सिलीगुड़ी को जिला बनाने की सुगबुगाहट शुरू
-मुख्यमंत्री की प्रशासनिक बैठक के बाद बढ़ी अटकलें -फांसीदेवा और नक्सलबाड़ी थाना कमिश्नरेट के
-मुख्यमंत्री की प्रशासनिक बैठक के बाद बढ़ी अटकलें
-फांसीदेवा और नक्सलबाड़ी थाना कमिश्नरेट के हवाले जागरण विशेष 835
वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल है सिलीगुड़ी का
17
में कालिम्पोंग को अलग जिला बनाया गया
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी को जिला बनाए जाने की सुगबुगाहट एक बार फिर से शुरू हो गई है। इसको लेकर शहर में चर्चे शुरू हो चुके हैं। ऐसा पहली बार नहीं है कि सिलीगुड़ी को अलग जिला बनाए जाने की बात सामने आई है, बल्कि वाम मोर्चा के शासनकाल के जमाने से ही सिलीगुड़ी को अलग जिला बनाए जाने की माग होती रही है। वर्ष 2017 में दार्जिलिंग जिला से कलिम्पोंग को अलग करते हुए उसे अलग जिला की मान्यता दे दी गई थी। इसके बाद से कालिम्पोंग की सभी व्यवस्था अलग जिले के रूप में संचालित होती आ रही है। अब एक बार फिर से सिलीगुड़ी को अलग जिला बनाए जाने के संकेत मिल रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार पिछले महीने राज्य सरकार की ओर से इस विषय पर एक चर्चा भी हुई है। इसके साथ ही पिछले दिनों मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रशासनिक बैठक में फांसीदेवा और नक्सलबाड़ी को दार्जिलिंग पुलिस से हटाकर सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट में शामिल करने का निर्देश दिया है। इसके बाद ही सिलीगुड़ी को अलग जिला बनाए जाने की बात होने लगी है। बताते चलें कि पश्चिम बंगाल के महत्वपूर्ण जिलों में से दार्जिलिंग एक महत्वपूर्ण जिला है। वर्तमान समय में दार्जिलिंग जिले में 9 प्रखंड, 97 ग्राम पंचायत, 4 नगरपालिका,1 नगर निगम और जिला पंचायत के तर्ज पर सिलीगुड़ी महकमा परिषद है। दार्जिलिंग जिला का क्षेत्रफल 3149 वर्ग किलोमीटर है। इसमें सिलीगुड़ी पूरी तरह से तराई क्षेत्र में स्थित है तो वहीं दार्जिलिंग पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है। भौगोलिक तौर पर सिलीगुड़ी व दार्जिलिंग दोनों एक दूसरे से अलग हैं, लेकिन सास्कृतिक व व्यवसायिक तौर पर दोनों का शानदार जुड़ाव है। वर्तमान समय में परिवहन विभाग, उद्यान पालन विभाग, जिला अदालत दार्जिलिंग में है। इसके लिए लोगों को दार्जिलिंग पहाड़ की यात्रा करनी होती है। अक्सर लोगों को संबंधित विभाग का काम कराने के लिए पहाड़ पर जाना होता है। उनका कहना है कि इससे उनके समय और पैसे की बर्बादी होती है। अगर अलग जिला बनता है तो सिलीगुड़ी में ही उन्हें सब सुविधा मिल पाएगी। इससे उन्हें सहूलियत मिलेगी। हालाकि सिलीगुड़ी को शिक्षा जिला, पुलिस कमिश्नरेट, मेडिकल कॉलेज, विश्वविद्यालय पहले से ही मिला हुआ है। सिलीगुड़ी की बात करें तो इसका क्षेत्रफल 835 वर्ग किलोमीटर का है। हालाकि अलग जिला बनाए जाने की चर्चा जरूर शुरू हुई है, लेकिन अगर अलग जिला बनता है तो किन- किन क्षेत्रों को इसमें शामिल किया जाएगा और इसका क्षेत्र दायरा कहा तक होगा इस बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं है। कहा तो यह भी जा रहा फिलहाल इस पर चर्चा हुई है। आने वाले समय में ही स्पष्ट हो पाएगा कि इस चर्चा में कितनी सच्चाई है। सिलीगुड़ी अगर अलग जिला बनता है तो उसका स्वागत किया जाना चाहिए। इसमें गलत कुछ भी नहीं है। बदलते समय के साथ सिलीगुड़ी विस्तार लेते जा रहा है। जनसंख्या की दृष्टि से भी आबादी काफी बढ़ी है। ढाचागत सुविधाओं का विकास हुआ है। ऐसे में सिलीगुड़ी को जिला बनाया जाता है तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए।
- अनिमेष बोस,संयोजक,हिमालयन नेचर एडवेंचर फाउंडेशन सिलीगुड़ी को जिला बनाए जाने की जरूरत है। वाममोर्चा के समय काल में भी इसे अलग जिला बनाए जाने को लेकर बात कही गई थी। सिलीगुड़ी के लोगों की यह बहुत पुरानी माग है। समय के हिसाब से इस मांग को पूरा किया जाना चाहिए। यह ग्राम अंचल क्षेत्र के लोगों के हित में होगा। इस पर राज्य सरकार को जल्द फैसला करना चाहिए।
-तापस सरकार,पूर्व सभाधिपति,सिलीगुड़ी महकमा परिषद
सिलीगुड़ी को अलग जिला बनाए जाने को लेकर राज्य सरकार क्या कुछ कर रही है इस बारे में पता नहीं है। हा इतना जरूर है कि वर्ष 2011 से ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सिलीगुड़ी के ढाचागत विकास को लेकर काफी काम किया है। एक जिला के रूप में हर तरह की सहूलियत यहा के लोगों को मिल रही है। वर्तमान में राज्य सरकार लोगों के विकास पर ध्यान दे रही है।
-गौतम देव,मेयर,सिलीगुड़ी नगर निगम