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आगामी फरवरी में गोरखालैंड विषय पर चर्चा में जुटेंगे संविधान विशेषज्ञ

अलग राज्य गोरखालैंड को लेकर राजनीति से दूर गैर राजनीतिक संस्था राष्ट्रीय गोरखालैंड समिति के प्रयास तेजी से जारी हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 14 Dec 2017 04:47 PM (IST)Updated: Thu, 14 Dec 2017 04:47 PM (IST)
आगामी फरवरी में गोरखालैंड विषय पर चर्चा में जुटेंगे संविधान विशेषज्ञ
आगामी फरवरी में गोरखालैंड विषय पर चर्चा में जुटेंगे संविधान विशेषज्ञ

दार्जिलिंग, [संवादसूत्र] । अलग राज्य गोरखालैंड को लेकर राजनीति से दूर गैर राजनीतिक संस्था राष्ट्रीय गोरखालैंड समिति के प्रयास तेजी से जारी हैं। संस्था से प्राप्त जानकारी के अनुसार आगामी फरवरी माह में संस्था के तत्वावधान में कानूनविदों और विभिन्न विशेषज्ञों को लेकर विशेष बैठक का आयोजन करने जा रही है।पहुंचे संस्था के महासचिव डा मनीष तामांग ने बताया कि भारत के संविधान में किसी भी राज्य का टुकड़ा कर अलग राज्य गठन के प्रावाधान हैं।

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इन सभी विषयों और संविधान के प्रावाधानों के बीच गोरखालैंड राज्य प्राप्ति को सच बनाने पर चर्चा परिचर्चा की जाएगी। उन्होने बताया कि फरवरी में आयोजित होने वाली बैठक में इन सभी विषयों पर चर्चा कर समाधान निकालने के प्रयास किए जाएंगे। शहर के गोदुनिस रंगशाला भवन में बुधवार को अलग राज्य के विषय पर लोगों के बीच चर्चा परिचर्चा कार्यक्रम का आयेाजन किया गया। बताते चलें कि बीती 24 नवंबर को नई दिल्ली में गोरखालैंड संयुक्त संघर्ष समिति के आयेाजन में संसद मार्च हो चुका है।

समिति द्वारा लिए गए प्रस्ताव के अनुसार गोरखालैंड संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा केंद्र सरकार के समक्ष पुख्ता प्रमाणों के साथ अलग राज्य की मांग को मजबूती से रखने का कार्यक्रम है। कार्यक्रम में देहरादून से आए पूर्व सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल शक्ति गुरुंग,मनीष तामांग,पी अजरुन,पूर्व विधायक त्रिलोक देवान,डा जीएस योंजन,सुखमान मोक्तान तथा अन्य गणमान्य लोगों ने भाग लिया।

गोदुनिस रंगशाला भवन में आयेाजित कार्यक्रम में भारतीय नेपाली भाषा व गोरखा जाति की राष्ट्रीय पहचान बनाने पर चर्चा हुई। इस दौरान विभिन्न विधाओं के विशेषज्ञों ने समिति के समक्ष अपने विचार और सुझाव रखे। वक्ताओं ने पूर्व में हुई घटनाओं का जिक्र करते हुए बंगाल सरकार से अलग गोरखा जाति की पहचान बनाने के लिए गोरखालैंड राज्य गठन और दार्जिलिंग सिक्किम एकीकरण जैसे विकल्पों के साथ ही बीते दिनों हुए आंदोलन और उसके परिणामों पर भी चर्चा हुई।

परिचर्चा के दौरान पूर्व के आंदोलन में मिली विफलता और उसके कारणों पर विशेष तौर पर चर्चा की गई। समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि रागोस द्वारा इस दिशा में किए जा रहे प्रयास अलग हैं। समिति द्वारा देश भर में रह रहे गोरखा समुदाय के लोगों से मत और सुझाव एकत्रित किए जा रहे हैं।1 समिति के महासचिव डा मनीष तामांग ने बताया कि गोरखा जाति को राष्ट्रीय पहचान दिलाना बहुआयामी विषय है और इसे प्राप्त करने के लिए कई मोर्चो पर कार्य करने की आवश्यकता है। पूर्व सैन्य अधिकारी शक्ति गुरुंग ने बताया कि केंद्र सरकार के भीतर गोरखालैंड राज्य के गठन को लेकर इच्छा शक्ति पैदा करना और इस कार्य के लिए सक्रिय करना आवश्यक है। परिचर्चा कार्यक्रम के दौरान दार्जिलिंग भूभाग के इतिहास पर चर्चा करते हुए इसे कभी सिक्किम का भाग,कभी मुक्त भूमि के तौर पर तो कभी बिहार के भागलपुर में शामिल किया गया तथा आखिरकार भारत की आजादी के बाद इस भूभाग को पश्चिम बंगाल राज्य का हिस्सा बना दिया गया।

चर्चा के दौरान दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र को केंद्र शासित राज्य अथवा पड़ोसी राज्य सिक्किम में जोड़ देने पर भी चर्चा हुई।1 डा तामांग ने कहा कि फरवरी माह में इस क्षेत्र को बंगाल राज्य से अलग करने के सभी विकल्पों पर विशेष तौर पर संविधान विशेषज्ञों के साथ चर्चा कर उनके सुझाव प्राप्त किए जाएंगे। ज्ञात हो कि मंगलवार को डा तामांग ने मिरिक में भी परिचर्चा कार्यक्रम में भाग लिया था।संवादसूत्र,दार्जिलिंग : अलग राज्य गोरखालैंड को लेकर राजनीति से दूर गैर राजनीतिक संस्था राष्ट्रीय गोरखालैंड समिति के प्रयास तेजी से जारी हैं। संस्था से प्राप्त जानकारी के अनुसार आगामी फरवरी माह में संस्था के तत्वावधान में कानूनविदों और विभिन्न विशेषज्ञों को लेकर विशेष बैठक का आयोजन करने जा रही है।

दार्जिलिंग पहुंचे संस्था के महासचिव डा मनीष तामांग ने बताया कि भारत के संविधान में किसी भी राज्य का टुकड़ा कर अलग राज्य गठन के प्रावाधान हैं। इन सभी विषयों और संविधान के प्रावाधानों के बीच गोरखालैंड राज्य प्राप्ति को सच बनाने पर चर्चा परिचर्चा की जाएगी। उन्होने बताया कि फरवरी में आयोजित होने वाली बैठक में इन सभी विषयों पर चर्चा कर समाधान निकालने के प्रयास किए जाएंगे। शहर के गोदुनिस रंगशाला भवन में बुधवार को अलग राज्य के विषय पर लोगों के बीच चर्चा परिचर्चा कार्यक्रम का आयेाजन किया गया। बताते चलें कि बीती 24 नवंबर को नई दिल्ली में गोरखालैंड संयुक्त संघर्ष समिति के आयेाजन में संसद मार्च हो चुका है। समिति द्वारा लिए गए प्रस्ताव के अनुसार गोरखालैंड संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा केंद्र सरकार के समक्ष पुख्ता प्रमाणों के साथ अलग राज्य की मांग को मजबूती से रखने का कार्यक्रम है। कार्यक्रम में देहरादून से आए पूर्व सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल शक्ति गुरुंग,मनीष तामांग,पी अजरुन,पूर्व विधायक त्रिलोक देवान,डा जीएस योंजन,सुखमान मोक्तान तथा अन्य गणमान्य लोगों ने भाग लिया।


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