कोरोना ने जगाई करुणा, बहने लगी उल्टी गंगा, सिजेरियन डिलीवरी कम, नॉर्मल डिलीवरी ज्यादा!
हैरान करने वाली है कि कोरोना वायरस के खौफ के चलते शहर में गायनोकोलोजिस्ट डॉक्टरों ने सिजेरियन डिलीवरी कम कर दी है और नॉर्मल डिलीवरी पर ज्यादा जोर देने लगे हैं।
इरफान-ए-आजम, सिलीगुड़ी : एक न दिख सकने वाला कोरोना वायरस जमाने को न जाने क्या-क्या दिखा रहा है। केवल बुरा ही नहीं, बहुत कुछ अच्छा भी। उसी में एक है जच्चा-बच्चा के डॉक्टरों का मामला। जी हां, यह बात बड़ी हैरान करने वाली है कि कोरोना वायरस के खौफ के चलते शहर में गायनोकोलोजिस्ट डॉक्टरों ने सिजेरियन डिलीवरी कम कर दी है और नॉर्मल डिलीवरी पर ज्यादा जोर देने लगे हैं। इससे आम प्रसूता व उनके परिजनों को बड़ी राहत मिली है।
शहर के भक्ति नगर की एक प्रसूता के पति ने बताया कि वे शुरू से ही शहर की एक नामी-गिरामी गायनोकोलोजिस्ट के मार्गदर्शन में थे। कुछ महीने पहले कहा गया था कि नॉर्मल डिलीवरी का कोई चांस नहीं है, सिजेरियन डिलीवरी ही होगी। मगर, इधर जब वक्त एकदम करीब आ गया तो बदले हालात में मामला उलटा ही रहा, जो बड़ा सुखद रहा। जब समय पर डिलीवरी के लिए हम नर्सिंग होम पहुंचे तो डॉक्टर का अजब ही मानवीय रवैया नजर आया। उन्होंने कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है। कुछ दवा वगैरह चलेगी और सब कुछ सामान्य हो जाएगा। बड़े सुखद आश्चर्य की बात रही कि मेरी पत्नी को नॉर्मल डिलीवरी हुई और हमारे परिवार में एक पुत्र संतान ने जन्म लिया।
इसी तरह शहर के एक प्रसिद्ध नर्सिंग होम के गायनोकोलोजिस्ट डिपार्टमेंट में कार्यरत एक कर्मचारी ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इधर लॉकडाउन की अवधि में कम से कम 50 डिलीवरी के मामले उनके नर्सिंग होम में आए थे। उनमें बमुश्किल चार-पांच की ही सिजेरियन डिलीवरी हुई, बाद बाकी की नॉर्मल डिलीवरी कराई गई। यहां तक कि कई ऐसे भी मामले रहे जिन्हें घर भेज दिया गया और उनके घरों पर ही बड़े आराम से नॉर्मल डिलीवरी हुई। वरना, पहले आम दिनों में शायद ही दो-चार नॉर्मल डिलीवरी कराई जाती थी, बाकी सारी की सारी डिलीवरी सिजेरियन ही हुआ करती थी।
शहर के अन्य नर्सिंग होम का भी कमोबेश ऐसा ही हाल रहा। अब मानो उलटी गंगा बहने लगी है। अब बहुत आपात स्थिति में ही डॉक्टर दो-चार सिजेरियन डिलीवरी करवा रहे हैं, बाकी 90 प्रतिशत डिलीवरी नॉर्मल डिलीवरी हो रही है। पहले, आम दिनों में, यह माजरा एकदम उलट था।
इधर, कोरोना के सबसे भयावह समय यानी लॉकडाउन-1 व लॉकडाउन-2 के दौरान तो ऐसा नजारा भी रहा कि कई नर्सिंग होम के चक्कर लगाने के बाद भी कई प्रसूता को भर्ती नहीं लिया गया और मजबूरन घर में ही घरेलू कोशिशों से उनकी नाॅर्मल डिलीवरी हुई। कोरोना वायरस के इस प्रकोप काल में नाॅर्मल डिलीवरी से संतान प्राप्त करने वाले दंपतियों के मुंह से मानो यही निकल रहा है कि 'इसे कहते हैं "गुड डिलीवरी"... थैंक यू कोरोना वायरस'!