Bithika Best Female Lifter असंभव कुछ नहीं, पावरलिफ्टिंग में परचम लहरा रही गरीब किसान की बेटी
26 साल की बिथिका बंगाल व ईस्ट जोन की बेस्ट महिला लिफ्टर है। 2017 में केरल के आलेप्पी में हुई एशियन पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में रजत पदक जीतकर उसने देश का मान बढ़ाया।
कोलकाता, विशाल श्रेष्ठ। Female Lifter Bithika बंगाल के सुदूर गांव में बेहद गरीब किसान परिवार में जन्मी एक लड़की। नाम बिथिका मंडल। जिस परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटाना ही सबसे बड़ी बात हो, वह उसके आगे की सोचे भी तो कैसे? लेकिन, मुफलिसी के आलम में भी बिथिका ने अपने लिए कुछ तय कर लिया था। वह भी ऐसे क्षेत्र में, जहां पुरुषों का वर्चस्व रहा है। गरीबी ने एक के बाद एक लाख मुश्किलें पैदा कर उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन बिथिका कहां हार मानने वाली थी। हालात उसके मजबूत इरादों को हिला नहीं पाए। गरीबी की आग में तपकर बिथिका आखिरकार खरा सोना बनकर निकली, जो आज पावरलिफ्टिंग में अपनी चमक बिखेर रही है।
26 साल की बिथिका बंगाल व ईस्ट जोन की बेस्ट महिला लिफ्टर है। 2017 में केरल के आलेप्पी में हुई एशियन पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में रजत पदक जीतकर उसने देश का मान बढ़ाया। पिछले साल लखनऊ में हुई सीनियर नेशनल पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। बिथिका की निगाहें अब इसी महीने कनाडा में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स पर हैं। वह बंगाल से ऐसी एकमात्र महिला पावरलिफ्टर है, जो इस प्रतिस्पर्धा में भारत का प्रतिनिधित्व करेगी।
ट्रेनिंग के लिए रोज आठ घंटे करती है सफर:
भारत-बांग्लादेश सीमा से सटे नदिया जिले के बनगांव अंचल के आंगराइल खेदा पाड़ा गांव की रहने वाली बिथिका की कड़ी मेहनत और सच्ची लगन का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह ट्रेनिंग के लिए रोज आठ घंटे सफर करती है। वह प्रतिदिन 25 मिनट साइकिल चलाकर बनगांव स्टेशन आती है और वहां से ट्रेन में लगभग साढ़े तीन घंटे का सफर तय कर कोलकाता पहुंचती है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निवास स्थल से चंद कदमों की दूरी पर कालीघाट इलाके के ‘सूर्य संघ’ नामक क्लब में वह चार घंटे कड़ा अभ्यास करती है और अभ्यास के बाद वापस उसी तरह गांव लौट जाती है। यानी सिर्फ ट्रेनिंग के लिए आने-जाने में ही उसे आठ घंटे लग जाते हैं। वजह, उसके गांव व आसपास अभ्यास करने की कोई जगह नहीं है। इसके साथ ही वह स्नातक (बीए, बैचलर ऑफ आर्ट्स) की पढ़ाई भी कर रही है।
भारत को चैंपियनशिप में स्वर्ण जिताने का सपना:
बिथिका का सपना भारत को पावरलिफ्टिंग की चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जिताने का है। इसके लिए वह जी-तोड़ मेहनत कर रही है। बकौल बिथिका, मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। इरादे पक्के हों तो चाहे जितनी भी बाधाएं आ जाएं, एक दिन सफलता हासिल होकर रहेगी। वर्ष 2012 से बिथिका को प्रशिक्षित कर रहे उनके कोच नृपेंद्र नारायण ने कहा-‘इस लड़की में मैंने कुछ करने की जिद देखी है। वह कभी हार नहीं मानती। मैं उसे कड़ी से कड़ी ट्रेनिंग कराता हूं, लेकिन वह कभी नहीं रुकती। उसमें गजब की खेल भावना है। पूरा विश्वास है कि वह एक दिन बहुत आगे जाएगी और देश का नाम रोशन करेगी। नृपेंद्र खुद भी पावरलिफ्टिंग में पांच बार नेशनल चैंपियन रहे हैं और वर्तमान में कोलकाता पुलिस में ट्रैफिक कांस्टेबल के पद पर हैं।
परिवार का मिला पूरा समर्थन
बिथिका के पिता कृष्णपद मंडल किसान हैं और मां शिवानी मंडल गृहिणी। कृष्णपद के पास खेती करने को अपनी जमीन भी नहीं है। वह दूसरे की जमीन लेकर खेतीबाड़ी करते हैं। चार बहनों में सबसे छोटी बिथिका ने कहा- हमेशा अपने परिवार का पूरा समर्थन मिला। वेस्ट बंगाल पावरलिफ्टिंग एसोसिएशन के सचिव रतन कुमार बसाक ने भी काफी मदद की। मैं बचपन से ही दबंग स्वभाव की रही हूं। कबड्डी खूब खेलती थी। उसके लिए ट्रेनिंग लेने स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) के कोलकाता स्थित कांप्लेक्स जाती थी। वहीं नृपेंद्र सर को पावरलिफ्टिंग करता देख प्रेरणा जगी। बिथिका को उसके गांव में सभी लोग ‘लेडी पहलवान’ कहकर बुलाते हैं। महिला पावरलिफ्टर सुमिता लाहा बिथिका की आदर्श हैं और टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी उसके पसंदीदा खिलाड़ी हैं।