटरी, त्योंहारी सीजन में बढ़ी बिक्री
वन डिजिट लाटरी का धंधा सिलीगुड़ी तथा आस-पास के इलाकों में पूर्ण तरीके से कभी भी बंद नहीं हुआ है। जब कभी पुलिस का दबाव बढ़ता है तो सट्टेबाज अपनी जगह बदल देते हैं। जगह बदल जाता है लेकिन खेल कभी बंद नहीं होता है।
सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। लाटरी को हमेशा से ही सामाजिक बुराई माना गया है। इसके चलते न जाने कितने घर तबाह व बर्बाद होते रहे हैं। यूं तो सभी तरह के लाटरी को खराब माना गया है, लेकिन वन डिजिट लाटरी बेहद नुकसानदायक सिद्ध हो रही है। इसमें खरीददार को भले ही लाभ अधिक दिखता है, लेकिन सफलता आसान नहीं होती है। अधिक लाभ के चक्कर में लोग अपना मूलधन भी गंवा बैठते हैं। माना जाता है कि वन डिटिज लाटरी की गिरफ्त में आने वाला शख्स मुश्किल से ही इसके जाल से निकल पाता है। प्रतिबंद्ध के बावजूद शहर में वन डिजिट लाटरी का धंधा तेजी से फल-फूल रहा है।
कहा जा रहा है कि वन डिजिट लाटरी का धंधा सिलीगुड़ी तथा आस-पास के इलाकों में पूर्ण तरीके से कभी भी बंद नहीं हुआ है। जब कभी पुलिस का दबाव बढ़ता है, तो सट्टेबाज अपनी जगह बदल देते हैं। जगह बदल जाता है, लेकिन खेल कभी बंद नहीं होता है। दुर्गापूजा, दीपावली समेत त्योहारी सीजन में लाटरी की बिक्री अमूमन बढ़ जाती है। इधर, लीगुड़ी मेट्रोपालिटन पुलिस ने अवैध तरीके से चल रहे वन डिजिट लाटरी के धंधे को रोकने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है। इस क्रम में गत दिनों स्पेशल आपरेशन ग्रुप द्वारा फूलेश्वरी बाजार इलाके में छापामारी करते हुए चार लोगों को वन डिजिट लाटरी खिलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने पेशी पर आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इससे पता चलता है कि शहर में वन डिजिट लाटरी का खेल बखूबी चल रहा है। बताते चले कि इससे इतर दुर्गोत्सव से लेकर दीपावली तक जुआ खेलने व खिलाने का क्रेज चरम पर होता है। महानंदा नदी के तटवर्ती क्षेत्र व दूसरे सुनसान क्षेत्रों में जुआ का ठेक खूब जमता है। हर साल दुर्गोत्सव व दीपावली के समय पुलिस प्रशासन द्वारा जोर-शोर से इसके खिलाफ अभियान चलाते हुए जुआरियों की गिरफ्तारी की जाती है।