बिहार के किसान कोफाम में सीख रहे जैविक खेती का गुर
उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय सेंटर ऑफ फ्लोरिकल्चर एंड एग्री-बिजनेस मैनजमेंट कोफाम बॉयो टेक्नोलॉजी की ओर से आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में बिहार के किसान जैविक खेती करने के गुर सीख रहे हैं।
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय, सेंटर ऑफ फ्लोरिकल्चर एंड एग्री-बिजनेस मैनेजमेंट (कोफाम), बॉयो टेक्नोलॉजी व कृषि विभाग, बिहार सरकार, भागलपुर के संयुक्त तत्वावधान में भागलपुर जिले के किसान कोफाम में जैविक खेती के गुर सिख रहे हैं। मंगलवार को वैज्ञानिक विधि से जैविक खेती करने को लेकर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन कोफाम की हेड दीपानविता साहा व भागलपुर के डीएचओ अजय कुमार अजय कुमार सिंह ने किया। उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम 20 किसानों हाई-टेक विधि से सब्जी व फल के उत्पादन करने संबंध जानकारी अगले पांच दिनों तक दी जाएगी। एनबीयू कोफाम की हेड दीपानविता साहा के निर्देशन में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम किसानों को बताया गया कि को बताया कि बिना किसी ठोस योजना व तकनीकी का उपयोग किए बगैर किसी भी तरह के फल-फूल व सब्जी का उत्पादन करना आसान नहीं है। इससे सिर्फ समय व पैसे का नुकसान होता है। उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम में एनबीयू बॉयोटेक्नोलॉजी विभाग के प्रोफेसर रणधीर चक्रवर्ती व प्रोफेसर अनूप कुमार ने भी किसानों को जैविक खेती के बारे में जानकारी दी।
कोफाम के तकनीकी अधिकारी ने अमरेंद्र पांडेय ने बताया कि अगर वैज्ञानिक पद्धति से फल, फूल व सब्जी का उत्पादन होता है, तो इससे फसल की बर्बादी नहीं होती है। जिससे उद्यमियों को नुकसान नहीं उठाना पड़ता है। वहीं उनके द्वारा उत्पादन किए गए फल, फूल व सब्जियों की कीमत भी अच्छी मिलती है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण कार्यक्रम में किसानों को मुख्य रुप से स्ट्रबेरी, ड्रैगन फ्रूट्स, मोरिगा व रेड लेडी पपैया कल्टिवेशन के प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं।
पांडेय ने बताया कि जाड़े का मौसम खत्म होने के बाद गर्मी के मौसम में सब्जियों के उत्पादन कम होते हैं। ऐसे में किसानों की एक योजना के तहत गर्मी वाले सब्जियों को लगाने की जरूरत होती है। अगर वे वैज्ञानिक तकनीकी से कल्टिवेशन करते हैं, तो निश्चय ही अधिक से अधिक लाभ मिल सकेगा। उन्होंने कहाकि किसानों को हर संभव तकनीकी सुझाव कोफाम की ओर से दिया जाता रहेगा।