दार्जिलिंग: मिरिक में बड़ी संख्या में पहुंच रहे पर्यटक, मॉडल टूरिस्ट सेंटर बनाने को विभाग ने कसी कमर
सुमेंदु झील में नौका विहार के लिए सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक सैलानियों की भीड़ जमती है। यहां नौका विहार पर्यटकों को कश्मीर के डल लेक की तरह का अहसास देता है। कश्मीर की तर्ज पर ही यहां शिकारा से झील की सैर की सुविधा मौजूद है।
मिरिक, दीप मिलन प्रधान। दुर्गा पूजा की छुट्टियों में मिरिक में सैलानियों की भीड़ उमड़ रही है। पहाड़ों की रानी दार्जिलिंग के रास्ते में मशहूर पर्यटन स्थल मिरिक पर्यटकों का पसंदीदा स्थल है। दार्जिलिंग आनेवाले सैलानी मिरिक की सैर करना नहीं भूलतें। दशहरा में यहां कई राज्यों से पर्यटक पहुंच रहे हैं। मिरिक की जलवायु, यहां की प्राकृतिक सुन्दरता, पहाड़ और खासकर सुमेन्दु झील यहां पर्यटन के प्रमुख आकर्षण केंद्र हैंं। सुमेंदु झील में में नौका विहार का आनंद लेनेे सिलीगुड़ी सहित आस-पास शहरों के लोग भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। सिलीगुड़ी से मिरिक की दूरी मात्र 53 किमी है। मिरिक समुद्र सतह से पांच हजार आठ सौ फीट की ऊंचाई पर अवस्थित है।
मिरिक से दस किलोमीटर दूर पहाडि़यों के बीच बसा फुवागड़ी गांव का मनोरम दृश्य। जागरण फोटो।
वैसे तो मिरिक पूरे साल पर्यटकों से गुलजार रहता है। मगर मानसून के खत्म होने के बाद और दशहरा से पर्यटकों का फुटफॉल काफी बढ़ जाता है। मिरिक पहाडी खानपान, रहनसहन और आतिथ्य सत्कार के लिए भी काफी मशहूर है । यहां सुमेंदु झील में नौका विहार के लिए सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक सैलानियों की भीड़ जमती है। यहां का नौका विहार पर्यटकों को कश्मीर के डल लेक की तरह का अहसास देता है। कश्मीर की तर्ज पर ही यहां शिकारा से भी झील की सैर की सुविधा मौजूद है। फिलहाल यहां दो शिकारा और 12 पैडल बोट संचालित हैं। सिर्फ सुमेंदु झील से ही पर्यटन विभाग को सलाना 33 लाख रुपये की आय होती है। यहां टूरिस्ट इंफरमेशन सेंटरक के प्रभारी सुनील राई ने बताया कि दशहरा में इस बार कोविड महामारी के खत्म होने के कारण बड़ी संख्या में पर्यटकों के आगमन की उम्मीद थी। उम्मीद के मुताबिक पर्यटक भी काफी संख्या में पहुंच रहे हैं। इस बार पर्यटकों के लिए कई सुविधाएं बढ़ाई गई है। पर्यटन विभाग ने मिरिक को मॉडल पर्यटन केंद्र बनाने के लिए कमर कसी है।