सिलीगुड़ी पुलिस की एक टीम ने बिहार के मोतीपुर में जमाया डेरा
सीए अपहरण कांड -चारों आरोपियों को रिमांड पर लेने की कवायद तेज -कागजी कार्रवाई की प्र
सीए अपहरण कांड
-चारों आरोपियों को रिमांड पर लेने की कवायद तेज
-कागजी कार्रवाई की प्रक्रिया जोर शोर से जारी
-बरामद रकम और मोबाइल फोन पर है विवाद
-कानूनी विकल्पों पर गौर कर रही है दोनों राज्यों की पुलिस
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : एक कहावत है हाथी निकल गया लेकिन पूंछ अटक गया। इन दिनों यही कहावत सिलीगुड़ी पुलिस पर चरितार्थ हो रही है। जिस सीए का अपहरण हुआ था उसे पुलिस सही सलामत बरामद कर घर वापस पहुंचा चुकी है,लेकिन गिरफ्तारी के करीब एक सप्ताह बाद भी अपहरण के आरोपियों की बिहार पुलिस के कब्जे से सिलीगुड़ी नहीं ला पाई है। कानूनी पेंच को लेकर दोनों राज्यों की पुलिस के बीच खींचतान की स्थिति उत्पन्न हो गई है। आरोपियों को वापस लाने के लिए सिलीगुड़ी पुलिस की एक टीम पड़ोसी राज्य बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के मोतीपुर में डेरा जमाए हुए है। अगले दो से तीन दिनों में समस्या सुलझने और आरोपियों को सिलीगुड़ी लाए जाने की संभावना सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस के अधिकारियों ने व्यक्त की है।
सीए अपहरण कांड में गिरफ्तार आरोपियों के पास से बरामद 47 लाख 74 हजार रुपये को लेकर बिहार व सिलीगुड़ी पुलिस के बीच पेंच फंसा हुआ है। हांलाकि इस विवाद को दूर करने की कोशिश जारी है। दोनों राज्यों की पुलिस कानूनी पहलुओं पर गौर कर रही है।
बीते सप्ताह शुक्रवार की देर रात सिलीगुड़ी पुलिस द्वारा प्रदत्त जानकारी के आधार पर मुजफ्फरपुर जिला पुलिस ने सीए अपहरण कांड के मास्टर माइंड रंजीत घीमिरे सहित चार आरोपियों को गिरफ्तार किया था। आरोपियों के पास से एक मंहगी गाड़ी, आग्नेयास्त्र, कारतूस और फिरौती के 47 लाख 74 हजार रुपए बरामद हुए। यहां बता दें कि बिहार-उत्तर प्रदेश सीमांत गोपालगंज जिले के करार चौक से मुजफ्फरपुर की ओर भागने के क्रम में पुलिस को पीछे देखकर अपहरणकर्ताओं ने सीए किशन कुमार अग्रवाल को पश्चिम चंपारण के बीहड़ में गाड़ी से फेंक दिया। सीए को सही-सलामत बरामद कर सिलीगुड़ी पुलिस की टीम लौट चुकी है। बीते रविवार को पुलिस ने सीए किशन कुमार अग्रवाल को परिवार तक पहुंचा दिया। लेकिन इस कांड के मास्टर माइंड सहित चार को सिलीगुड़ी ला पाना अभी तक संभव नहीं हो सका है। बीते मंगलवार को ही सिलीगुड़ी पुलिस अदालत का निर्देश लेकर सभी अपहरणकर्ताओं को मुजफ्फरपुर जिला पुलिस के कब्जे से अपने कब्जे में लेने के लिए रवाना हुई थी। इसके चार दिन बाद भी सिलीगुड़ी पुलिस आरोपियों को लेकर नहीं आ पाई है। जब तक गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ नहीं हो जाती तब तक इस अपहरण कांड के पूरे रहस्य से पर्दा उठ पाना भी संभव नहीं है। इस कांड में किसी महिला की अहम भागीदारी के साथ सिलीगुड़ी व पार्वत्य क्षेत्र के कई दिग्गज होटल व्यापारियों की मिलीभगत की जानकारी पुलिस को मिली है। सिलीगुड़ी पुलिस तिनका-तिनका जोड़कर मामले की छानबीन में आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है। लेकिन गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के बगैर आगे बढ़ना चुनौतियों से भरा है।
वहीं दूसरी ओर आरोपियों के पास से बरामद फिरौती के 47 लाख 74 हजार रुपए दोनों राज्यों की पुलिस के गले में अटक कर रह गई है। पुलिस सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मुजफ्फरपुर जिला पुलिस आरोपियों के पास से बरामद 47 लाख 74 रुपए, एक महिद्रा टीयूवी गाड़ी, आग्नेयास्त्र, जिंदा कारतूस व 11 मोबाइल फोन सिलीगुड़ी पुलिस को सौंपने सं इंकार कर रही है। हांलाकि चारों आरोपियों को सिलीगुड़ी पुलिस के हवाले करने को तैयार है। जबकि सिलीगुड़ी की पुलिस टीम गाड़ी, आग्नेयास्त्र का मोह छोड़कर बरामद नगदी और मोबाइल फोन के साथ आरोपियों को वापस लाना चाहती है।
क्या कहते हैं एसीपी सुरेंद्र सिंह
इस संबंध में सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस कमिश्नरेट के एसीपी (ईस्ट) सुरेंद्र सिंह ने बताया कि पुलिस टीम बरामद नगदी, गाड़ी, आग्नेयास्त्र, मोबाइल के साथ चारों आरोपियों को वापस लाने की कवायद में जुटी है। कागजी प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। अगले दो-एक दिन में बरामद सामानों के साथ आरोपियों को वापस लाया जाएगा।
क्या है मामला
यहां बता दे कि बीते सात जनवरी को सिलीगुड़ी के 13 नंबर वार्ड पंजाबी पाड़ा के गुरूनानक सरणी निवासी सीए किशन कुमार अग्रवाल क्लाइंट के साथ मीटिंग की बात कहकर घर से निकले। उसके बाद से उनका कोई पता नहीं चला। उसी दिन शाम को किशन कुमार के मोबाइल से उनकी पत्नी को फिरौती के लिए 5 करोड़ की रकम मांगी गई। जिसके बाद परिवार वाले सिलीगुड़ी पुलिस की शरण में पहुंचे। पुलिस जांच में जुटी और बिहार पुलिस की सहायता से किशन कुमार को बरामद किया। मुजफ्फरपुर जिला पुलिस को भी आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफल रही।