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मरम्मत की मांग ने पकड़ा जोर, बाघ पुल के कायाकल्प की बढ़ी उम्मीद

जागरण इंपेक्ट -- -निगरानी के लिए दो स्थानों पर शुरू हुई नाका चेकिंग -शीघ्र मरम्मत की मांग

By JagranEdited By: Published: Sat, 05 Sep 2020 06:26 PM (IST)Updated: Sat, 05 Sep 2020 06:56 PM (IST)
मरम्मत की मांग ने पकड़ा जोर, बाघ पुल के कायाकल्प की बढ़ी उम्मीद
मरम्मत की मांग ने पकड़ा जोर, बाघ पुल के कायाकल्प की बढ़ी उम्मीद

जागरण इंपेक्ट -- -दस टन से अधिक भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक

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-निगरानी के लिए दो स्थानों पर शुरू हुई नाका चेकिंग

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सितंबर को राजमार्ग जाम करने की प्लानिंग

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एनएच डिवीजन का भी होगा घेराव

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बाइक सवारों का लगेगा जमावड़ा

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जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी :

पूर्वोत्तर भारत को शेष भारत से जोड़ने के तीस्ता नदी पर बना कोरोनेशन ब्रिज या कहें बाघ पुल मरम्मत की बाट जोह रहा है। भारत-चीन के तनातनी के बीच इस पुल के महत्व को लेकर दैनिक जागरण ने विस्तृत खबर प्रकाशित की थी। बताया गया था कि यदि पुल की मरम्मत नहीं की गई तो भारत-चीन सीमा डोकलाम तथा नाथुला आदि स्थानों पर सेना को भारी साजो-समान पहुंचाने में परेशानी होगी। इस खबर का असर हुआ है। एक ओर जहां पुल से भारी वाहनों की आवजाही पर रोक लगा दी गई है,वहीं कई संगठनों ने पुल मरम्मत की मांग को लेकर आंदोलन का ऐलान कर दिया है। जिससे अब इस पुल के कायाकल्प की उम्मीद बढ़ गई है। अब सरकारी निर्देशानुसार इस पुल से 10 टन से अधिक भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई। इतना ही नहीं इसकी निगरानी के लिए सिलीगुड़ी के निकट शिव मंदिर तथा सालूगाड़ा में नाका चेकिंग की जा रही है। यहीं भारी वाहनों को रोक कर वापस लौटा दिया जा रहा है।

इसके साथ ही तीस्ता पर नया पुल बनाने के लिए दो वर्षो से आदोलन कर रहे डुवार्स फोरम फॉर सोशल रिफॉर्म की ओर से पुराने पुल को बचाने और नए पुल के निर्माण के लिए व्यापक आदोलन की रूपरेखा तैयार की है। फोरम के संस्थापक सदस्य चंदन राय का कहना है कि इस पुल से उत्तर बंगाल पूर्वोत्तर भारत से जुड़ता है। देश विदेश से आने वाले पर्यटक आते हैं इसे देखने। इसे बाघ पुल के रूप में भी जाना जाता है। आजादी से पहले बना ये पुल अब खस्ताहाल हो गया है। इसमें इसमें बड़ी दरारें आ गई हैं। इसकी मरम्मत को लेकर सरकार गंभीर नही है। वर्ष 2018 में कोई और नहीं खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कालिम्पोंग में घोषणा की थी तीस्ता नदी पर नया पुल तैयार किया जाएगा। जबकि इस दिशा में दो वर्षो में राज्य सरकार एक डीपीआर तक नहीं बना पायी। फोरम की माग पर भाजपा के सासदों ने आवाज उठाई और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पुल बनाने की स्वीकृति भी दे दी। इसका जबाव भी फोरम को भेजा। दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से इसको लेकर कोई जबाव नहीं मिला है। फोरम के संस्थापक सदस्य चंदन राय ने कहा कि 24 सितंबर को राष्ट्रीय राजमार्ग जाम किया जाएगा। इसके अलावा 500 मोटर साइकिल सवार फोरम के सदस्य व समर्थक सिलीगुड़ी में प्रदर्शन कर एनएच डिवीजन 9 का घेराव करेंगे। राय ने कहा कि मालबाजार में एक पुल के टूटने पर मुख्यमंत्री कोलकोता से टीम भेजकर जाच कराती है। वहीं इस पुल के निर्माण की बात दीदी ने ही कही थी। उसके बाद से अब तक पर्यटन मंत्री, पथ निर्माण विभाग के मंत्री को कई बार जाकर बोला,लेकिन कोई काम नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री को या तो इसकी सच्चाई नहीं मालूम या फिर राजनीति हो रही है। अगर सरकार आदोलन की ही बात समझती है तो एक बार आंदोलन शुरू होने के बाद राज्य सरकार से लिखित आश्वासन लिए बिना आदोलन खत्म नहीं होगा। चार साल में चार लाख की लागत से निर्माण

इस पुल का निर्माण अंग्रेजों के समय शुरू हुआ। चार वर्षो में यानी 1941 में चार लाख रुपये की लागत से यह बनकर तैयार हुआ। 18 सितंबर 2011 में 6.9 की तीव्रता के भूकंप से इस पुल को काफी नुकसान हुआ है। राज्य के जादवपुर यूनिवíसटी ने अपने अध्ययन में इस पुल के बीच में 2.5 फीट का दरार पाया है। इसके बाद इस पुल से 18 टन से अधिक भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी। जबकि अब दस यह सीमा दस टन कर दी गई है।


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